देवयानी मसले पर गुस्साया भारत, यूएस राजनयिकों से वापस मांगे आई-कार्ड,अमेरिका को करारा जवाब देना जरूरी है
नई दिल्ली, 17 दिसम्बर 2013 | अपडेटेड: 18:36 IST
न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ बदसलूकी मामले
में भारत ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. पहले राहुल गांधी और अब बीजेपी
के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मिलने से
इनकार कर दिया है. इन सबके बीच भारत ने अमेरिकी राजनयिकों के आई-कार्ड वापस
मांगे हैं. समझा जाता है कि सरकार अमेरिकी राजनयिकों को मिलने वाली छूट और
लाभों की समीक्षा करना चाहती है. गौरतलब है कि भारत ने पिछले हफ्ते
न्यूयार्क में वीजा जालसाजी के आरोपों के तहत वाणिज्य उप महादूत देवयानी
खोबरागड़े की गिरफ्तारी और सार्वजनिक रूप से हथकड़ी पहनाए जाने पर तीखी
प्रतिक्रिया करते हुए अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल को तलब किया था और इस
संबंध में डिमार्शे जारी किया था.
इस मसले पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कर दिया कि दिल्ली आए हुए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से कोई मंत्री भी मुलाकात नहीं करेगा. इससे पहले सोमवार को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन भी इस प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिले थे. मोदी ने ट्वीट किया, 'न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक के साथ हुई बदसलूकी पर विरोध जताते हुए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने से इनकार कर दिया.'
प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य जार्ज होल्डिंग (रिपब्लिकन-नॉर्थ कैरोलिना), पेट ओल्सन (रिपब्लिकन-टेक्सास), डेविड श्वीकर्ट (रिपब्लिकन-अरिजोना), रॉबर्ट वुडाल (रिपब्लिकन-अरिजोना) और मेडलीन बोरडालो (डेमोक्रेट-गुआम) शामिल थे.
आपको बता दें कि अमेरिका में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को पिछले हफ्ते वीजा नियमों में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद न्यूयॉर्क पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. कस्टडी में उनके कपड़े उतार कर तलाशी ली गई. उन्हें अपराधियों, नशेड़ियों और सेक्स वर्करों के साथ खड़ा किया गया. बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ा गया.
इस मसले पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कर दिया कि दिल्ली आए हुए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से कोई मंत्री भी मुलाकात नहीं करेगा. इससे पहले सोमवार को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन भी इस प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिले थे. मोदी ने ट्वीट किया, 'न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक के साथ हुई बदसलूकी पर विरोध जताते हुए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने से इनकार कर दिया.'
प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य जार्ज होल्डिंग (रिपब्लिकन-नॉर्थ कैरोलिना), पेट ओल्सन (रिपब्लिकन-टेक्सास), डेविड श्वीकर्ट (रिपब्लिकन-अरिजोना), रॉबर्ट वुडाल (रिपब्लिकन-अरिजोना) और मेडलीन बोरडालो (डेमोक्रेट-गुआम) शामिल थे.
आपको बता दें कि अमेरिका में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को पिछले हफ्ते वीजा नियमों में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद न्यूयॉर्क पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. कस्टडी में उनके कपड़े उतार कर तलाशी ली गई. उन्हें अपराधियों, नशेड़ियों और सेक्स वर्करों के साथ खड़ा किया गया. बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ा गया.
