जालंधर:  पंजाब में नरेंद्र मोदी की स्थगित रैली पर अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार चाहे जो तर्क दें लेकिन इसकी ख़ास वजह कच्छ में रह रहे वह 50000 सिख किसान हैं जो देश में रहते हुए अपनी जमीनों को महफूज़ नहीं समझ रहे।

अगर पंजाब में मोदी की रैली होती तो कच्छ के किसानों का रैली में आना तय था। कच्छ के किसानों का एक जत्था इसी ताक में था कि जैसे ही मोदी पंजाब में रैली करते हैं तो वह वहां पहुंच कर रैली में अपनी आवाज़ मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तक पहुंचा सकें। यह कच्छ के वही किसान हैं जिनके लिए अकाली दल (बादल) सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल ने नरेंद्र मोदी से मिल इनके मसले को सुलझा लेने का दावा किया था, जिसके लिए प्रकाश सिंह बादल गुजरात भी गए, लेकिन मोदी के फैसले के सामने यह सुप्रीमो बौने साबित हुए थे।

कच्छ के सिखों का मामला हाईकोर्ट से निकल कर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और इनके गुस्से का सैलाब अब पंजाब पहुँचने कि तैयारी कर रहा था। एनडीए को समर्थन देने वाली अकाली दल (बादल) गुजरात के सिख किसानों को कोई कोई समर्थन नहीं दे सकी, जिसका मलाल प्रकाश सिंह बादल को भी है लेकिन उनकी मजबूरी भी जग जाहिर है। पंजाब के सिख पहले ही राज्य सरकार को चेतावनी दे चुके हैं कि यदि राज्य में मोदी की रैली होती है तो वह इसका कड़ा विरोध करेंगें। पंजाब सरकार मौजूदा हालातों को भांप चुकी है, वह जानती है यदि इन हालातों में नरेंद्र मोदी की रैली पंजाब में होती है तो पंजाब के सिखों के साथ-साथ विपक्षी पार्टी कांग्रेस के क्रोध का सामना भी उन्हें करना पड़ेगा।

केंद्रीय भाजपा की नजर भी आगामी लोकसभा चुनाव पर है ऐसे में पार्टी विपक्ष के हाथ कोई भी मुद्दा नहीं लगने देने चाहती। लिहाजा भाजपा मौसम के कारणों को हथियार बना कर बचना चाहती है। लेकिन प्रकाश सिंह बादल के लिए यह स्थिति उस विष की तरह हो गई है जिसे न तो निगला जा सकता है न थूका।

मोदी सानु कडन लई तुलैया है:
कच्छ के किसान कच्छ में रहने वाले सुरेन्द्र भुल्लर कहते हैं मोदी ने रन फॉर यूनिटी के लिए देश के लोगों को दो-दो किलोमीटर भागने के लिए कहा लेकिन मोदी उन्हें पिछले तैरह सालों से दौड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा मोदी जब भी पंजाब में अपनी रैली करेंगें हम उस रैली में अपनी आवाज़ जरुर उठाने आएंगें, हम यह समझ चुके हैं की बेशक अकाली दल (बादल) सिखों की हिमायती होने का दावा कर रही है लेकिन अकाली दल की भूमिका किसी सौतेले से कम नहीं। उन्होंने कहा हमे पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से उम्मीद थी लेकिन वह भी अब टूट चुकी है। उन्होंने कहा 2010 में विदर्भ एक्ट के तहत 784 किसानो के खाते सीज़ कर दिए थे उसके बाद से हम यह लड़ाई लड़ रहे हैं, हमें यह जमीन 1965 के बाद उस वक़्त के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने दी थी अब जब हमने इन बंजर जमीनों को उपजाऊ बना दिया है तो गुजरात सरकार हमें निकलने पर तुली हुई है।

पंजाब की धरती पर मोदी को बुलाना शर्म की बात: पंजाब कांग्रेस के प्रवक्ता सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा खराब मौसम एक बहाना है दरअसल पंजाब सरकार राज्य की जनता को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही। उन्होंने कहा गुजरात में 50000 सिखों को जबरदस्ती उजाड़ने वाले नरेंद्र मोदी को अगर पंजाब सरकार इस धरती पर बुलाती है तो यह अकाली दल के लिए बहुत शर्म की बात है, क्यूंकि अकाली दल सिखों की हिमायती होने का ढिंढोरा तो पीट रही है लेकिन उनके दुःख तकलीफों का उन्हें कोई एहसास नहीं। उन्होंने कहा मोदी जैसे कट्टरपंथी, पक्षवादी और सिखों के विरोधी को सरदार की उपाधि देने वाले प्रकाश सिंह बादल का सर शर्म से झुक जाना चाहिए गुजरात सरकार का तर्क इस मामले में गुजरात सरकार यह तर्क दे रही है कि इन किसानो को जमीन का मालिक तब माना जाएगा जब यह किसान साबित करें कि यह खुद इस जमीन के मालिक है।

गुजरात सरकार का फैसला गलत: रामूवालिया नरेंद्र मोदी और पंजाब सरकार के दोहरे मापदंड के बीच अकाली दल बादल के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष बलवंत सिंह रामूवालिया कहते है कि जब गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को गलत ठहरा दिया था तो गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों गई उन्होंने कहा सरकार का यह फैसला गलत है। उन्होंने कहा मोदी जी को इस मसले पर 'मिस गाइड' किया गया है उनसे उम्मीद है कि वह जल्द वहाँ के किसानो के प्रति उचित कदम उठाएंगें। उन्होंने हरियाणा में इसी तरह के एक मामले पर हुडा सरकार कि तारीफ भी की जिसमें किसान सुप्रीम कोर्ट से अपना केस हार चुके थे लेकिन हुडा सरकार ने विधानसभा में एक मता पास कर किसानो की जमीनें उन्हें वापिस कर दी थी। रामूवालिया ने मोदी की रैली स्थगित होने की वजह खराब मौसम ही बताया।