Friday, 11 April 2014

अर्थव्यवस्था की सुस्ती INDIA(कर्मचारी छंटनी):ऑटोमोबाइल उद्योग में वर्ष 2013-14 में 1.5 लाख कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा

अर्थव्यवस्था की सुस्ती INDIA(कर्मचारी छंटनी):

ऑटोमोबाइल उद्योग में वर्ष 2013-14 में 1.5 लाख कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा

ऑटोमोबाइल उद्योग में घटीं 1.5 लाख नौकरियां

Fri, 11 Apr 2014 10:19 PM (IST)
 Automobile industry | sales of vehicle | Jobs | attrition |

नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की सुस्ती से मांग में कमी का सामना कर रहे ऑटो उद्योग के 1.5 लाख कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। वाहनों की बिक्री में लगातार दो साल से गिरावट के कारण ऑटोमोबाइल उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ठेका और अस्थायी कर्मचारी छंटनी के सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। घरेलू बाजार में कारों की बिक्री वित्त वर्ष 2013-14 में 4.65 फीसद घटी है।
ऑटो उद्योग के संगठन 'सियाम' के मुताबिक बीते वित्त वर्ष में घरेलू बाजार में 17 लाख 86 हजार 899 कारें बेची गईं। इससे पिछले साल 18 लाख 74 हजार 55 कारें बिकी थीं। वर्ष 2012-13 में कारों की बिक्री में 6.69 फीसद की दशक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई थी। सियाम के प्रेसीडेंट विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि बीता साल उद्योग के सबसे कठिन वर्षों में से एक रहा। आर्थिक विकास दर में गिरावट, ऊंची ब्याज दरों, ईंधन की बढ़ती कीमतों और कमजोर कारोबारी विश्वास के कारण उद्योग को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
किर्लोस्कर ने कहा कि संगठन ने इसका आकलन नहीं किया है कि कितनी नौकरियां कम हुई हैं लेकिन मेरा अपना अनुमान है कि पूरे उद्योग में एक से 1.5 लाख तक रोजगार कम हुए हैं। वैसे, वित्त वर्ष 2013-14 में वाहनों की कुल बिक्री 3.53 फीसद बढ़कर एक करोड़ 84 लाख 21 हजार 538 रही है। इससे पिछले वित्त वर्ष में कुल बिक्री एक करोड़ 77 लाख 93 हजार 701 वाहन रही थी। दोपहिया वाहनों की बिक्री बीते साल 7.31 फीसद बढ़कर एक करोड़ 48 लाख पांच हजार 481 हो गई। मोटरसाइकिल बिक्री 3.91 फीसद बढ़कर एक करोड़ चार लाख लाख 79 हजार 817 रही। इस दौरान कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री 20.23 फीसद घटकर छह लाख 32 हजार 738 पर पहुंच गई।किर्लोस्कर ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं अटकने, खनन गतिविधियों पर पाबंदी लगने और अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण वाणिज्यिक वाहन सेगमेंट पर बुरा असर पड़ा है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र की अगली सरकार भी उत्पाद शुल्क में कटौती को बरकरार रखेगी। इसके अलावा टैक्स दरों में और कटौती की गुंजाइश है, क्योंकि यह उद्योग सबसे ज्यादा टैक्स वाले उद्योगों में से एक है। वर्ष 2013-14 में कारों के निर्यात में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई। इस साल पांच लाख 50 हजार 466 कारों का निर्यात हुआ। सभी वाहनों का निर्यात 7.21 फीसद बढ़कर 31 लाख सात हजार 893 के आंकड़े पर पहुंच गया।

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