DR ON STRIKE यूपीः डॉक्टरों की हड़ताल पर सरकार को नोटिस,बिगड़ते ही जा रहे हालात, अब तक 55 मौतें
,स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं. पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे 24 छात्रों को जेल भेज दिया है.-READ FULL DETAILS
,स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं. पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे 24 छात्रों को जेल भेज दिया है.-READ FULL DETAILS
बुधवार, 5 मार्च, 2014 को 09:16 IST तक के समाचार
स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं. पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे 24 छात्रों को जेल भेज दिया है.
कानपुर में डॉक्टरों की हड़ताल ने व्यापक रूप ले लिया है जिसके कारण मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से गंभीर स्थिति पैदा हो गई है.
मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाने के कारण अब तक कई मरीज़ों की मौत हो चुकी है.कानपुर में डॉक्टरों की हड़ताल ने व्यापक रूप ले लिया है जिसके कारण मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से गंभीर स्थिति पैदा हो गई है.
कानपुर में यह हड़ताल 28 फ़रवरी को शुरू हुई थी. वाहन टक्कर की एक क्लिक करें मामूली घटना के बाद कानपुर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डाक्टरों और एक सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी के बंदूक़धारियों और समर्थकों के बीच हुई टकराव के बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे.
रोहित घोष, कानपुर
कानपुर में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं. पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे 24 छात्रों को जेल भेज दिया है.अस्पताल के कर्मचारी वीरेंद्र सिंह का कहना है, "ग्रामीण इलाक़ों से आने वाले मरीज़ों को निराश लौटना पड़ रहा है. अस्पताल में कामकाज ठप है. मरीज़ बिलकुल नज़र नहीं आ रहे."
बीते शुक्रवार को सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के युवा विधायक इरफ़ान सोलंकी और जूनियर डाक्टरों के बीच कहा-सुनी के बाद मेडिकल छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई हुई.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का दावा है कि सभी सरकारी व ग़ैर-सरकारी अस्पताल के साथ-साथ दवाख़ाने भी बंद हैं. इस क्लिक करें हड़ताल में सेना के डॉक्टर भी शामिल हो गए हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र लालचंदानी ने बीबीसी को बताया, "सभी सरकारी और निजी अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर हैं. निजी क्लिनिक में भी मरीज़ों को देखा नहीं जा रहा है. सेना के डॉक्टरों ने भी काम बंद कर दिया है. हड़ताल देशव्यापी हो चुकी है."
वहीं ज़िला मजिस्ट्रेट डॉ.रोशन जैकब का कहना है, "डॉक्टरों को ज़मानत दे दी गई है, पर वह जेल के बाहर नहीं आ रहे हैं. डॉक्टर अगर काम पर न लौटे तो कड़ी कारर्वाई की जाएगी."
विधायक इरफ़ान सोलंकी कहते हैं, "दो जूनियर डॉक्टर मेडिकल कॉलेज के पास एक बुज़ुर्ग को मार रहे थे तो मैंने उनका विरोध किया. क्या यह ग़लत था?"
मेडिकल कॉलेज के चौथे वर्ष के छात्र दिनेश गोस्वामी ने कहा, "एक पेट्रोल पंप में विधायक ने अपनी कार का दरवाज़ा ऐसे खोला कि दो जूनियर डॉक्टर उससे टकराने जा रहे थे. इसी बात पर कहा-सुनी हो गई. इरफ़ान सोलंकी के आदमियों ने छात्रों को पीट दिया."
"फिर थोड़ी देर बाद इरफ़ान सोलंकी अपने आदमियों और पुलिस के साथ मेडिकल कॉलेज के कैंपस में घुसे और डॉक्टरों और प्रोफ़ेसरों को मारना शुरू कर दिया."
कानपुर के कमिश्नर मुहम्मद इफ़्तिख़ारुद्दीन ने कहा, "हम लोग डॉक्टरों से बात कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई हैं. सरकारी डॉक्टर काम पर हैं. सरकारी अस्पताल में लोगों का इलाज चल रहा है."
