केदारनाथ: कंकाल का मिलना जारी, अब तक मिले 20,जंगलचट्टी में पुलिस का सर्च आपरेशन जारी
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केदारनाथ में साल भर बाद भी खौफ का मंजर, 100 से ज्यादा नरकंकाल मिलने का दावा
जंगलचट्टी में पुलिस का सर्च आपरेशन जारी
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी के जंगल
में नर कंकाल और शवों के मिलने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को पुलिस ने
शाम छह बजे से सात बजे बीच नौ नर कंकाल और तीन सड़े-गले शव बरामद किए हैं।
इसके बाद श्ानिवार को भी पुलिस ने 6 कंकाल और खोज निकाले है। इसके बाद
तीन दिनों में अब तक 20 कंकाल मिल चुके हैं।
सभी कंकाल और शव गौरीकुंड से तीन किमी ऊपर चीरवासा से करीब सौ मीटर की दूरी पर घने जंगल में मिले हैं। शनिवार को डीएनए सैंपल लेने के बाद मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गौरतलब है कि दो दिन पहले जंगलचट्टी के जंगलों से पांच कंकाल मिलने के बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था।
सभी कंकाल और शव गौरीकुंड से तीन किमी ऊपर चीरवासा से करीब सौ मीटर की दूरी पर घने जंगल में मिले हैं। शनिवार को डीएनए सैंपल लेने के बाद मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गौरतलब है कि दो दिन पहले जंगलचट्टी के जंगलों से पांच कंकाल मिलने के बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था।
आपदा के दौरान जंगलों में गए थे लोग
ग्रामीणों की ओर से जंगलचट्टी के जंगलों में कंकाल
और शव पड़े होने की सूचना मिलने पर पुलिस क्षेत्राधिकारी स्वतंत्र कुमार के
नेतृत्व में सर्च आपरेशन चलाया गया।
सीओ ने बताया कि सभी कंकाल और शव घनी झाड़ियों के बीच पड़े थे और इनके आसपास कपड़े, बर्तन, जूते-चप्पल बिखरे पड़े थे। शव बुरी तरह सड़-गल चुके हैं।
माना जा रहा है कि आपदा के दौरान बचाव के लिए तमाम लोग जंगलचट्टी के जंगलों में चले गए थे और वहां आपदा के दौरान इनकी मौत हो गई।
सीओ ने बताया कि सभी कंकाल और शव घनी झाड़ियों के बीच पड़े थे और इनके आसपास कपड़े, बर्तन, जूते-चप्पल बिखरे पड़े थे। शव बुरी तरह सड़-गल चुके हैं।
माना जा रहा है कि आपदा के दौरान बचाव के लिए तमाम लोग जंगलचट्टी के जंगलों में चले गए थे और वहां आपदा के दौरान इनकी मौत हो गई।
11 जून को मिले थे पांच कंकाल
बता दें कि लुधियाना निवासी संदीप कुमार का 10
वर्षीय पुत्र पिछले साल आपदा के दौरान बिछुड़ गया था। 11 जून को संदीप अपने
पुत्र की तलाश में जंगलचट्टी के जंगलों में पहुंचा।
संदीप पुलिस की मदद से उसी लोकेशन में अपने बेटे की तलाश करने पहुंचे जहां वह बिछुड़ गया था। इस दौरान पुलिस को जंगल में पांच नर कंकाल पड़े मिले, जिनका डीएनए सैंपल लेने के बाद दाह संस्कार कर दिया गया।
संदीप ने पुलिस को बताया कि घटना के दिन जंगलचट्टी गदेरे के समीप घने जंगल में कई लोग फंसे थे।
संदीप पुलिस की मदद से उसी लोकेशन में अपने बेटे की तलाश करने पहुंचे जहां वह बिछुड़ गया था। इस दौरान पुलिस को जंगल में पांच नर कंकाल पड़े मिले, जिनका डीएनए सैंपल लेने के बाद दाह संस्कार कर दिया गया।
संदीप ने पुलिस को बताया कि घटना के दिन जंगलचट्टी गदेरे के समीप घने जंगल में कई लोग फंसे थे।
सर्च ऑपरेशन पर भी उठने लगे सवाल
केदारनाथ त्रासदी के बाद पुलिस और आर्मी की टीमों ने केदारघाटी के जंगलों में लापता लोगों की खोज के लिए सर्च ऑपरेशन भी चलाया था।
टीमों ने केदारनाथ-गोमकारा-त्रियुगीनारायण होते हुए सोनप्रयाग, केदारनाथ पैदल मार्ग पर दोनों ओर, चौमासी-खामममणी रूट पर कांबिंग करने का दावा किया था।
टीमों ने केदारनाथ-गोमकारा-त्रियुगीनारायण होते हुए सोनप्रयाग, केदारनाथ पैदल मार्ग पर दोनों ओर, चौमासी-खामममणी रूट पर कांबिंग करने का दावा किया था।
केदारनाथ में साल भर बाद भी खौफ का मंजर, 100 से ज्यादा नरकंकाल मिलने का दावा
रुद्रप्रयाग. उत्तराखंड में पिछले साल आई भयानक तबाही के एक
साल पूरे होने को हैं, लेकिन तबाही और खौफ के मंजर अभी भी मौजूद हैं।
केदारनाथ यात्रा के दौरान मारे गए हजारों लोगों के शवों के मिलने का
सिलसिला जारी है। शुक्रवार को केदारनाथ के पास जंगलचट्टी में एक दर्जन से
ज्यादा नरकंकाल मिले। उधर, एक न्यूज चैनल ने दावा किया कि इलाके में 100
