Saturday 31 August 2013

गहरे संकट में फंसी देश की अर्थव्यवस्था

गहरे संकट में फंसी देश की अर्थव्यवस्था

Updated on: Sat, 31 Aug 2013 02:45 AM (IST)
Indian Economy
गहरे संकट में फंसी देश की अर्थव्यवस्था
नई दिल्ली [जाब्यू]। अर्थव्यवस्था के गहरे संकट में फंसने की आशंका सच साबित हो रही है। सरकार की नीतिगत जड़ता और फैसले लेने में देरी के चलते चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर ने भी रुपये की तरह गोता लगा दिया है। इस अवधि में देश के सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की विकास दर घटकर मात्र 4.4 फीसद पर सिमट गई है। बीते चार साल में किसी एक तिमाही में अर्थव्यवस्था की यह सबसे कम रफ्तार है। बीते एक साल में आर्थिक हालात तेजी से खराब हुए हैं। वित्त वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.4 फीसद रही थी।

महंगे कर्ज और रुपये के गोता लगाने से न सिर्फ औद्योगिक उत्पादन व खनन क्षेत्र की रफ्तार घटाई, बल्कि सरकार के फैसलों की सुस्ती के चलते देश में होने वाले निवेश पर भी पड़ा है। बीते वित्त वर्ष के मुकाबले चालू साल की पहली तिमाही में कुल निवेश 1.4 फीसद घट गया है।
पहली तिमाही में कारखानों की सुस्ती से मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर 1.2 फीसद नीचे आ गई है। यही हाल खनन क्षेत्र का रहा। इसकी विकास दर 2.8 फीसदी गिर गई। बीते साल मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर में एक फीसद की कमी आई थी। खनन क्षेत्र की विकास दर 0.4 फीसद रही थी।


सरकार द्वारा जारी पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों के मुताबिक कृषि से भी जीडीपी को बहुत अधिक मदद नहीं मिली और इस क्षेत्र की विकास दर 2.7 फीसद पर सिमट गई। बीते वित्त वर्ष की इस अवधि में कृषि क्षेत्र ने 2.9 फीसद की बढ़त हासिल की थी। हालांकि बीते साल की चौथी तिमाही के मुकाबले कृषि की विकास दर ने कुछ कदम आगे बढ़ाए हैं। इस अवधि में कृषि की विकास दर 1.4 फीसद रही थी।
वित्तीय और सामाजिक सेवा क्षेत्रों ने अवश्य सरकार को कुछ राहत दी है। लेकिन ऊर्जा और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की विकास दर ने सरकार को निराश किया है। बिजली, गैस क्षेत्र की विकास दर बीते साल के 6.2 से घटकर पहली तिमाही में 3.7 फीसद पर आ गई है। कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की विकास दर सात फीसद से लुढ़कती हुई 2.8 फीसद पर आ टिकी है। अलबत्ता वित्तीय सेवाओं ने ठीक-ठाक विकास दर हासिल की है।
अर्थव्यवस्था में बदहाली का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली तिमाही में सकल पूंजी निर्माण की रफ्तार भी धीमी हुई है। बीते साल की पहली तिमाही में पूंजी निर्माण यानी निवेश की दर 33.8 फीसद रही थी। लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 32.6 फीसद पर रुक गई है। इसका मतलब है कि देश में घरेलू निवेश की रफ्तार रुक गई है। यह गिरावट निजी और सरकारी दोनों तरह के निवेश में हुई है।

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