डॉ लालचंदानी ने इस बात का खंडन करते हुए कहा, "एक भी डॉक्टर, चाहे सरकारी नौकरी करता हो या निजी सेवा देता हो, कोई काम नहीं कर रहा है."
सोमवार शाम प्रशासन ने सभी गिरफ़्तार हुए 24 जूनियर डॉक्टरों की ज़मानत करवा दी. ज़िला अधिकारी ने स्वयं अदालत में पेश हो करके ज़मानत करवाई. पर जूनियर डॉक्टरों ने जेल से ज़मानत पर निकलने से मना कर दिया.
कुमार हर्ष, गोरखपुर
यहाँ हमेशा जाम लगा रहता था पर आज बस्ती से अपनी पत्नी को दिखाने आये समर्थ चौधरी को वापस बस स्टेशन जाने के लिए रिक्शा नहीं मिल रहा.
वहां से बमुश्किल सौ मीटर की दूरी पर इंदिरा गांधी की प्रतिमा के नीचे डॉक्टर धरने पर बैठे हुए हैं. वहां बैठे चिकित्सक और नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल कहते हैं, ''अफ़सोस की बात है कि सरकार को मरीज़ों की दुर्दशा मंज़ूर है, मगर अपने विधायक और उनके लोगों की गुंडागर्दी पर कार्रवाई मंज़ूर नहीं है.''
डॉक्टरों की हड़ताल के चौथे दिन निजी चिकित्सक और नर्सिंग होम के साथ पैथोलोजी सेंटर भी साथ आ गए हैं.
हड़ताली डॉक्टरों के आह्वान का असर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों पर भी पड़ा है जहाँ ओपीडी प्रभावित हैं.
डॉ कुमार का कहना है कि गोरखपुर आईएमए के 550 सदस्यों के अलावा इंडियन डेंटल एसोसिएशन के 150 से ज़्यादा सदस्य भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं.
हालांकि सोमवार देर रात और मंगलवार को दिन भर हड़ताल ख़त्म करने की कोशिशें जारी रहीं पर गतिरोध टूटता नहीं दिख रहा.
ये कैसे 'भगवान', ट्रॉमा से धक्के मारकर निकाले मरीज
केजीएमयू, ट्रॉमा सेंटर में जूनियर डॉक्टर सोमवार को भी लगातार तीसरे दिन
हड़ताल पर रहे। इस हड़ताल ने 11 मरीजों की जान ले ली।
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अभी तक कुल 13 मरीजों की मौत हो चुकी है। सोमवार को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती पांच मरीजों की इलाज और दवा के अभाव में मौत हो गई।
तो ट्रॉमा सेंटर से बलरामपुर रेफर किए गए दो मरीज और ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों ने गेट के सामने ही दम तोड़ दिया।
कई मरीजों की मौत पर भी जूनियर डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में दो मरीजों की मौत की सूचना है हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अभी तक कुल 13 मरीजों की मौत हो चुकी है। सोमवार को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती पांच मरीजों की इलाज और दवा के अभाव में मौत हो गई।
तो ट्रॉमा सेंटर से बलरामपुर रेफर किए गए दो मरीज और ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों ने गेट के सामने ही दम तोड़ दिया।
कई मरीजों की मौत पर भी जूनियर डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में दो मरीजों की मौत की सूचना है हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
ट्रॉमा सेंटर का हाल यह था कि दर्द से तड़पते मरीजों को ट्रॉमा के वार्डों में तैनात डॉक्टरों ने दवा देने से मना कर दिया। किसी ने डॉक्टर से सम्पर्क के पास गया तो उसे ये कहकर भगा दिया कि इलाज चाहिए तो मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाओ नहीं तो यहां पर मरीज की मौत पक्की है।
