Sunday, 8 June 2014

दिल्‍ली में भीषण गर्मी, टूटा 62 साल का रिकॉर्ड

दिल्‍ली में भीषण गर्मी, टूटा 62 साल का रिकॉर्ड

नई दिल्‍ली, 8 जून 2014 
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जून के महीने में गर्मी तो हर साल पड़ती है लेकिन यह रिकॉर्ड टूटने का साल है. राजधानी दिल्ली के पालम इलाके में रविवार दोपहर पारा 47 डिग्री के पार पहुंच गया. दिल्‍ली में प्रचंड गर्मी ने इस तरह 62 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. जयपुर में पारा 46 डिग्री के पार रहा, जबकि चुरू में 47.6 डिग्री सेल्सियस और पाली में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया. तेज गर्मी के साथ वातावरण में छाई धूल लोगों की परेशानी दोगुना कर रही है. थार रेगिस्तान से आ रही गरम हवाएं राजस्थान को तपा रही हैं तो वही हवाएं दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक गर्मी के लहर लेकर जा रही हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ में 62 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. पारा 46 डिग्री के पार पहुंच गया है. राज्‍य के बाकी जिलों में भी सूरत देवता का तेज बरकरार है.




































मध्य प्रदेश में भी रिकॉर्ड लगातार टूट रहे हैं. भोपाल में 48 साल का रिकॉर्ड टूट गया. कई जिले गर्मी से प्रभावित है. बिहार में भी गर्मी लोगों पर हावी है. ऊपर से घरों से बिजली नदारद लिहाजा जिसे जो समझ में आ रहा है वो कर रहा है. कुछ लोगों का सहारा तो पार्क बना है. जानकारों के मुताबिक हर राज्य में तापमान सामान्य के मुकाबले 4 से 6 डिग्री सेल्सियस ऊपर है. मैदान तो मैदान अब तो गर्मी पहाड़ों पर भी बढ़ गई है. मौसम विभाग के मुताबिक जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी तापमान सामान्य के मुकाबले 2 से 3 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच रहे हैं. अगले कुछ दिनों तक हाल ऐसा ही रहेंगे.
मानसून में देरी बढ़ी तो नुकसान बढ़ जाएगा
गर्मी की मार झेल रहे हर एक व्यक्ति को यहीं लग रहा है कि आखिरकार ठंडी मई के बाद उबलता जून क्यों? इस सवाल में ही जवाब छुपा हुआ है. मई का महीना आमतौर पर साल का सबसे गरम महीना होता है. मई के महीने में गर्मी की वजह से भारतीय उपमहाद्वीप पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है मौसम विज्ञान की भाषा में इसे 'हीट लो' कहते हैं. इस 'हीट लो' यानी मई की गर्मी से मॉनसून की हवाओं को ताकत मिलती है जो तेजी से भारत की तरफ बढ़ती हैं और मई खत्म होते-होते केरल में झमाझम बारिश देना शुरू कर देती हैं. लेकिन न इस बार मई में उतनी गर्मी पड़ी न मानसून ने तेजी पकड़ी. केरल में मानसून 1 जून के बजाए 6 जून को पहुंचा.
पाकिस्‍तान से आ रही गरम हवाएं
कमजोर मानसून की आहट से पाकिस्तान की तरफ से आने वाली गरम पछुआ हवाओं ने तेजी पकड़ी और राजस्थान समेत पूरे उत्तर पश्चिम भारत को अपनी चपेट में ले लिया. ऐसे में जून की शुरुआत में ही पारा तेजी से ऊपर चढ़ना शुरू हो गया. यह स्थिति अभी भी बनी हुई है और इस वजह से भीषण गर्मी से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है. मौसम के जानकारों का कहना है कि पछुआ हवाओं की रफ्तार में लगाम तभी लग सकती है जब मानसून दोबारा तेजी पकड़े और उत्तर भारत में नम हवाएं पहुंच कर झमाझम बारिश करें.
दूसरी ओर, केरल में हल्की हारिश बारिश ने पूरे देश, खासकर उत्तर भारत के लोगों की 'प्यास' बढ़ा दी है. सबके मन में यही सवाल है कि आग उगलते सूरज की गर्मी से कब मिलेगी राहत? लेकिन सच्चाई यह है कि मानसून केरल के तटीय इलाके से आगे नहीं बढ़ रही है. जानकार कहते है मानसून का आगाज ठीक नहीं है, लिहाजा को लेकर डर बढ़ने लगा है. अमूमन मानसून के दस्तक के बाद केरल के तटीय इलाकों में भारी बारिश होती है, लेकिन इस बार महज 1 सेमी से लेकर 4 सेमी तक ही बारिश हुई है.
क्‍या है कम बारिश के पीछे की वजह
जानकारों के मुताबिक मानसून की बारिश कमजोर रहने की आशंका के पीछे प्रशांत महासागर में बन रहे अल नीनो का हाथ है. दरअसल, दुनियाभर का मौसम समंदर के पानी और वायुमंडल के बीच होने वाले मेलमिलाप का नतीजा है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत का मानसून हजारों किलोमीटर की दूरी पर मौजूद भूमध्यरेखा से चलने वाली हवाओं का नतीजा है. जब यहां प्रशांत महासागर की सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा होता है तो इस स्थिति को लैटिन में अल नीनो कहते हैं.
अल नीनो का असर मानसून पर दिखने की आशंका ज्यादा है. ऐसे में मानसून की देरी से शुरुआत और उसके बाद रफ्तार पर लगाम लगना अच्छे दिनों के संकेत तो कतई नहीं माने जा सकते हैं. लिहाजा अरब सागर में हो रहे एक एक बदलाव पर मौसम वैज्ञानिक अपनी पैनी नजर रखे हुए हैं.

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