देवयानी मामला: अमरीकी राजनयिकों से छीने विशेषाधिकार
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नई दिल्ली:
अमरीकी अधिकारियों द्वारा न्यूयार्क में भारत की उप महा वाणिज्य दूत
देवयानी खोबरागाड़े के साथ किए गए दुव्र्यवहार का मामला तूल पकड़ रहा है।
भारत ने अमरीकी दादागिरी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए नई दिल्ली स्थित
अमरीकी दूतावास के सामने से सारे बैरीकेटों को हटा देने का निर्देश दिया
है। इसके साथ ही भारत ने अमरीकी दूतावास के लिए भेजे जाने वाले खाने, शराब
आदि सभी चीजों की मंजूरी रोक दी है।
देवयानी की तलाशी को बर्बर कार्रवाई बताते हुए भारत ने अमरीकी राजनयिकों और उनके परिवारों के विशेषाधिकार छीन लिए हैं। स्टाफ के एयरपोर्ट पास भी वापस ले लिए हैं। अमरीकी वाणिज्य दूत में कार्यरत भारतीय स्टाफ को दिए जाने वाले वेतन का ब्यौरा भी मांगा है। सरकार ने अमरीकी वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों और उनके परिवारों से अपने शिनाख्त पत्र तुरंत वापस देने का आदेश दिया है।
यह अब उसी तरह उपलब्ध करवाए जाएंगे जैसे अमरीका वहां हमारे वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों को उपलब्ध करवाता है। सरकार ने अमरीका से कहा कि वह वीजा से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवाए। अमरीकी स्कूलों में सभी अध्यापकों का ब्यौरा भी दिया जाए। इन स्कूलों में भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी भी दी जाए।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मैनन ने देवयानी के साथ किए गए व्यवहार को निंदनीय और बर्बरतापूर्ण करार दिया। मैनन ने वीजा उल्लंघन के आरोप में देवयानी की गिरफ्तारी पर उक्त टिप्पणी की। संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने तो कहा कि देवयानी के मुद्दे पर अमरीका माफी मांगे। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत ने अमरीका में अपने राजनयिक के साथ किए गए वर्ताव को बहुत गम्भीरता से लिया है। भारत ने एक प्रभावी ढंग से मुद्दे से निपटने की प्रक्रिया शुरू की है।
देवयानी के मुद्दे पर भारतीय नेताओं ने अमरीकी प्रशासन के प्रति कड़ा रुख अपनाया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीकी प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात करने से इंकार कर दिया। भाजपा नेता जसवंत सिन्हा ने मांग की कि सरकार भारत में उन अमरीकी कर्मियों के साथ कार्रवाई करे जो समलिंगी जोड़ों के रूप में रह रहे हैं। जद (यू) सांसद के.सी. त्यागी ने कहा कि अमरीका के साथ भारत को जैसे को तैसा वाला सलूक करना चाहिए।
क्या गलत किया अमरीका ने
देवयानी को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह बेटी को स्कूल छोडऩे गई थीं।
गिरफ्तारी के बाद सार्वजनिक रूप से हथकड़ी लगाई गई।
देवयानी के कपड़े उतरवा कर तलाशी ली गई। नशेडिय़ों के साथ रखा गया।
देवयानी का डी.एन.ए. सैम्पल लिया गया।
देवयानी की तलाशी को बर्बर कार्रवाई बताते हुए भारत ने अमरीकी राजनयिकों और उनके परिवारों के विशेषाधिकार छीन लिए हैं। स्टाफ के एयरपोर्ट पास भी वापस ले लिए हैं। अमरीकी वाणिज्य दूत में कार्यरत भारतीय स्टाफ को दिए जाने वाले वेतन का ब्यौरा भी मांगा है। सरकार ने अमरीकी वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों और उनके परिवारों से अपने शिनाख्त पत्र तुरंत वापस देने का आदेश दिया है।
यह अब उसी तरह उपलब्ध करवाए जाएंगे जैसे अमरीका वहां हमारे वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों को उपलब्ध करवाता है। सरकार ने अमरीका से कहा कि वह वीजा से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवाए। अमरीकी स्कूलों में सभी अध्यापकों का ब्यौरा भी दिया जाए। इन स्कूलों में भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी भी दी जाए।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मैनन ने देवयानी के साथ किए गए व्यवहार को निंदनीय और बर्बरतापूर्ण करार दिया। मैनन ने वीजा उल्लंघन के आरोप में देवयानी की गिरफ्तारी पर उक्त टिप्पणी की। संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने तो कहा कि देवयानी के मुद्दे पर अमरीका माफी मांगे। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत ने अमरीका में अपने राजनयिक के साथ किए गए वर्ताव को बहुत गम्भीरता से लिया है। भारत ने एक प्रभावी ढंग से मुद्दे से निपटने की प्रक्रिया शुरू की है।
देवयानी के मुद्दे पर भारतीय नेताओं ने अमरीकी प्रशासन के प्रति कड़ा रुख अपनाया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीकी प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात करने से इंकार कर दिया। भाजपा नेता जसवंत सिन्हा ने मांग की कि सरकार भारत में उन अमरीकी कर्मियों के साथ कार्रवाई करे जो समलिंगी जोड़ों के रूप में रह रहे हैं। जद (यू) सांसद के.सी. त्यागी ने कहा कि अमरीका के साथ भारत को जैसे को तैसा वाला सलूक करना चाहिए।
क्या गलत किया अमरीका ने
देवयानी को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह बेटी को स्कूल छोडऩे गई थीं।
गिरफ्तारी के बाद सार्वजनिक रूप से हथकड़ी लगाई गई।
देवयानी के कपड़े उतरवा कर तलाशी ली गई। नशेडिय़ों के साथ रखा गया।
देवयानी का डी.एन.ए. सैम्पल लिया गया।
देवयानी मामला: निर्वस्त्र करके ली गई तलाशी
बुधवार, 18 दिसंबर, 2013 को 05:46 IST तक के समाचार
अमरीकी पुलिस का कहना है कि वीज़ा
नियमों में धोखाधड़ी के मामले में गिरफ़्तार भारतीय राजनयिक को निर्वस्त्र
करके तलाशी ली गई और उनके साथ वही बर्ताव किया गया जो किसी और क़ैदी के
साथ किया जाता है.