सोमवार को 280 बेड के ट्रॉमा सेंटर में बीस से पच्चीस मरीज ही रह गए। बाकी सभी मरीजों को दूसरे अस्पताल भेजने का दबाव बनाया जिसके बाद शाम चार बजे तक ट्रॉमा सेंटर खाली हो गया।
भूतल पर बने आर्थोपेडिक वार्ड में सभी मरीजों को जूनियर डॉक्टरों ने बाहर निकाल दिया गया। वार्ड में भर्ती नेपाल के अर्जुन झिलको (40) का कुछ दिन पहले सड़क हादसे में पैर टूट गया था।
पत्नी तुलसी ने बताया कि शनिवार को भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने लकड़ी की खपच्ची बांधकर इलाज बंद कर दिया। सोमवार सुबह अर्जुन दर्द के मारे तड़पने लगे।
पत्नी ने इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों से कहा तो उसे दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई। ट्रॉमा सेंटर, केजीएमयू और क्वीन मेरी में हड़ताल के चलते काफी मरीज सिविल, बलरामपुर, लोहिया समेत महिला अस्पताल पहुंच गए जिससे वो पूरी तरह से फुल हो गए।
क्वीन मेरी अस्पताल में सोमवार को भर्ती बंद होने से काफी संख्या में गर्भवती महिलाएं झलकारीबाई व डफरिन पहुंची जिससे वहां बेड फुल हो गए।
ओपीडी बंद, हड़ताल से मरीज बेहाल
सोमवार को प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक सहित कई पैथोलॉजी भी बंद होने के कारण मरीज हलकान रहे। पटेलनगर में एक नर्सिंग होम के सामने मरीज की मौत भी हो गई। सरकारी अस्पतालों में आम दिनों से काफी अधिक भीड़ रही।
सभी क्लीनिक पर ओपीडी बंद के बैनर पोस्टर लगे रहे। यशोदा सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल में लगने वाला हृदय रोग शिविर निरस्त कर दिया गया। डाक्टरों ने नवयुग मार्केट से कैंडल मार्च निकाला।
आईएमए महासचिव डा. नरेंद्र सैनी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आईएमए कानपुर की अध्यक्षा डा. आरती लाल चंदानी से जूनियर डॉक्टरों के साथ की गई मारपीट की जानकारी ली।
अस्पताल के सामने मरीज की मौत
पटेल नगर में सुबह एक निजी अस्पताल के सामने स्ट्रेचर पर एक मरीज की मौत हो गई। संभावना जताई जा रही है कि इलाज न मिलने की वजह से मरीज की मौत हो गई।
जिस निजी अस्पताल के सामने स्ट्रेचर पर मरीज की लाश मिली उनका कहना है कि किसी अन्य अस्पताल का मरीज था उनके अस्पताल के गेट पर रख गाड़ी लाने गए थे।
डाक्टरों से मारपीट पर आइएमए का यूपी सरकार को अल्टीमेटम
डाक्टरों से मारपीट पर आइएमए का यूपी सरकार को अल्टीमेटम
लखनऊ। कानपुर में पुलिस और प्रशासन की दबंगई के खिलाफ डाक्टरों की हड़ताल
ने अब नया मोड़ ले लिया है। एक और जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने इस प्रकरण की
जांच कराने की बात कही है वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन [आइएमए] ने धमकी दी
है कि यदि 48 घंटों के दौरान आरोपी विधायक इरफान सोलंकी के खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे देश के डॉक्टर हड़ताल में शमिल हो जाएंगे। इस
पूरे घटनाक्रम का सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। डाक्टरों की हड़ताल से अब