से ज्यादा नरकंकाल हो सकते हैं। उत्तराखंड में पिछले साल 16-17 जून के
बीच बादल फटने के बाद बाढ़ और भूस्खलन से हजारों की मौत हो गई थी।
नरकंकालों के मिलने के बाद उत्तराखंड सरकार एक बार फिर सवालों के
घेरे में है। ऐसा इसलिए, क्योंकि सरकार की तरफ से मृतकों का जो आंकड़ा पेश
किया गया था, अब वह बढ़ सकता है। हालांकि, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
हरीश रावत ने कहा कि सरकार ने ऐसा कभी नहीं कहा था कि मृतकों का आंकड़ा
अंतिम है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के स्तर पर कभी यह दावा नहीं किया
गया कि क्षेत्र में अब कोई शव नहीं है। गौरतलब है कि केदारघाटी में अभी तक
600 से ज्यादा शव मिल चुके हैं।
जारी रहेगा सर्च अभियान
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ. राघव लंगर ने कंकालों के मिलने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि शनिवार को इन शवों का डीएनए सुरक्षित रख अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। इससे पहले कंकाल मिलने की सूचना पर प्रशासन ने गौरीकुंड से पुलिस की एक टीम मौके पर भेजी। जिलाधिकारी के मुताबिक, इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी रहेगा। हरीश रावत ने कहा कि आपदा का प्रभाव बड़े क्षेत्र में था और लापता लोगों की खोज के लिए अभी भी पुलिस उप महानिरीक्षक के नेतृत्व में कॉम्बिग लगातार जारी है। रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक बीजे सिंह ने बताया कि सूचना के आधार पर गौरीकुंड से एक पुलिस टीम जंगलचट्टी भेजी गई। देर शाम सर्च ऑपरेशन कर रही टीम ने कंकाल मिलने की पुष्टि कर दी।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ. राघव लंगर ने कंकालों के मिलने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि शनिवार को इन शवों का डीएनए सुरक्षित रख अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। इससे पहले कंकाल मिलने की सूचना पर प्रशासन ने गौरीकुंड से पुलिस की एक टीम मौके पर भेजी। जिलाधिकारी के मुताबिक, इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी रहेगा। हरीश रावत ने कहा कि आपदा का प्रभाव बड़े क्षेत्र में था और लापता लोगों की खोज के लिए अभी भी पुलिस उप महानिरीक्षक के नेतृत्व में कॉम्बिग लगातार जारी है। रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक बीजे सिंह ने बताया कि सूचना के आधार पर गौरीकुंड से एक पुलिस टीम जंगलचट्टी भेजी गई। देर शाम सर्च ऑपरेशन कर रही टीम ने कंकाल मिलने की पुष्टि कर दी।
विपक्ष ने मांगा इस्तीफा
उत्तराखंड में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने नरकंकाल मिलने का मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा, 'पिछले साल अक्टूबर में मैंने प्रभावित क्षेत्रों में नरकंकाल होने की बात कही थी, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था। अब मेरी बात की पुष्टि हो गई है। मुख्यमंत्री को विशेषज्ञों के माध्यम से आपदा प्रभावित क्षेत्र की फिर से जांच करानी चाहिए और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।' भट्ट ने कहा कि आपदा प्रभावितों को राहत देने के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिए गए, प्रभावित आज भी दाने-दाने को मोहताज हैं। वहीं, सरकार कैबिनेट बैठक और विस सत्र की नौटंकी कर जनता के धन का दुरुपयोग कर रही है।
उत्तराखंड में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने नरकंकाल मिलने का मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा, 'पिछले साल अक्टूबर में मैंने प्रभावित क्षेत्रों में नरकंकाल होने की बात कही थी, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था। अब मेरी बात की पुष्टि हो गई है। मुख्यमंत्री को विशेषज्ञों के माध्यम से आपदा प्रभावित क्षेत्र की फिर से जांच करानी चाहिए और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।' भट्ट ने कहा कि आपदा प्रभावितों को राहत देने के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिए गए, प्रभावित आज भी दाने-दाने को मोहताज हैं। वहीं, सरकार कैबिनेट बैठक और विस सत्र की नौटंकी कर जनता के धन का दुरुपयोग कर रही है।
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