लोकसभा में भी पास लोकपाल, अन्ना का अनशन ख़त्म
बुधवार, 18 दिसंबर, 2013 को 15:22 IST तक के समाचार
राज्य सभा के बाद लोकपाल बिल
लोकसभा में भी पारित हो गया है. इसी के साथ लोकपाल बिल के कानून बनने में
सिर्फ़ राष्ट्रपति की सहमति बाकी है.
एक तरफ़ लोकसभा में लोकपाल बिल पारित हुआ तो दूसरी
ओर समाजसेवी अन्ना हज़ारे के गांव रालेगण सिद्धि में खुशियां मनाई गईं.
अन्ना समर्थक हाथ में तिरंगा लेकर नारे लगा रहे थे.
अन्ना हज़ारे पिछले आठ दिनों से लोकपाल बिल के समर्थन में अनशन पर थे.
अन्ना हज़ारे ने बिल के पारित होने पर संसद के
दोनों सदनों का आभार जताया. अनशल स्थल पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए
अन्ना हज़ारे ने कहा कि देश में पहली बार भ्रष्टाचार पर रोक लगाने वाला बिल
पास हुआ है.
उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल पारित हो जाने के बाद
भी देश से सौ फ़ीसदी भ्रष्टाचार ख़त्म नहीं हो जाएगा और "लोकपाल से केवल 50
फ़ीसदी भ्रष्टाचार ही खत्म होगा."
अन्ना ने लोकपाल बिल के लिए अन्य दलों का समर्थन
जुटाने के लिए कांग्रेस और भाजपा का आभार जताया. उन्होंने मांग की कि
लोकपाल बिल को देश में आचार संहिता लागू होने से पहले ही क़ानून का रूप दे
दिया जाए, जिससे लोग भी यह जान सकें कि इसमें क्या-क्या प्रावधान है.
विरोध
सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविंद
केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी मौजूदा सरकारी लोकपाल बिल को बेहद कमज़ोर
बताती रही है. उनका कहना है कि "नेता तो छोड़िए, एक चूहे को भी जेल भेजा
नहीं भेजा जा पाएगा."
इस मौके पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, "ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जारी लड़ाई को खत्म करें."
"लोकतंत्र
में आम आदमी का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग सर्वोपरि हैं. इस बिल में ऐसे
प्रावधान हैं कि एक पुलिसवाला भी हमें परेशान कर सकता है."
मुलायम सिंह, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष
एक तरफ़ जहां लोकसभा में लोकपाल बिल पर बहस चल रही थी, तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी की ओर से इस बिल को लेकर कड़ी आलोचना सामने आई.
पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा,
"लोकतंत्र में आम आदमी का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग सर्वोपरि हैं. इस बिल
में ऐसे प्रावधान हैं कि एक पुलिसवाला भी हमें परेशान कर सकता है. क्या
मौजूदा कानून के अंतर्गत सांसदों और विधायकों को अपराधी साबित नहीं किया
गया है?"
समाजवादी पार्टी इस बिल को किसी भी कीमत पर रोकने की बात कर चुकी है, लेकिन सरकार पार्टी को मनाने की कोशिश करती रही है.
मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लोकपाल बिल के खिलाफ़ बोलने को कहा.
'अन्ना को श्रेय'
उधर वरिष्ठ भाजपा नेता और लोकसभा में पार्टी की
नेता सुषमा स्वराज ने लोकपाल बिल पर कांग्रेस द्वारा श्रेय लिए जाने की
कड़ी आलोचना की.
उन्होंने कहा कि इसका श्रेय अन्ना हज़ारे को जाना चाहिए.
सुषमा स्वराज ने कहा, "लोग यहां श्रेय लेने के लिए
लाइन लगाए खड़े हैं लेकिन एक ऐसा व्यक्ति भी है जो लोकपाल पर अनशन कर रहा
है और सभी को सामूहिक रूप से जगने को कह रहा है. इसके अलावा देश की जनता को
भी इसके लिए श्रेय दिया जाना चाहिए."
इससे पहले समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने इस बहस
में भाग नहीं लिया और वो सदन से बाहर चले गए. समाजवादी पार्टी यह कहते हुए
विधेयक का विरोध कर रही है कि इससे भ्रष्टाचार को ख़त्म करने में कोई मदद
नहीं मिलेगी.
मजबूत लोकपाल
अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में देश
में लोकपाल की नियुक्ति के लिए जोरदार आंदोलन चलाया गया, हालांकि शुरुआत
में इस आंदोलन को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया.
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि संघीय ढांचे
को बनाए रखते हुए भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ी जा सकती है और मौजूदा विधेयक
में देश के संघीय ढांचे का पूरा ध्यान रखा गया है.
इस विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक विधेयक के
पारित होने के एक साल के भीतर सभी राज्यों के इस कानून के आधार पर अपने
यहां लोकायुक्त की नियुक्ति करना अनिवार्य होगा.
नए विधेयक के कुछ खास प्रावधान
- लोकपाल से जुड़े मामले में सीबीआई लोकपाल के अधीन काम करेगी.