तक करीब दस मरीजों की मौत हो चुकी है। इस पूरे प्रकरण पर सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने सपा विधायक का जिक्र न करते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज होना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। वहीं दूसरी ओर विधायक इरफान सौलंकी ने इस पूरे प्रकरण में अपनी कोई गलती न बताते हुए कहा है कि यदि यदि उनकी पार्टी के मुखिया उन्हें आदेश देंगे तो वह समझौता करने के लिए तैयार हैं। डाक्टरों के साथ हुई बदसलूकी के बाद से अब तक करीब तीन सौ मेडिकल कॉलेज के टीचर इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं गिरफ्तार हुए डॉक्टरों ने भी अपनी जमानत न लेने की बात कही है।
मामला बढ़ता देख विपक्ष ने भी इस मुद्दे को हाथों-हाथ लेना शुरू कर दिया है। विपक्ष ने हड़ताली डाक्टरों के सुर में सुर मिलाते हुए आरोपी विधायक की सदस्यता को तुरंत खत्म करने की मांग तक कर डाली है। डाक्टरों के साथ हुई ज्यादती के विरोध में सोमवार को गाजियाबाद के भी कई अस्पतालों में डॉक्टरों ने काम ठप कर दिया, जिससे मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों ने कुछ जगहों पर कैंडल मार्च भी निकाला। वहीं बीएचयू में भी डॉक्टर हड़ताल पर रहे और आरोपी विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
डॉक्टरों की हड़ताल से बेहाल मरीजों के पास अब अस्पताल से जाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है। इस हड़ताल का सीधा असर यहां आने वाले मरीजों पर ही पड़ रहा है। कई अस्पतालों में कराहते मरीज इलाज के इंतजार में तड़प रहे हैं।
फसाद की जड़ तो यही 'माननीय' हैं
फसाद की जड़ तो यही 'माननीय' हैं
कानपुर [प्रवीन शर्मा]। 'अंधेर है भाई अंधेर' जब सरकार हमारी है तो लाठी
भी हमारे साथ है। हम तो खुद भी मारेंगे और खाकी से भी पिटवाएंगे। कोई
हमारा क्या बिगाड़ सकता है। कुछ यही संकेत दे रहा है यह फोटो जिसमें सपा
विधायक इरफान सोलंकी न सिर्फ मेडिकल कालेज के छात्र का गला घोंट रहे हैं
बल्कि कानून का भी। कानून को चाहिए साक्ष्य
अधिकांश फैसले साक्ष्यों के आधार पर ही सुनाये जाते हैं लेकिन यहां तो जंगलराज जैसी स्थिति बनी हुई है। खुद ही अदालत बन बैठे हैं और खुद ही जज। इस सच को झूठ का मुलम्मा पहनाने के लिए हमारा शासन-प्रशासन पूरी ताकत झोंके हुआ है। शुक्रवार का दिन कानपुर के लिए ब्लैक फ्राइडे रहा। हैलट अस्पताल के सामने गलत दिशा से लाव-लश्कर लेकर घुसे सपा विधायक इरफान सोलंकी की गाड़ी के दरवाजे से मेडिकल कालेज के छात्र की बाइक टकरा गई। महंगी गाड़ी से उतरे गनर ने बाइक पर मौजूद दोनों छात्रों को पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। इस बीच विधायक भी उतरे और एक छात्र का गला दबाना शुरू कर दिया जबकि दूसरा छूटकर कैंपस में भाग गया था। यहीं से घटना की शुरुआत हुई थी।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या मेडिकल कालेज के छात्र ही अकेले दोषी हैं। गला दबाकर मारने की कोशिश में क्या विधायक पर हत्या के प्रयास का मुकदमा नहीं होना चाहिए? इसके बाद कैंपस में घुसकर छात्रों पर लाठियां भांजने वाले भी दोषी नहीं हैं। अगर नहीं तो फिर छात्रों को ही अपराधी क्यों बनाया गया जबकि झगड़े की शुरुआत गनर और विधायक की ओर से हुई।
कहां है बुजुर्ग
झगड़े के बाद सपा विधायक का बयान था कि छात्र एक बुजुर्ग को पीट रहे थे और ऐसा करने से मना करने पर छात्रों ने उन पर हमला बोल दिया। अगर यह सच भी मान लिया जाये तो वादी की भूमिका बुजुर्ग की होनी चाहिए। बुजुर्ग कहां है। पुलिस के एक बड़े अफसर ने कहा कि बुजुर्ग की पच्ी लगातार संपर्क में है, तो फिर उसे खड़ा क्यों नहीं किया जा रहा?
