Wednesday, 13 August 2014

राष्ट्रपति और PM ने की एक-दूजे की तारीफ | president pranab mukhejee and prime minister narendra modi praises each other

राष्ट्रपति और PM ने की एक-दूजे की तारीफ | president pranab mukhejee and prime minister narendra modi praises each other 
नई दिल्ली, 13 अगस्त 2014 | अपडेटेड: 09:05 IST
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narendra Modi, Pranab Mukherjee
नरेंद्र मोदी और प्रणब मुखर्जी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीवन भर एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी रहे, लेकिन मंगलवार को दोनों ने एक-दूसरे की तारीफ की. तीन बेस्ट सांसदों को पुरस्कृत करने संसद भवन पहुंचे राष्ट्रपति ने संसद के आगे सिर झुकाने के लिए नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने संसद की गरिमा का ख्याल रखा. राष्ट्रपति ने मोदी का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें यह देखकर अच्छा लगा कि लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली पार्टी के नेता ने संसद में प्रवेश करने से पहले उसके द्वार पर झुककर नमन किया. यह संस्था की पवित्रता, गरिमा का सम्मान करने का प्रतीक है.
राष्ट्रपति के दिमाग में सॉफ्टवेयर है!
प्रणब दा प्रधानमंत्री की तारीफ कर रहे थे और पीएम उन्हें दिल से सुन रहे थे. लेकिन ऐसा नहीं है कि तारीफ सिर्फ प्रणब दा ने की हो. नरेंद्र मोदी पहले ही राष्ट्रपति की तारीफ कर चुके थे.

मोदी ने कहा, 'आदरणीय राष्ट्रपति जी से मिलते हैं तो पूछने का मन नहीं करता. इतनी जानकारियां टाइम, डेट के साथ बोलते हैं. पता नहीं उनके दिमाग में कौन सा सॉफ्टवेयर है.'
सांसदों को राष्ट्रपति की नसीहत
राष्ट्रपति इशारों ही इशारों में देश के सांसदों को संसदीय आचरण और मर्यादा का पाठ भी पढ़ा गए. उन्होंने सांसदों को सदन की गरिमा बनाए रखने की नसीहत दी. उन्होंने कहा, 'एक बात मैं कहना चाहूंगा, ईश्वर के लिए दोनों सदनों के सदस्य सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखें, जो हमें विरासत में मिली है. हमें इसे और आगे ले जाना है.’ उन्होंने कहा कि यह आजादी का प्रतीक है. इसे बनाए रखना हम सदस्यों की जिम्मेदारी है.

राष्ट्रपति ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, कांग्रेस नेता डॉ. कर्ण सिंह और जेडीयू नेता शरद को बेस्ट सांसद का अवॉर्ड दिया. राष्ट्रपति के हाथों अवॉर्ड लेने के बाद बोले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'जब वह सांसद थे तब मैं उनका मुरीद था.'
देश के दो सबसे बड़े पदों पर बैठे दो अलग अलग पार्टी के नेताओं का एक दूसरे की तारीफ करना ढेरों संदेश दे गया. सियासत में पार्टियां अलग हो सकती हैं, विचारधारा और विचार अलग हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं हो सकता कि परंपराओं और मर्यादाओं की सीमाएं लांघ दी जाएं.




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