यूपीएससी:
UPSC में भारतीय भाषाओं की उपेक्षा, अनशन पर छात्र
'सवाल सिर्फ़ हिंदी का नहीं है'
दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ
कैंपस से सटे मुखर्जी नगर में छात्र आमरण अनशन पर बैठे हैं. इसकी वजह है
संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट की परीक्षा, जिसका
हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं के छात्र विरोध कर रहे हैं.
2013 की परीक्षा में कामयाब हुए 1122 छात्रों में सिर्फ़ 26 हिंदी माध्यम के हैं.छात्र इसके लिए 2011 में लागू हुई सी-सैट परीक्षा प्रणाली को ज़िम्मेदार मानते हैं.
पढ़ें, रिपोर्ट विस्तार से
मुखर्जी नगर के बॉयज़ हॉस्टल के दस गुना आठ फ़ीट के कमरे में बैठे जॉली मित्तल किताबों और कपड़ों के बीच पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.परीक्षा के नए स्वरूप ने जॉली जैसे छात्रों के लिए सफलता के रास्ते सीमित कर दिए हैं.
'जटिल और भ्रामक अनुवाद'
2013 की सिविल सेवा परीक्षा में सफल हिंदी छात्रों का प्रतिशत मात्र 2.3 ही है. जबकि 2003 से 2010 के बीच ऐसे छात्रों का प्रतिशत हमेशा 10 से ज़्यादा रहा है. 2009 में यह प्रतिशत 25.4 तक था.हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में परीक्षा देने वाले छात्र इसके लिए सी-सैट परीक्षा प्रणाली को ज़िम्मेदार मानते हैं.
अनशन पर बैठे नीलोत्पल निडाल कहते हैं, "मानविकी या कला वर्ग के छात्रों के लिए सी-सैट परीक्षा इसलिए मुश्किल है क्योंकि यह उनकी पृष्ठभूमि पर आधारित नहीं है. अंग्रेज़ी और गणित के छात्रों के लिए आसान है क्योंकि वे हमेशा से इसी में अभ्यास करते रहे हैं."
छात्रों की मुश्किल
2011 में मुख्य परीक्षा में बैठने वाले छात्रों में से 82.9% अंग्रेज़ी के थे. 2012 में यह संख्या 81.8% थी.
यूपी के एक गांव से तैयारी करने दिल्ली आए पंकज कुमार बताते हैं, "ग़रीब परिवार अपने बच्चों को अंग्रेज़ी स्कूल नहीं भेज पाते. न वे उन्हें इंजीनियरिंग या मेडिकल की महँगी शिक्षा दे पाते हैं. वे उन्हें सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रेरित करते हैं, पर सी-सैट ने इसे भी मुश्किल कर दिया है."
यूपीएससी की निगवेकर समिति ने 2012 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सी-सैट परीक्षा शहरी क्षेत्र के अंग्रेज़ी माध्यम के छात्रों को फ़ायदा पहुंचाती है.
सी-सैट हटाओ आंदोलन को अब सियासी समर्थन भी मिल रहा है. समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव ने इसे संसद में उठाया है.
No comments:
Post a Comment