किस डाक्टर ने लगाये खरोच पर टांके
मुकदमा कायम कराने के लिए जो मेडिकल रिपोर्ट थाने में दाखिल की गई है उसमें सपा विधायक इरफान सोलंकी को सिर्फ खरोच दिखाई गई है ऐसे में खरोच पर टांके किस डाक्टर ने लगा दिये। तो क्या विधायक झूठ बोल रहे हैं? क्या पुलिस की विवेचक ने इसकी सच्चाई जानने की कोशिश की।
मैंने जताई नाराजगी
कैंपस में बिना अनुमति के घुसना और छात्रों के साथ प्राचार्य और प्रोफेसर के साथ मारपीट करने के मुद्दे पर डीएम ने कहा कि उन्होंने एसएसपी से नाराजगी जताई थी कि प्राचार्य से किसने मारपीट की। बावजूद इसके न तो छात्रों और न ही प्राचार्य की ओर से मुकदमा कायम कराया गया। डीएम कहती हैं कि कोई तहरीर दे तो विधायक पर मुकदमा कायम करेंगे जबकि प्राचार्य का दावा है कि वह तहरीर दे चुके हैं।
पुलिस ने दिया नोटिस
सपा विधायक से हुई मारपीट के मामले में पुलिस ने मेडिकल कालेज के तीन जूनियर डाक्टरों की पहचान का दावा किया है। एसपी पश्चिम ने प्राचार्य के माध्यम से तीनों को स्वरूपनगर सीओ के सामने पेश होने का नोटिस भेजा है। सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध मिलने वालों की पहचान कराई गई। एसपी पश्चिम के मुताबिक डा.सचिन अवस्थी, डा.संजय कुमार, डा. प्रशांत त्रिपाठी का नाम सामने आ रहा है।
मरीजों पर भारी पड़ रही डाक्टरों की हड़ताल
मरीजों पर भारी पड़ रही डाक्टरों की हड़ताल
लखनऊ। पिटाई तथा अभद्रता के खिलाफ कानपुर में सपा विधायक तथा पुलिस
अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर सूबे में चिकित्सक काफी आक्रोशित
हैं। प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज के चिकित्सक तो हड़ताल पर हैं ही, इनके
समर्थन में आज एसजीपीजीआई की हड़ताल पर उतर आए। उधर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
ने मामले की जांच कराने का आदेश दिया है। इस हड़ताल का असर उत्तर प्रदेश के सभी जिलों पर दिख रहा है। अब तक करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनों लोग मौत से संघर्ष कर रहे हैं। अलीगढ़ से लेकर चंदौली तक डाक्टर हड़ताल पर है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आ²वान पर मेरठ, बरेली, इलाहाबाद, कानपुर, आगरा, गोरखपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, वाराणसी, झांसी के साथ अन्य जिलों में तो प्राइवेट अस्पतालों में भी हड़ताल का असर दिख रहा है।
लखनऊ में चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में आज भी कामकाज पूरी तरह से ठप कर दिया। पीजीआई के चिकित्सक भी हड़ताल पर चले गए हैं। राजधानी की चिकित्सा व्यवस्था लडख़ड़ा गई है। डॉक्टरों की बैठक दोपहर दो बजे होगी, जिसमे आगे की रणनीति तय की जाएगी। केजीएमयू चिकित्सकों ने विश्वविद्यालय के सभी गेटों पर तालाबंदी कर दी और ट्रामा सेंटर से मरीजों को डिस्चार्ज करना शुरू कर दिया। विभागों में ओपीडी बंद करा दी गई। जूनियर डाक्टरों की रोष देखते हुए आपरेशन टाल दिए गए। जिसके बाद मरीजों में हड़कंप मच गया।
इस स्थिति को काबू में करने के लिए चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति ने गेट के ताले तुड़वा कर ओपीडी शुरू कराने का प्रयास भी किया लेकिन कार्रवाई होने तक डाक्टर काम पर लौटने को तैयार नहीं थे। डाक्टरों ने मरीजों से अन्य अस्पताल -नर्सिंग होम में उपचार कराने की सलाह दी है। मरीजों के मेडिकल कालेज से डिस्चार्ज किया जा रहा था, जिससे स्थिति काफी विकट हो गई थी।