अमरीकी विदेश विभाग ने भारतीय राजनयिक की गिरफ़्तारी की पूरी प्रक्रिया की जांच के आदेश दिए हैं.खोबरागड़े के वकील डैनियल आर्शैक ने बीबीसी को बताया कि जिस तरह तलाशी ली गई वो शर्मनाक है.
उनका कहना था, “अमरीकी मार्शल सर्विस के लिए अपराधियों की इस तरह की तलाशी असामान्य नहीं है लेकिन एक राजनयिक के साथ इस तरह का व्यवहार विएना समझौते का उल्लंघन है.”
न्यूयॉर्क की उप वाणिज्य दूत को जिस तरह से हथकड़ी लगाकर गिरफ़्तार किया और जिस तरह से उनकी तलाशी ली गई उस पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है.
जांच
अमरीकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मैरी हार्फ़ का कहना है कि फ़िलहाल ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं जो गिरफ़्तारी के बाद नियमों की अवहेलना की ओर इशारा करें.लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरी प्रक्रिया की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
भारत ने अपनी नाराज़गी प्रकट करते हुए दिल्ली में अमरीकी दूतावास के बाहर लगे सुरक्षा नाकों को हटा दिया है और साथ ही अमरीकी वाणिज्य दूतों को दिए जानेवाले विशेषाधिकारों को भी वापस लेने का एलान किया है.
विदेश विभाग की प्रवक्ता ने भारत सरकार से अपील की है कि विएना समझौते के तहत अमरीकी राजनयिकों को सुरक्षा देने की ज़िम्मेदारी को पूरी तरह से निभाया जाए.
उनका कहना था कि राजनयिकों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है और अमरीका भारत के साथ अपने राजनयिकों और वाणिज्य दूतों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए बातचीत जारी रखेगा.
उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों में भारत और अमरीका के उच्च राजनयिकों की कई बार बैठक हो चुकी है और इस मामले का हल निकालने की कोशिश की जा रही है.
लेकिन उनका कहना था कि ये क़ाऩूनी मामला है और उसकी एक अपनी प्रक्रिया होती है.
उल्लंघन
उन्होंने बताया कि विदेश विभाग ने भारत सरकार को सितंबर में ही इस बात से अवगत कराया था कि न्यूयॉर्क स्थित उप वाणिज्य दूत के ख़िलाफ़ एक भारतीय नागरिक ने ही शोषण का आरोप लगाया है.उप वाणिज्य दूत खोबरागड़े पर आरोप है कि उन्होंने अपने घरेलू सहायक के वीज़ा आवेदन में ग़लत दस्तावेज़ पेश करवाए और जानबूझ कर ग़लत जानकारी पेश करके वीज़ा हासिल किया.
अमरीकी विदेश विभाग की तरफ़ से अदालत में पेश दस्तावेज़ के अनुसार 2012 में इस सहायक के लिए वीज़ा हासिल करने के लिए जो दस्तावेज़ पेश किए गए उनमें कहा गया कि उसे अमरीकी क़ानून के अनुसार 4500 डॉलर वेतन दिया जाएगा लेकिन असलियत में उसे 600 डॉलर से भी कम वेतन दिया जाता था.
खोबरागड़े पर ये भी आरोप है कि उन्होंने अमरीकी क़ानून के तहत कामगारों को दी जानेवाली दूसरी सुविधाओं का भी उल्लंघन किया.
उनपर वीज़ा धोखाधड़ी और ग़लत बयान देने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है और अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो पहले आरोप के तहत दस साल और दूसरे आरोप में पांच साल की सज़ा हो सकती है.
अमरीका में इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी.
