Friday, 11 April 2014

खुलासा ON PMO INDIA: सोनिया के पास जाती थी PMO की अहम फाइलें,पीएमओ के फैसलों पर सोनिया से निर्देश मांगे जाते थे: प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू :::: मनमोहन थे सिर्फ दिखावे के पीएम, सोनिया चलाती थीं सरकार

खुलासा ON PMO INDIA: 
सोनिया के पास जाती थी PMO की अहम फाइलें,पीएमओ के फैसलों पर सोनिया से निर्देश मांगे जाते थे: प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू 
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मनमोहन थे सिर्फ दिखावे के पीएम, सोनिया चलाती थीं सरकार
नई दिल्ली, एजेंसी
12-04-14 09:02 AM

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प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब में इस दावे पर विवाद शुरू हो गया है कि प्रधान सचिव पुलक चटर्जी प्रधानमंत्री से मंजूर कराई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण फाइलों पर सोनिया गांधी से निर्देश लेते थे।
बारू ने अपनी किताब पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा उनकी आलोचना करते हुए जारी बयान को हास्यास्पद करार दिया। बारू ने कहा कि उनकी किताब संप्रग-1 सरकार का संतुलित लेखाजोखा है और उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार की अनेक उपलब्धियों को दर्ज किया है और 2009 में दूसरा कार्यकाल पाने वाली उनकी सरकार की सफलताएं गिनाई है। उन्होंने अपनी किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर-द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' में लिखा है, सोनिया गांधी के कहने पर मनमोहन सिंह के पीएमओ में शामिल किये गये पुलक नियमित रूप से, लगभग हर रोज सोनिया गांधी से मिलते थे और उन्हें (सोनिया को) उस दिन के प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर जानकारी देनी होती थी और प्रधानमंत्री द्वारा मंजूर कराई जाने वाली महत्वपूर्ण फाइलों पर निर्देश मांगने होते थे। बारू ने कहा कि दरअसल पुलक प्रधानमंत्री और सोनिया के बीच नियमित संपर्क की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी थे। वह सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय सलाहकार समिति एनएसी के साथ संपर्क के लिए भी पीएमओ के मुख्य सूत्र थे जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य हैं। इसे कई बार शैडो कैबिनेट की संज्ञा दी गयी। किताब पर उठे विवाद के बीच बारू ने कहा कि यह कोई छिपी हुई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह भलीभांति विदित है कि पुलक चटर्जी उस समय सोनिया गांधी के सचिव थे जब वह विपक्ष की नेता थीं। वह सोनिया की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ भी काम कर चुके हैं। बारू ने पीएमओ से 2008 में इस्तीफा दिया था, जबकि चटर्जी 2011 में पीएमओ पहुंचे। बारू ने कहा कि वह काफी हद तक परिवार का हिस्सा थे। मैंने यह सब देखा नहीं कि वह खुद फाइलें देखती थीं या नहीं। मुझे यह पता है कि उनसे मुद्दों पर सलाह ली जाती थी और वह उनकी सहमति लेते थे। पीएमओ ने चटर्जी द्वारा सोनिया को फाइलें दिखाने संबंधी बारू के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि यह पूरी तरह बेबुनियाद है। पीएमओ के बयान में कहा गया है, इस बात का स्पष्ट रूप से खंडन किया जाता है कि पीएमओ की कोई भी फाइल कभी भी श्रीमती सोनिया गांधी को दिखाई गयी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए कहा, कमेंट्री में एक पूर्व सलाहकार की कल्पनाओं और रंगीन विचारों को चटखारा लेते हुए पेश किया गया है। पीएमओ के सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री सिंह किताब के अंशों को लेकर बहुत दुखी हैं और उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी पीठ पर वार किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने विशेष पद का दुरुपयोग किताब लिखकर व्यावसायिक लाभ में किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने मनमोहन सिंह को तवज्जो नहीं दी। पीएमओ ने कहा कि किताब में पूर्व सलाहकार ने गल्प एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार शामिल किए हैं। इसने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में सिंह ने जब वरिष्ठ संपादकों से मुलाकात की थी तो उनसे बारू की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया था। प्रधानमंत्री ने संपादकों से कहा था कि वह जो कहते हैं उस सब पर विश्वास मत कीजिए।