इलाहाबाद में मोतीलाल नेहरु चिकित्सा विज्ञान संस्थान के छात्रों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है। सुबह आठ बजे ही जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों ने स्वरूपरानी नेहरू मंडलीय चिकित्सालय मं पर्चा बनने के काउंटर बंद करा दिए और बाहर से आए मरीज व परिवारीजन को अस्पताल से बाहर कर तालाबंदी कर दी। मेडिकल छात्रों ने पूरे चिकित्सा व्यवस्था को ठप करने के लिए अस्पताल परिसर में घूमकर तालाबंदी कराई। एसआरएन पहुंचे प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ बैठक कर रहे थे तो वहीं बाहर जूनियर डॉक्टर और मेडिकल छात्र नारेबाजी करते रहे। हड़तालियों ने कॉलेज प्राचार्य से मेडिकल छात्रों और जूनियर डॉक्टरों ने प्रदेश सरकार का पुतला फूंका और कानपुर के एसएसपी और विधायक को बर्खास्त करने की मांग की। वहीं वार्ड में भर्ती मरीजों की जांच पड़ताल के लिए भी चिकित्सक नहीं पहुंचे। मरीज नर्स और वार्ड ब्वाय के भरोसे हैं। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का दावा है कि पहले से भर्ती मरीजों की पूरी देखभाल की जा रही है। हड़ताल को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का समर्थन हासिल है। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से भी हड़ताल कर रहे चिकित्सकों-छात्रों को समर्थन दिया गया है।
क्या था मामला
कानपुर में 28 फरवरी को मेडिकल कालेज के बाहर दवा ले रहे बुजुर्ग को पीटने से रोकने पर जूनियर डॉक्टरों की सपा विधायक तथा उनके समर्थकों से भिड़ंत हो गई। जूनियर डॉक्टरों ने विधायक तथा उनके समर्थकों को पीटने के साथ तमाम वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस के भी अभद्रता करने पर डॉक्टरों ने छात्रावास की छत से पथराव किया। पुलिस पिटाई से टीचरों समेत कई जूनियर डाक्टर भी घायल हो गए।
इसके बाद ड्यूटी कर रहे जूनियर डॉक्टर भी चले गये जिससे इमरजेंसी सेवाएं ठप हो गयीं। वाडरें में भर्ती गंभीर मरीजों की स्थिति भी बिगड़ गयी। वहीं मारपीट में घायल इरफान समर्थकों को मेडिकल कराने के लिए उर्सला अस्पताल भेजा गया। अस्पताल में पहुंचने पर उनका डॉक्टरों से विवाद हो गया जिस पर सपाइयों ने यहां भी उपद्रव किया।
बेटे की गिरफ्तारी पर सपा से इस्तीफा
वाराणसी के रहने वाले एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्र रोहित सोनकर की बर्बरता पूर्वक पिटाई और गिरफ्तारी के विरोध में उनके पिता डॉ. विनोद सोनकर ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वह वाराणसी के जिला सचिव थे। रोहित के पिता डॉ. विनोद सोनकर ने बताया उन्होंने कई बड़े सपा नेताओं से गुहार लगाई पर सभी ने उन्हें भगा दिया। यहां तक की कानपुर पुलिस ने भी उनके साथ अभ्रदता की। पेशे से व्यापारी डॉ. विनोद सोनकर ने बताया कि उन्होंने घटना से दुखी होकर तत्काल समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
कानपुर के डॉक्टरों की पिटाई की जांच होगी: अखिलेश
कानपुर में डॉक्टरों तथा सपा विधायक इरफान सोलंकी के समर्थकों के बीच संघर्ष को भाजपा के मुद्दा बना लेने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले की जांच कराने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने आज कन्नौज में एक जनसभा के बाद इस मामले की जांच की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कानपुर कांड की विस्तृत जांच होगी। इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई भी होगी। इस बीच आज उत्तर प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज में मामले की जानकारी लेने जाएंगे।
हड़तालियों को नहीं मना सके सरकार के दूत
हड़तालियों को नहीं मना सके सरकार के दूत
कानपुर, [जासं]। सपा नेता व जूनियर डॉक्टरों के बीच विवाद के चलते तीन
दिनों से स्वास्थ्य सेवाएं बंद किए हड़तालियों को अखिलेश सरकार के दूत नहीं
मना सके। सोमवार को विशेष सचिव, चिकित्सा शिक्षा अरविंदम भट्टाचार्य व
महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण डॉ. केके गुप्ता मामले का हल
निकालने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर पहुंचे। लेकिन जूनियर डाक्टरों की
व्यथा के बजाए मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों की चिकित्सा सुविधाएं बहाल कराने
की उनकी प्राथमिकता पर फैकल्टी व जूनियर डॉक्टर भड़क गए और उन्होंने हड़ताल
खत्म करने से इन्कार कर दिया। इस दौरान इलाज के अभाव में तीन और मरीजों ने
दम तोड़ दिया। जबकि महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को तीन सौ डाक्टरों ने
सामूहिक रूप से इस्तीफे सौंप दिए। हड़तालियों पर दबाव बनाने के लिए पुलिस ने आइएमए अध्यक्ष डॉ. आरती लाल चंदानी व उनके पति डॉ. देवेंद्र लाल चंदानी के खिलाफ मरीज न देखने पर गैर इरादतन हत्या का मामला चमनगंज एवं बर्रा थाने में दर्ज कराया। दूत के रूप में गए विशेष सचिव और महानिदेशक ने प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार से बातचीत की और कानुपर के हैलट अस्पताल की इमरजेंसी का जायजा लिया। मेडिकल छात्रों द्वारा समस्या का निदान किए जाने की मांग पर उन्होंने कहा कि पहले चिकित्सीय सेवाएं शुरू करें, उसके बाद कोई बातचीत होगी। पिछले तीन दिनों में इलाज के अभाव में 16 मौतों से प्रदेश में हड़कंप मच गया है। उधर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के रेजीडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को हड़ताल का मुद्दा बदलते हुए एम्स की मांग कर दी।
शासन कराएगा प्रकरण की जांच : अखिलेश
कन्नौज। कानपुर में सपा विधायक इरफान सोलंकी व जूनियर डॉक्टरों के बीच मारपीट के बाद पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल से चिंतित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को मामले की जांच कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसी पक्ष का नाम लिए बगैर अखिलेश ने कहा कि प्रकरण में यदि किसी को कोई आपत्ति है तो वह सरकार के सामने अपना पक्ष रख सकता है। सरकार की प्राथमिकता मरीज का इलाज कराना है।
हड़ताल नहीं टूटी तो होगी कार्रवाई
हड़ताल नहीं टूटी तो होगी कार्रवाई
कानपुर। हैलट अस्पताल में हड़ताल के कारण मरीजों की लगातार मौतें होते
देखकर प्रशासन हर हाल में हड़ताल खत्म कराना चाहता है। रविवार को मंडलायुक्त
मो. इफ्तिखारुद्दीन ने मेडिकल कालेज प्राचार्य व वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ
बैठक कर उन चिकित्सकों की सूची मांगी जो काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं।
मंडलायुक्त ने कहा कि हड़ताल जारी रही तो चिकित्सकों पर कार्रवाई करना
मजबूरी होगी। मंडलायुक्त ने बैठक में डीएम और डीआईजी से कहा कि मेडिकल छात्रों की जो उचित मांगें हैं, उन पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि प्रशासन व पुलिस उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार से कहा कि मुख्य चिकित्साधीक्षक व फैकल्टी चिकित्सकों से मरीजों का इलाज कराएं।
जो चिकित्सक हड़ताल खत्म करने के लिए राजी न हों उनकी सूची उन्हें दें। इसके अलावा मेडिकल कालेज के जो अन्य मुद्दे हैं, उनको 15 दिन में बैठक कर निस्तारित कराया जाए। बैठक में तय हुआ कि जो भी चिकित्सक ओपीडी व इमरजेंसी में ड्यूटी पर रहेंगे उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम होगा। आईजी जोन सुनील गुप्ता ने कहा कि जूनियर डाक्टरों की जो जायज मांगें हैं, उनका समाधान जरूरी है।
बैठक में डीआईजी आरके चतुर्वेदी, डीएम डॉ. रोशन जैकब, एसएसपी यशस्वी यादव, एडीएम सिटी अविनाश सिंह, सीएमओ डॉ. आरपी यादव उपस्थित थे।
