Thursday 10 April 2014

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने की आइएमएफ और विश्व बैंक की आलोचना , कहा:इन संस्थानों में आकलन के शुरुआती चरण में राजनीतिक दबावों का असर,राजन आरबीआइ के गवर्नर बनने से पहले खुद आइएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं



भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने की आइएमएफ और विश्व बैंक की आलोचना ,  कहा:इन संस्थानों में आकलन के शुरुआती चरण में राजनीतिक दबावों का असर,राजन आरबीआइ के गवर्नर बनने से पहले खुद आइएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने की आइएमएफ और विश्व बैंक की आलोचना

Fri, 11 Apr 2014 02:08 AM (IST)




 
राजन ने की आइएमएफ और विश्व बैंक की आलोचना
वाशिंगटन। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और विश्व बैंक की आलोचना की है। राजन का कहना है कि इन संस्थानों में आकलन के शुरुआती चरण में राजनीतिक दबावों का असर पड़ता है। राजन आरबीआइ के गवर्नर बनने से पहले खुद आइएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं।
राजन ने कहा कि बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों के अधिकारी स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम हैं लेकिन इन संस्थानों के आकलन के शुरुआती चरण में राजनीतिक दवाबों का असर रहता है। ये संस्थान भले ही राजनीतिक प्रभाव से दूर हों लेकिन राजनीतिक सोच के असर से अछूते नहीं रहते। वर्ष 2008 के वित्तीय संकट का पूर्वानुमान लगाने के लिए विख्यात राजन ने कहा कि आदर्श स्थिति के लिए आइएमएफ और विश्व बैंक को परंपरा से हटकर मौद्रिक नीतियां अपनानी चाहिए और पूरी दुनिया पर उनके असर का आकलन करना चाहिए।
अमेरिकी थिंक टैंक ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन में मौद्रिक नीतियों को लेकर अपने संबोधन में राजन ने यह राय जताई। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता नीतियों के असर का सही विश्लेषण कर सकता है और यह निर्णय दे सकता है कि वे नियमों के अनुरूप चल रहे हैं या नहीं। जिन नीतियों का असर घरेलू स्तर पर मिलता है लेकिन इनकी कीमत दूसरे देशों को चुकानी पड़ती है उनकी सावधानी से निगरानी की जानी चाहिए।

नरम मौद्रिक नीति बीमारी की वजह है, दवा नहीं: राजन
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को कहा कि अधिक उदार मौद्रिक नीति से सतत वृद्धि को मदद मिलने के बजाए अर्थव्यवस्था के लिए अधिक दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। राजन ने वाशिंगटन में ब्रूकिंग इंस्टीट्यूशन के समारोह में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि सही दवा लिखने की दिशा में पहला कदम बीमारी की वजह पकड़ना है। मौद्रिक नीति में बहुत ज्यादा नरमी मेरे विचार में दवा के बजाय बीमारी की वजह अधिक बनेगी। उन्होंने कहा कि जितना जल्दी हम इसे मान लेंगे उतनी ही सतत वैश्विक वृद्धि हासिल कर पाएंगे।

यहां जारी बयान के अनुसार राजन ने फरवरी में सिडनी में अपने उस बयान को भी दोहराया जिसमें उन्होंने विकसित तथा उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं के बीच अधिक समन्वित मौद्रिक नीति कदमों का आह्वान किया था।

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