Thursday, 22 August 2013

सांसदों के निलंबन प्रस्ताव पर अल्पमत में आई सरकार

सांसदों के निलंबन प्रस्ताव पर अल्पमत में आई सरकार

नई दिल्ली 23 अगस्त 2013 12:18 AM
government in minority suspend 10 mp
यूपीए सरकार का एक बड़ा दांव बृहस्पतिवार को न केवल खाली गया, बल्कि इस दांव ने उसकी साख पर एक और बट्टा भी लगा दिया।

सरकार की योजना तेलंगाना विरोध के मसले पर सत्र के पहले ही दिन से हंगामा कर रहे आंध्र प्रदेश के सांसदों को निलंबित करा कर खाद्य सुरक्षा विधेयक को पारित कराने की थी। मगर इस योजना ने सरकार की फजीहत करा दी।

लोकसभा में 10 सांसदों के निलंबन संबंधी प्रस्ताव पेश किए जाने के साथ ही भारी हंगामा शुरू हो गया।

एकजुट विपक्ष के साथ सहयोगी सपा के भी प्रस्ताव के खिलाफ खड़े हो जाने पर सरकार अल्पमत में आ गई। सभी न केवल प्रस्ताव के विरोध में उतर आए, बल्कि इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की भी मांग पर अड़ गए।

इसके बाद सदन में ऐसा हंगामा बरपा कि कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

हंगामे के कारण मत प्रक्रिया शुरू करने के बाद भी स्पीकर मीरा कुमार सदन का मत नहीं ले पाई। कहा जा रहा है कि संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ के प्रस्ताव पर आम सहमति बनाए बिना इसे पेश किए जाने के कारण सरकार की किरकिरी हुई। सरकार के इस संबंध में संपर्क साधने पर लगभग सभी दलों ने सांसदों के निलंबन का विरोध किया था।

कोलगेट मामले से जुड़ी फाइलें गायब होने के मामले में हुए हंगामे के कारण प्रश्नकाल नहीं हो पाया। शून्यकाल के दौरान सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने और इस दौरान प्रधानमंत्री के मौजूद रहने का आश्वासन देकर किसी तरह विवाद को टाला।

मगर इसके बाद जैसे ही कमलनाथ ने आंध्र के कांग्रेस के छह और टीडीपी के चार सांसदों के पूरे सत्र के लिए निलंबन का प्रस्ताव रखा, सदन में भूचाल आ गया।

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने प्रस्ताव का तीखा विरोध किया और साथ ही राजग, जदयू, सपा, द्रमुक, अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्य प्रस्ताव के विरोध में नो-नो कहते हुए चिल्लाने लगे। हंगामा इतना ज्यादा बढ़ गया कि स्पीकर ने कार्यवाही 12.45 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इसके बाद स्पीकर के चैंबर में भी इस विवाद का कोई हल नहीं निकला और सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

...और चूक गए सरकार के रणनीतिकार
यूपीए सरकार के लिए गेमचेंजर माने जाने वाले खाद्य सुरक्षा विधेयक के पारित होने की राह में सत्र के पहले ही दिन से अटक रहे रोड़े के बाद सरकार में शीर्षस्तर पर आंध्र के सांसदों के निलंबन की योजना बनी थी।

योजना यह थी कि निलंबन के बाद किसी तरह इस विधेयक पर चर्चा शुरू करा कर इसे पारित करा लिया जाए। मगर सरकार के रणनीतिकारों से चूक यह हो गई कि उसने इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं बनाई।

रणनीतिकारों को विश्वास था कि चूंकि निलंबित होने वाले सांसदों की सूची में कांग्रेस के भी सदस्यों के नाम होंगे, इसलिए विपक्ष इसका विरोध नहीं करेगा।

हालांकि सरकारी सूत्रों का दावा है कि बीते बुधवार को इस सिलसिले में भाजपा ने सहमति देने के बाद अपना वादा तोड़ दिया। फिलहाल चूंकि प्रस्ताव पर आसन ने फैसला नहीं सुनाया है, इसलिए इस मुद्दे पर विवाद जारी रहने के आसार हैं।

इन सांसदों का था निलंबन का प्रस्ताव
अनंत वेंकटरामी रेड्डी, एल राजगोपाल, जीवी हर्ष कुमार, श्रीनिवासुलू रेड्डी, अरुण वुंडावल्ली और ए साईप्रताप (सभी कांग्रेस), के नारायणराव, एम वेणुगोपाल रेड्डी, एन शिवप्रसाद और एन क्रिस्टप

क्या कहा कमलनाथ ने
सत्र के पहले दिन से ही ये सदस्य सदन में कामकाज नहीं होने दे रहे। इन सदस्यों के हंगामे के कारण जरूरी कामकाज लटके हुए हैं। इसलिए मैं इन सभी सांसदों के सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबन का प्रस्ताव रखता हूं।

सुषमा का जवाब
सारी समस्या यूपीए सरकार ने खड़ी की है। तेलंगाना निर्माण के लिए सरकार ने अनुचित तरीका अपनाया। इस कारण सदन में कामकाज प्रभावित हो रहा है। राजग कार्यकाल में भी तीन राज्य बने थे, मगर तब कहीं से विरोध के स्वर नहीं उठे थे। मैं सांसदों के निलंबन के प्रस्ताव का विरोध करती हूं।

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