Thursday, 10 April 2014

BREAKING मुद्रा संकट INDIA-:मोदी की जीत से राजन को खतरा!,भाजपा की सरकार आते ही RBI गवर्नर राजन को हटाया जा सकता है,महंगाई के मुद्दे पर RBI गवर्नर पर संकट छाया :::: आरबीआई गवर्नर ने कहा, बीजेपी के साथ मतभेद केवल मीडिया की अटकलें

BREAKING मुद्रा संकट INDIA-:मोदी की जीत से राजन को खतरा!,भाजपा की सरकार आते ही RBI गवर्नर राजन को हटाया जा सकता है,महंगाई के मुद्दे पर RBI गवर्नर पर संकट छाया

आरबीआई गवर्नर ने कहा, बीजेपी के साथ मतभेद केवल मीडिया की अटकलें


क्या रघुराम पर गिर सकता है भाजपा बम? मोदी की जीत से राजन को खतरा!

Fri, 11 Apr 2014 




 
क्या रघुराम पर गिर सकता है भाजपा बम? मोदी की जीत से राजन को खतरा!
 
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर पर राजनीतिक दबाव पड़ सकता है। यदि नरेंद्र मोदी आम चुनाव में जीते और सरकार बनाई तो महंगाई के मुद्दे पर गवर्नर पर संकट छा सकता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आर्थिक रणनीति तैयार करने वाले लोगों का मत है कि जीत के बाद आरबीआई गवर्नर के पद पर अपने सदस्य को बैठाया जाए। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले साल सितंबर में पद संभाला। राजन ऐसे वक्त पर आरबीआई में आये जब सरकार अपनी नीतियों पर असफल होने पर रिजर्व बैंक को पंचबैग की तरह इस्तेमाल कर रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री को भारत का सबसे ज्यादा सक्षम टेक्नो व्यक्ति माना जा रहा है। पिछले साल एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को मुद्रा संकट से बाहर निकालकर बड़े पैमाने पर निवेशकों का दिल जीत लिया था। एक एजेंसी की खबर के मुताबिक, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप लि. के अर्थशास्त्री ने कहा, 'अगर भाजपा की सरकार आते ही गवर्नर को हटाया जाता है तो इससे देश और विदेशी निवेशकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।'
आपको बता दें कि 51 वर्षीय राजन कांग्रेस की नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार थे। भाजपा के कोषाध्यक्ष पीयुष गोयल पहले भी कई बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी और महंगाई को लेकर राजन पर हमला बोल चुके हैं। वो भी ऐसे वक्त पर जब देश की आर्थिक वृद्धि दर एक दशक में सबसे धीमी है। राजन ने रेपो रेट को लगातार तीन बार बढ़ाकर 8 फीसद पर पहुंचा दिया है। गोयल ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि गवर्नर राजन केवल परेशानियों को बढ़ाने और ब्याज दरों में इजाफे के साथ स्थितियां बर्बाद करने का काम कर रहे हैं।
भाजपा के विचारक और पूर्व कैबिनेट मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एजेंसी को बताया, 'हम उनके जाने के लिए उपयुक्त परिस्थिति तैयार करेंगे।' दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के विश्लेषक सतीश मिश्रा ने कहा, अगर नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार गवर्नर को हटा देती है तो मुझे हैरानी नहीं होगी।' गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक के 80 साल के इतिहास में किसी भी आरबीआई गवर्नर को हटाया नहीं गया। सिर्फ दो ऐसे गवर्नर रहे जिन्होंने वित्त मंत्रालय के साथ मतभेद होने के कारण समय से पहले पद त्याग दिया था।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, बीजेपी के साथ मतभेद केवल मीडिया की अटकलें

नई दिल्‍ली, 11 अप्रैल 2014 | अपडेटेड: 18:39 IST

रघुराम राजन
रघुराम राजन
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने बीजेपी नेताओं के साथ मतभेदों को महज अटकलबाजी बताकर खारिज कर दिया और इसे मीडिया की उपज बताया. राजन का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र में अगली सरकार बीजेपी की अगुवाई में बनने के अनुमान लगाए जा रहे हैं. बीजेपी नेताओं के साथ कथित मतभेदों के बारे में टिप्पणी करते हुए राजन ने कहा कि नई सरकार के साथ मेरी किसी तरह की चर्चा नहीं हुई है. मेरी राय में मतभेद की बात मीडिया की उपज है. मेरा मानना है कि इन्हें वास्तविक मतभेदों के बजाय महज अटकलबाजी के रूप में देखा जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि बीजेपी के कुछ नेताओं ने मौजूदा आर्थिक समस्याओं से निपटने में उनकी नीतियों पर सवाल उठाया है. रिपोर्टों के अनुसार बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि हम राजन के पद छोड़ने को अनुकूल बना सकते हैं. बीजेपी के कोषाध्यक्ष पीयूष गोयल ने भी ऐसी ही राय रखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में लगातार वृद्धि को लेकर राजन की आलोचना की थी. राजन सितंबर 2013 में रिजर्व बैंक के गवर्नर बने थे और सात महीने के कार्यकाल में वे नीतिगत ब्याज दर में तीन बार वृद्धि कर चुके हैं.
इस दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर पिछले एक दशक में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. केंद्र में नई सरकार 16 मई के बाद अस्तित्व में आएगी. सरकारी वित्त के विभिन्न मानदंडों जैसे चालू खाते के घाटे (कैड) की स्थिति में सुधार, मुद्रास्फीति कम होने पर राजन ने कहा, यह सफलता रिजर्व बैंक की नहीं बल्कि पूरी तरह से वित्त मंत्रालय की है. हमने मिलकर काम किया और मेरा मानना है कि इसका एक फायदा यह हुआ कि अब वित्तीय मजबूती के मोर्चे पर पहले से बेहतर स्थिति है.


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