Wednesday, 21 August 2013

भारत ने दिखाया अपना दम, लद्दाख में उतारा हर्क्युलिस विमान

भारत ने दिखाया अपना दम, लद्दाख में उतारा हर्क्युलिस विमान

नई दिल्ली, 21-08-13 11:49 AM

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वायु सेना ने अपनी सामरिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए मंगलवार सुबह अपना विशेष आपरेशंस  वाला विमान सी-130 जे सुपर हर्क्युलिस चीन की सीमा से महज आठ किलोमीटर की हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) पर उतार दिया।  
अकसाई चिन के ठीक सामने की इस हवाई पट्टी के पास ही अप्रैल में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी और वे 20 दिन तक वहां तंबू गाड़ कर रहे थे। वायु सेना ने विश्व की सबसे ऊंची इस हवाई पट्टी पर सुबह छह बजकर 54 पर विमान उतार दिया। सी-130 जे के वील्ड वाइपर्स स्कवेडट्वन के कमांडिंग आफिसर तेजबीर सिंह और उनके चालक दल ने सोलह हजार 641 फुट की ऊंचाई पर विमान उतारकर एक नया इतिहास रचा।  

वायु सेना की ओर से जारी एक प्रेस बयान के अनुसार विमान नेदिल्ली के पास हिंडन एयरबेस से उड़ान भरी थी और यह अकवाई चिन क्षेत्र में डीबीओ की हवाई पट्टी पर उतरा। यह हवाई पट्टी 43 साल बाद सक्रिय की गई थी और दो इंजन वाला एएन 32 विमान वहां पहली बार उतरा था। लेकिन सी-130 जे की श्रेणी के विमान ने विश्व की इस सबसे ऊंची पट्टी पर पहली बार उतरने में कामयाबी हासिल की।   डीबीआई सेना के लिए महत्वपूर्ण अग्रिम चौकी है जो प्राचीन सिल्क रूट को चीन से जोड़ती है। यह हवाई पट्टी 1962 की जंग के दौरान बनाई गई थी और 1965 तक वहां से वायु सेना के पैकेट विमान का संचालन किया गया था। एएन-32 बहुत कम वजन ले जा सकता था लेकिन अब सी-130जेके उतरने से वायु सेना ने अपनी सामरिक ताकत का प्रदर्शन किया है जो करीब 20 टन तक भार ले जा सकता है।

 इससे अब वायु सेना सरहद पर तैनात जवानों के लिए तेजी से अधिक सामग्री ले जा सकेगी। वायु सेना ने कहा कि आज की उपलब्धि से यह साबित हो गया है कि भारत अपने बेहद कठिन भूभाग में विशेष कार्रवाई विमानों की उड़ानों में सक्षम है।

भारतीय विमान वाहक पोत से घबराया चीन
बीजिंग, 21-08-13 10:50 AM


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भारत की स्वदेशी तकनीक से निर्मित विमान वाहक पोत और दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान के सबसे बड़े युद्धक पोत को चीन अपने लिए खतरा मान रहा है। चीन के सरकारी मीडिया में आई एक खबर में आरोप लगाया गया है कि कुछ देश बीजिंग की शक्ति को संतुलित करने के लिए नयी दिल्ली का समर्थन कर रहे हैं।  

ग्लोबल टाइम्स की वेबसाइट के एक लेख में कहा गया है कि भारत के आईएनएस विक्रांत और जापान के हेलीकॉप्टर वाहक का सेना में शामिल किया जाना चीन के लिए चेतावनी की भांति है। शंघाई इंस्टीटयूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के सेंटर फॉर एशिया-पेसिफिक स्टडीज के सहायक शोधार्थी लियू जोंग्यी ने लेख में लिखा है, कुछ चीनी विद्वानों का कहना है कि भारत को अभी भी पोत के लिए महत्वपूर्ण तकनीक हासिल करनी हैं और वह पोत की मरम्मत और उसमें सुधार के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहेगा। उन्होंने कहा कि लेकिन यह भी सच है कि कई देश आधुनिक हथियार विकसित करने में भारत की मदद कर रहे हैं। वह ऐसा सिर्फ लाभ के लिए नहीं बल्कि चीन की शक्ति को संतुलित करने के लिए भी कर रहे हैं। 

लेख में दावा किया गया है कि भारत पश्चिमी देशों के इरादों से अच्छी तरह वाकिफ है। भारत के कुछ नेता और मीडिया संगठन चीन को रोकने के लिए जानबूझकर भारतीय सेना को बेहतर बनाने की भूमिका पर जोर देते रहते हैं। वे पारंपरिक शक्तिओं को खुश करने के लिए ऐसा करते हैं। लेकिन साथ ही लेख में कहा गया है कि भारत के स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत को सेना में शामिल किए जाने पर खुशियां मनाई जानी चाहिए क्योंकि यह हथियारों के भारतीयकरण की ओर एक मजबूत कदम है। 

लेख में कहा गया है, यह लांच दिखाता है कि भारत सरकार को हथियारों के उत्पादन का स्वदेशीकरण करने में प्राथमिक सफलता मिल गई है। सरकार ने स्वदेशी पोत के निर्माण, अनुसंधान और विकास पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं। स्वदेशी तकनीक से बनी नाभिकीय पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के साथ इसके लांच से अगले वर्ष आम चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की स्थिति मजबूत होगी। उसमें लिखा है, ये हथियार उत्पादन का स्वदेशीकरण में भारत की सफलता को दिखाते हैं।

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