भारत के सख्त छह सख्त कदम,देवयानी के अपमान पर अमेरिका को करारा जवाब है
खास-खास
भारत के सख्त छह सख्त कदम- अमेरिकी राजनयिकों और उनके परिवारों के सभी एयरपोर्ट पास की सुविधा खत्म की।
- अमेरिकी राजनयिकों और उनके परिवार को मिले विशेष आईकार्ड तत्काल लौटाने को कहा।
- अमेरिकी दूतावास को शराब और अन्य वस्तुओं के आयात पर मिली छूट खत्म की गई।
- दिल्ली के न्याय मार्ग स्थित अमेरिकी दूतावास के पास से कंक्रीट के बैरीकेड हटाए गए, सड़क को आम वाहनों की आवाजाही के लिए खोला गया।
- अमेरिकी दूतावास व अमेरिकी राजनयिकों द्वारा अपने यहां रखे गए भारतीय नौकरों व अन्य भारतीय स्टाफ को दिए जाने वाले वेतन की जानकारी मांगी।
- अमेरिकी स्कूलों के सभी टीचर्स के वीजा संबंधी व अन्य जानकारी तलब की। इन स्कूलों में भारतीयों को मिल रहे वेतन व उनके बैंक खातों की सूचना भी मांगी।
अमेरिका के ठंडे रुख से बुरी तरह आहत और नाराज भारत ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अपने यहां अमेरिकी राजनयिकों और उनके परिवारों को मिले विशेषाधिकारों में कटौती कर दी है।
इतना ही नहीं, भारत में तैनात अमेरिकी राजनयिकों को तत्काल सभी पहचान पत्र, एयरपोर्ट पास लौटाने का आदेश जारी किया गया है। अमेरिकी दूतावास के आसपास किए गए सुरक्षा प्रबंध और पुलिस बैरीकेड भी हटा लिए गए हैं।
अमेरिकी दूतावास को शराब सहित अन्य वस्तुओं के आयात में मिलने वाली छूट खत्म कर दी गई है तो दूसरी ओर अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में कार्यरत सभी भारतीय कर्मचारियों की वेतन सहित अन्य जानकारियां तत्काल तलब की गई हैं।
सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के बाद मंगलवार को गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत के दौरे पर आए अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर दिया।
इस बीच विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भविष्य में और कड़े कदम उठाने का साफ संकेत देते हुए कहा है कि भारत ने अमेरिकी अधिकारियों के अस्वीकार्य बर्ताव से प्रभावी ढंग से निपटने की प्रक्रिया की शुरुआत भर की है।
भारत ने देवयानी मामले में सोमवार तक अमेरिका की ओर से ठोस पहल का इंतजार किया।
मगर अमेरिका का ठंडा रुख जारी रहने के बाद भारत ने मंगलवार को अचानक छह बड़े कदम उठा कर अपना सख्त ऐतराज जाहिर कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत स्थित अमेरिकी राजदूत को तलब कर कड़ा विरोध जताने और अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का बहिष्कार कर अमेरिका को संदेश देने की कोशिश की गई कि यह मामला भारत इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला।
मगर इसके बावजूद जब अमेरिका ने पूरे मामले को हल्के में लिया तो भारत के सब्र का बांध टूट गया। सूत्रों का कहना है कि भारत का अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और उसके पदाधिकारियों द्वारा नियुक्त भारतीय कर्मचारियों संबंधी ब्योरा मांगना बेहद महत्वपूर्ण है।
अगर ब्योरे में कुछ गड़बड़ी दिखी तो इसके लिए जिम्मेदार अमेरिकी राजनयिक के खिलाफ भारतीय कानूनों के अनुरूप सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय के सूत्रों का यह भी दावा था कि अगर अब भी अमेरिका अपने फैसले को जायज ठहराता रहा तो जल्दी ही भारत और सख्त निर्णय लेगा।
भारत ने जताई थी तीखी प्रतिक्रिया
गिरफ्तारी पर भारत ने अमेरिकी राजदूत को तलब कर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी। भारत का कहना था कि जिस मेड को कम वेतन देने की बात है वह जून महीने से ही राजनयिक के घर से फरार है।
उसे ढूंढने के लिए भारत ने अमेरिका से मदद भी मांगी थी। इतना ही नहीं मेड पर यहां की स्थानीय अदालत में मामला दर्ज है।
फिर दिल्ली हाईकोर्ट ने मेड को राजनयिक के खिलाफ विदेश में वेतन संबंधी मामले को उठाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके अलावा भारत ने विदेश में राजनयिक के विशेषाधिकार के उल्लंघन पर भी ऐतराज जताया था।
और बढ़ेगी तल्खी
अगर मामले में अमेरिका कार्रवाई नहीं करता है तो दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ने के आसार हैं। भारत अमेरिका स्थित अपने दूतावास में राजनयिकों की संख्या कम करने और ऐसा ही अमेरिका को भी करने के लिए कह सकता है।
No comments:
Post a Comment