पीएमओ के फैसलों पर सोनिया से निर्देश मांगे जाते थे:पुस्तक

प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब में इस दावे पर विवाद शुरू हो गया कि प्रधान सचिव पुलक चटर्जी प्रधानमंत्री से मंजूर कराई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण फाइलों पर सोनिया गांधी से निर्देश लेते थे।

बारू ने अपनी किताब पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा उनकी आलोचना करते हुए जारी बयान को हास्यास्पद करार दिया। बारू ने कहा कि उनकी किताब संप्रग-1 सरकार का संतुलित लेखाजोखा है और उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार की अनेक उपलब्धियों को दर्ज किया है और 2009 में दूसरा कार्यकाल पाने वाली उनकी सरकार की सफलताएं गिनाई है।

उन्होंने अपनी किताब द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर-द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह में लिखा है, सोनिया गांधी के कहने पर मनमोहन सिंह के पीएमओ में शामिल किये गये पुलक नियमित रूप से, लगभग हर रोज सोनिया गांधी से मिलते थे और उन्हें :सोनिया को: उस दिन के प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर जानकारी देनी होती थी और प्रधानमंत्री द्वारा मंजूर कराई जाने वाली महत्वपूर्ण फाइलों पर निर्देश मांगने होते थे।

बारू ने कहा कि दरअसल पुलक प्रधानमंत्री और सोनिया के बीच नियमित संपर्क की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी थे। वह सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय सलाहकार समिति एनएसी के साथ संपर्क के लिए भी पीएमओ के मुख्य सूत्र थे जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य हैं। इसे कई बार शैडो कैबिनेट की संज्ञा दी गयी।

किताब पर उठे विवाद के बीच बारू ने कहा कि यह कोई छिपी हुई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह भलीभांति विदित है कि पुलक चटर्जी उस समय सोनिया गांधी के सचिव थे जब वह विपक्ष की नेता थीं। वह सोनिया की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ भी काम कर चुके हैं।

बारू ने पीएमओ से 2008 में इस्तीफा दिया था, जबकि चटर्जी 2011 में पीएमओ पहुंचे। बारू ने कहा कि वह काफी हद तक परिवार का हिस्सा थे। मैंने यह सब देखा नहीं कि वह खुद फाइलें देखती थीं या नहीं। मुझे यह पता है कि उनसे मुद्दों पर सलाह ली जाती थी और वह उनकी सहमति लेते थे।

पीएमओ ने चटर्जी द्वारा सोनिया को फाइलें दिखाने संबंधी बारू के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि यह पूरी तरह बेबुनियाद है। पीएमओ के बयान में कहा गया है, इस बात का स्पष्ट रूप से खंडन किया जाता है कि पीएमओ की कोई भी फाइल कभी भी श्रीमती सोनिया गांधी को दिखाई गयी।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए कहा, कमेंट्री में एक पूर्व सलाहकार की कल्पनाओं और रंगीन विचारों को चटखारा लेते हुए पेश किया गया है।

पीएमओ के सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री सिंह किताब के अंशों को लेकर बहुत दुखी हैं और उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी पीठ पर वार किया गया है।

किताब को लेकर पीएमओ ने बारू की आलोचना की
प्रधानमंत्री कार्यालय ने पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने विशेष पद का दुरुपयोग किताब लिखकर व्यावसायिक लाभ में किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने मनमोहन सिंह को तवज्जो नहीं दी।


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बारू की किताब द एक्सीडेंटल प्राईम मिनिस्टर - द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह की कुछ विषय वस्तु के सार्वजनिक होते ही पीएमओ ने बयान जारी किया, जिसमें इसने कहा कि यह विशेष पद का दुरुपयोग करने का प्रयास है और उच्च पद का इस्तेमाल व्यावसायिक लाभ के लिए करना है।

पीएमओ ने कहा कि किताब में पूर्व सलाहकार ने गल्प एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार शामिल किए हैं। इसने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में सिंह ने जब वरिष्ठ संपादकों से मुलाकात की थी तो उनसे बारू की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया था।

प्रधानमंत्री ने संपादकों से कहा था कि वह जो कहते हैं उस सब पर विश्वास मत कीजिए।

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