आजम:प्रदेश में दोबारा 1992 जैसे हालात नहीं बनने देंगे
गाजियाबाद 24 अगस्त 2013 8:22 AM
उत्तर
प्रदेश में गाजियाबाद के मुरादनगर में लैपटॉप बांटने आए यूपी के संसदीय
कार्य एवं नगर विकास मंत्री आजम खां इशारों ही इशारों में विहिप को चेतावनी
दे गए।
उन्होंने मंच से साफ किया कि किसी भी प्रदेश में दोबारा से 1992 जैसे हालात बनने नहीं दिए जाएंगे। प्रदेश की फिजा बिगाड़ने वाले कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। शासन-प्रशासन पूरी तरह तैयार है। कोर्ट के आदेश का पूरी सख्ती से पालन किया जाएगा।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि देश का संविधान सबसे ऊपर है। उनका कहना था कि लोग शांति और विकास चाहते हैं, मगर कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए आम जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं।
विहिप के 70 लोगों के खिलाफ जारी हुए वारंट पर बोलते हुए आजम ने कहा कि सभी संबंधित जिलों के डीएम से रिपोर्ट मांगी गई थी। यह किसी पार्टी या सरकार का मामला नहीं है, बल्कि यह सिस्टम का हिस्सा है। अगर सिस्टम में ढील दी गई तो प्रदेश में जंगलराज हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि कानून सभी लोगों के लिए समान है। इसलिए किसी को भी कानून का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। जो लोग नफरत फैलाने की कोशिश करेंगे, उनके साथ शासन-प्रशासन सख्ती से निपटेगा। कानून व्यवस्था बनी रहे इसकी जिम्मेदारी सरकार की है। वैसे भी संविधान में बीच का कोई रास्ता नहीं होता।
उन्होंने मंच से साफ किया कि किसी भी प्रदेश में दोबारा से 1992 जैसे हालात बनने नहीं दिए जाएंगे। प्रदेश की फिजा बिगाड़ने वाले कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। शासन-प्रशासन पूरी तरह तैयार है। कोर्ट के आदेश का पूरी सख्ती से पालन किया जाएगा।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि देश का संविधान सबसे ऊपर है। उनका कहना था कि लोग शांति और विकास चाहते हैं, मगर कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए आम जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं।
विहिप के 70 लोगों के खिलाफ जारी हुए वारंट पर बोलते हुए आजम ने कहा कि सभी संबंधित जिलों के डीएम से रिपोर्ट मांगी गई थी। यह किसी पार्टी या सरकार का मामला नहीं है, बल्कि यह सिस्टम का हिस्सा है। अगर सिस्टम में ढील दी गई तो प्रदेश में जंगलराज हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि कानून सभी लोगों के लिए समान है। इसलिए किसी को भी कानून का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। जो लोग नफरत फैलाने की कोशिश करेंगे, उनके साथ शासन-प्रशासन सख्ती से निपटेगा। कानून व्यवस्था बनी रहे इसकी जिम्मेदारी सरकार की है। वैसे भी संविधान में बीच का कोई रास्ता नहीं होता।
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