अमेरिका को करारा जवाब देना जरूरी है
नई दिल्ली, 17 दिसम्बर 2013 | अपडेटेड: 22:48 IST
सुपर पावर होने का नशा अमेरिका पर हमेशा हावी रहा है. दूसरे देशों पर हमला कर देने से लेकर उनके
आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाने के काम में वह हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहा है. न्यूयॉर्क में भारतीय
डिप्लोमैट देवयानी खोबरागड़े के साथ जो हुआ वह अचंभित कर देने वाला था लेकिन उसके बाद वहां से
जो सरकारी बयान आ रहे हैं, वे तो और भी स्तब्ध करने वाले हैं. इनमें कहा गया है कि देवयानी को
किसी तरह की इम्युनिटी नहीं है और उनके साथ वही किया गया जो ऐसे मामलों में आम आदमी के
साथ किया जाता है.
यानी उनके साथ भी अपराधियों जैसा ही बर्ताव किया गया. उन्हें हथकड़ी लगाई गई, कपड़े उताकर
उनकी तलाशी ली गई और नशेड़ियों के साथ बैरक में रखा गया. यह सब एक ऐसे आरोप में जिसके
बारे में अभी कोई जांच भी नहीं हुई है.
लेकिन सबसे निराशाजनक बात यह है कि अमेरिका के अधिकारियों ने देवयानी को डिप्लोमैटिक इम्युनिटी देने से इनकार कर दिया जो उनका हक था. इतना ही नहीं देवयानी ने न केवल दिल्ली की एक अदालत में ही नहीं बल्कि हाई कोर्ट में इस मामले पर पहले ही नौकरानी के खिलाफ याचिका दे रखी है. यह कोई पहला मौका नहीं है कि अमेरिकी अधिकारियों ने किसी भारतीय शख्सियत के साथ ऐसा किया है.
भारत के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के भी कपड़े उतारे गए थे और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम के जूते तक उतरवा लिये गए थे. और भी कई नामी गिरामी लोगों के साथ वहां दुर्व्यवहार होता रहा है. लेकिन अब पानी सिर से उतर गया है. भारत सरकार ने इस बार सही कदम उठाया है और करारा जवाब देना शुरू किया है. उसके राजनयिकों से आईडी कार्ड मांगना और कांग्रेस के प्रतिनिधियों से न मिलना एक सही कदम है.
दरअसल अमेरिकी अधिकारी यह मान कर चलते हैं कि दुनिया में उनका ही सिक्का चलता है और वे जो चाहेंगे कर लेंगे. लेकिन अब इस मानसिकता में उन्हें बदलाव करना ही होगा. और भारत ने इस बार जो कदम उठाए हैं वे जरूरी हैं. हो सकता है देवयानी ने कोई गलत काम किया हो लेकिन फिर भी उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार की इजाजत नहीं दी जा सकती. अब इस मामले को उसके तार्किक परिणति तक ले जाना उचित होगा. अमेरिका को सही जवाब देने का यह सही वक्त है.
लेकिन सबसे निराशाजनक बात यह है कि अमेरिका के अधिकारियों ने देवयानी को डिप्लोमैटिक इम्युनिटी देने से इनकार कर दिया जो उनका हक था. इतना ही नहीं देवयानी ने न केवल दिल्ली की एक अदालत में ही नहीं बल्कि हाई कोर्ट में इस मामले पर पहले ही नौकरानी के खिलाफ याचिका दे रखी है. यह कोई पहला मौका नहीं है कि अमेरिकी अधिकारियों ने किसी भारतीय शख्सियत के साथ ऐसा किया है.
भारत के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के भी कपड़े उतारे गए थे और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम के जूते तक उतरवा लिये गए थे. और भी कई नामी गिरामी लोगों के साथ वहां दुर्व्यवहार होता रहा है. लेकिन अब पानी सिर से उतर गया है. भारत सरकार ने इस बार सही कदम उठाया है और करारा जवाब देना शुरू किया है. उसके राजनयिकों से आईडी कार्ड मांगना और कांग्रेस के प्रतिनिधियों से न मिलना एक सही कदम है.
दरअसल अमेरिकी अधिकारी यह मान कर चलते हैं कि दुनिया में उनका ही सिक्का चलता है और वे जो चाहेंगे कर लेंगे. लेकिन अब इस मानसिकता में उन्हें बदलाव करना ही होगा. और भारत ने इस बार जो कदम उठाए हैं वे जरूरी हैं. हो सकता है देवयानी ने कोई गलत काम किया हो लेकिन फिर भी उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार की इजाजत नहीं दी जा सकती. अब इस मामले को उसके तार्किक परिणति तक ले जाना उचित होगा. अमेरिका को सही जवाब देने का यह सही वक्त है.
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