हैलट में सुरक्षा के लिए दो एसीएम की तैनातीजिलाधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने हड़ताल छोड़कर काम पर लौटने वाले चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए हैलट अस्पताल में दो एसीएम की ड्यूटी लगाई है। उन्होंने हाल में एसीएम पांच दयानंद सरस्वती और एसीएम छह राजेंद्र त्रिपाठी को तैनात किया है।
मंडलायुक्त के यहां हुई बैठक के बाद जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने हड़ताल कर रहे कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों को उनकी इमरजेंसी और ओपीडी सेवाओं में तैनाती किए जाने की जानकारी देकर काम पर लौटने को कहा। इस नोटिस को फिलहाल डॉक्टरों ने नहीं लिया है।
लेकिन प्रशासन नें काम पर लौटने वाले चिकित्सकों को हड़तालियों से सुरक्षा प्रदान करने के कड़े इंतजाम सुनिश्चित किए हैं।
राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को बताएंगे बर्बरता
राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को बताएंगे बर्बरता
कानपुर, जागरण संवाददाता। मेडिकल कालेज के जूनियर डॉक्टरों एवं शिक्षकों
पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के बारे में आईएमए द्वारा राष्ट्रपति व
प्रधानमंत्री के साथ मानवाधिकार आयोग को अवगत कराएगा। हैलट के बवाल में
पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई से राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एवं
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को अवगत कराने के लिए आईएमए एवं जूनियर
डॉक्टर एसोसिएशन का तीन सदस्यीय दल रविवार रात दिल्ली रवाना हो गया। दल में
डॉ. आशा कुमार, डॉ. विनय कुमार एवं डॉ. गौरव पांडेय शामिल हैं। ये डॉक्टर सोमवार को आईएमए अध्यक्ष डॉ. अजय लेखी से मुलाकात करेंगे। डॉ. लेखी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री से समय ले रखा है। डॉक्टरों का दल जिला प्रशासन द्वार मेडिकल कालेज प्राचार्य पर दबाव बनाने, छात्रों को बंधक बनाने उनके परिजनों को धमकाने एवं जमानत पत्र पर दबाव बनाकर जबरन हस्ताक्षर करने के प्रयास से भी अवगत कराएगा।
आइएमए ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को बताई हकीकत:-मेडिकल कालेज के प्राचार्य एवं आईएमए अध्यक्ष ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को मेडिकल कालेज में हुई घटना की हकीकत बताई है। मेडिकल कालेज में जूनियर डॉक्टरों के हास्टल में हुए पुलिसिया तांडव की एवं 24 निर्दोष डॉक्टरों को जेल भेजने की विस्तृत रिपोर्ट प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा बीएस भुल्लर एवं डीजीएमई डॉ. केके गुप्ता को भेजी है। आईएमए अध्यक्ष डॉ. आरती लाल चंदानी ने बताया पूरे प्रकरण की जानकारी डीजीमई डॉ. केके गुप्ता एवं प्रमुख सचिव बीएस भुल्लर को दी है। उनके मुताबिक श्री भुल्लर ने प्रमुख सचिव एवं गृह सचिव को मामले की जानकारी देकर एसएसपी पर कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
स्थगित हो सकते हैं एग्जाम:-
गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक मेडिकल कालेज के जूनियर डॉक्टरों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई एवं 24 डॉक्टरों की गिरफ्तारी के विरोध में हड़ताल पर जाने से एमबीबीएस परीक्षाएं स्थगित हो सकती हैं। शिक्षकों का कहना है कि जब छात्रों का भविष्य ही दावं पर है तो परीक्षा का सवाल कहां से उठता है। मेडिकल कालेज के ई 2 के छात्रों की परीक्षा शनिवार को थी। परंतु पुलिस द्वारा जूनियर डॉक्टरों को गिरफ्तार किये जाने से वह परीक्षा देने से वंचित हो गये थे। सूत्र बताते हैं कि शासन ने परीक्षाएं स्थगित करने का निर्णय लिया है।
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