- सरकार लोकपाल की जांच से जुड़े सीबीआई अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं कर सकेगी.
- राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का अधिकार राज्य विधानसभा के पास होगा.
- हालांकि उनके लिए एक साल के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति करना अनिवार्य है. इसके लिए केंद्रीय लोकपाल कानून को मॉडल कानून माना जाएगा.
- लोकपाल की नियुक्ति करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता विपक्ष, मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे.
- धार्मिक संस्थाओं को छोड़कर अन्य सभी ऐसी स्वयंसेवी संस्थाएं लोकपाल के दायरे में आएंगी, जिन्हें सरकारी मदद मिलती है.
- लोकपाल को हटाने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास होगा.
- समिति में 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिला वर्ग से होंगे.
- प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे में हैं, हालांकि उनको लेकर शिकायतों के निपटान के लिए विशेष प्रक्रिया है.
- सभी श्रेणियों के सरकारी अधिकारी लोकपाल के दायरे में शामिल.
- तय समयसीमा के भीतर जांच का प्रावधान
अन्ना ने चलाए केजरीवाल पर 'व्यंग्य बाण'
संसद में लोकपाल विधेयक पास हो
जाने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए अन्ना हज़ारे ने आम आदमी पार्टी के
नेता अरविंद केजरीवाल को चंदे के मामले पर घेरने की कोशिश की.
अन्ना ने तंज कसते हुए कहा है कि उन्हें आंदोलन
चलाने के लिए विदेश से चंदा नहीं मिल रहा है और उनका आंदोलन गांव के लोगों
से मिलने वाले पांच या दस रुपए के योगदान पर आधारित है.
अरविंद केजरीवाल को पहले आंदोलन और फिर राजनीतिक दल चलाने के लिए विदेश से बड़ी धनराशि दान में मिलती रही है.
लोकसभा में
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लोकपाल विधेयक पर मुहर लगने के बाद अन्ना हज़ारे ने कहा, "हमें
विदेश से पैसा नहीं मिल रहा है. इस आंदोलन में हमें कोई बड़ा दान नहीं मिला
है. ये रालेगण सिद्धि के परिवार के लोगों की हिम्मत है कि आने वाले लोगों
को भोजन दिया जा रहा है."
उन्होंने कहा, "यहां आने वाले कई लोगों ने छोटी रकम दी है. कल दोपहर तक ढेड़ लाख रुपए दिए गए थे. उसका भी हम हिसाब बना रहे हैं."
शेर-चूहे की लड़ाई
"हमें
विदेश से पैसा नहीं मिल रहा है. इस आंदोलन में हमें कोई बड़ा दान नहीं
मिला है. ये रालेगण सिद्धि के परिवार के लोगों की हिम्मत है कि आने वाले
लोगों को भोजन दिया जा रहा है."
इससे पहले लोकपाल विधेयक पर अरविंद केजरीवाल के
बयान के बारे में अन्ना ने कहा था, "आप चूहे की बात कर रहे हैं. मुझे लगता
है कि इस विधेयक में शेर को भी फंसाने का प्रावधान है."
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अरविंद केजरीवाल ने लोकपाल विधेयक की आलोचना करते हुए कहा था कि इससे एक चूहे को भी नहीं पकड़ा जा सकता है.
अन्ना हज़ारे इस विधेयक को पारित कराने की मांग को
लेकर अनशन पर बैठे थे और बुधवार को लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के
बाद उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया.
अन्ना हज़ारे और अरविंद केजरीवाल ने एक साथ लोकपाल
विधेयक के लिए आंदोलन शुरू किया था, लेकिन राजनीति में प्रवेश के मसले पर
दोनों के बीच मतभेद पहली बार खुलकर सामने आए. इसके बाद दोनों ने अपने
रास्ते अलग कर लिए.
बढ़ती गई दूरियां
आंदोलन में सहयोगी रही किरण बेदी ने राजनीतिक पार्टी से दूर रहने का फैसला किया और वो अन्ना के साथ बनी रहीं.
अरविंद केजरीवाल का कहना है कि कुछ लोगों ने अन्ना हजारे को बहका दिया है.
दिल्ली विधानसभा के दौरान उस समय अन्ना हज़ारे और
अरविंद केजरीवाल के बीच तल्ख़ी बढ़ती हुई दिखाई दी जब अन्ना ने पत्र लिख कर
कहा कि आम आदमी पार्टी उनके नाम का गलत ढंग से इस्तेमाल कर रही है.
अन्ना ने ये भी कहा कि लोकपाल आंदोलन के दौरान मिले चंदे का इस्तेमाल भी राजनीतिक मक़सद के लिए किया जा रहा है.
बीते दिनों जब अन्ना ने
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आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय को अपने गांव से बाहर जाने के लिए कह दिया, तो इसे भी दोनों के बीच खराब होते रिश्तों का सबूत माना गया.
अन्ना सरकार के लोकपाल विधेयक से पूरी तरह सहमत
हैं जबकि अरविंद केजरीवाल और उनके साथी यह मानते हैं कि जन लोकपाल विधेयक
ही पारित होना चाहिए, और कोई बिल उन्हें मंजूर नहीं.
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