आतंकी यासीन भटकल :600 की हत्या, 40 धमाके, कुछ यूं हुई देश के सबसे बड़े आतंकी की गिरफ्तारी!
नई दिल्ली/पटना। देशभर में 40 बम धमाके कर करीब 600 लोगों की
हत्या करने वाले आतंकी यासीन भटकल को गिरफ्तार कर लिया गया है। लश्कर आतंकी
अब्दुल करीम टुंडा की गिरफ्तारी के महज 12 दिन बाद बुधवार रात को भटकल
पकड़ा गया, पर पुलिस ने इसकी जानकारी गुरुवार को दी। पखवाड़े भर में दूसरे
मोस्ट वांटेड की गिरफ्तारी को सरकार रणनीतिक जीत बता रही है। टुंडा को इसी
महीने 17 तारीख को गिरफ्तार किया गया था।
यासीन भटकल ने ही आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना की थी। उस
पर सरकार ने 35 लाख रुपए का इनाम रखा था। उसे बिहार के चंपारण जिले से
गिरफ्तार किया गया है। उसके साथ असदुल्ला अख्तर उर्फ 'हड्डी' भी धरा गया
है। गिरफ्तारी बिहार पुलिस और खुफिया एजेंसियों के तालमेल से हो पाई।
मोतिहारी की कोर्ट ने दोनों को तीन दिन के ट्रांजिट रिमांड पर एनआईए को
सौंप दिया है। एनआईए की टीम उसे दिल्ली लेकर रवाना हो गई...
12 राज्यों की पुलिस करेगी पूछताछ
यासीन को 12 राज्यों की पुलिस खोज रही थी। बम बनाने में माहिर यासीन
एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में भी था। दिल्ली पुलिस और एनआईए ने सूचना
देने वाले को 10-10 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी। वहीं, मुंबई
पुलिस ने उस पर 15 लाख रुपए का इनाम रखा था।
जारी रहेगा अभियान
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने बताया कि देश में किसी भी
तरह की आतंकी घटना को अंजाम देने वाले हर आतंकी को पकड़ने तक सरकार अपना
अभियान जारी रखेगी।
दोषी है तो सजा मिले : यासीन के पिता
यासीन के पिता जरार सिद्दीबप्पा ने कहा कि यदि बेटे ने अपराध किया है
तो उसे सजा मिलनी चाहिए। लेकिन कानून की तय प्रक्रिया के तहत। बेटे की
गिरफ्तारी से हमें राहत मिली है। हमें डर था कि उसे फर्जी मुठभेड़ में खत्म
कर दिया गया है। मेरे बेटे के बारे में काफी गलत प्रचार किया गया है। वह
कभी पुणे गया ही नहीं।
बांग्लादेश भागने की फिराक में था
30 साल के मोहम्मद जरार अहमद सिद्धीबप्पा उर्फ यासीन भटकल पांच वर्ष
से नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में छिपकर रह रहा था। केंद्रीय सुरक्षा
एजेंसियां पिछले छह माह से उसका पीछा कर रही थी। गिरफ्तारी के वक्त भटकल
बांग्लादेश जाने के फिराक में था।
रात में लेकर पहुंची टीम
तीन दिनों के ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली ले जाने के क्रम में एनआईए की
टीम गुरुवार की रात करीब 11 बजकर 40 मिनट पर दोनों आतंकियों को पटना के
बीएमपी-5 लेकर पहुंची। कड़ी सुरक्षा में रातभर यहीं दोनो को रखा गया।
सूत्रों के मुताबिक रात में एनआईए के वरीय अधिकारी और बिहार पुलिस मुख्यालय
के कई अधिकारियों ने आतंकियों से पूछताछ की है। दोनों ने कई महत्वपूर्ण
राज भी उगले हैं। उल्लेखनीय है कि एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार महाबोधि
मंदिर बम धमाकों में जांच प्रगति को देखने के लिए बोध गया और फिर पटना
पहुंचे हुए थे। शुक्रवार को शरद कुमार भी कोलकाता के लिए रवाना हो गए।
लावारिस पॉलीथीन बैग से अफरा-तफरी
पटना एयरपोर्ट पर यासीन भटकल और असादुल्ला को ले जाने की तैयारी चल
रही थी। इसी बीच एयरपोर्ट के बाहर बैठने वाले स्थान पर एक लावारिस पॉलीथीन
मिलने की सूचना संतरी ने अधिकारियों को दी। सूचना मिलते ही एयरपोर्ट पर
तैनात अधिकारी वहां पहुंच गए। वॉयरलेस पर दूसरे वरीय अधिकारियों को इसकी
जानकारी दी जा रही थी उसी समय एक बच्चे ने बताया कि उससे पॉलीथीन छूट गया
था। सुरक्षाकर्मियों ने पॉलीथीन की जांच कर उसे जाने दिया। हालांकि इस घटना
से करीब दस मिनट अफरा-तफरी का माहौल रहा।
लंबे समय से लगी थी पुलिस
बिहार पुलिस को इस बात की भनक बोधगया धमाके के बाद लगी थी कि इस घटना
का मास्टर मांइड यासीम भटकल भारत नेपाल सीमा पर लंबे समय से रह रहा है। इस
घटना के बाद से ही बिहार पुलिस इस मामले को लेकर एनआइए की टीम के साथ काम
करना शुरू कर दी थी। इसका ही ये परिणाम है कि यासीम और उसका साथी गिरफ्तार
हुआ है। बहरहाल बिहार पुलिस उसके द्वारा दी गई सूचना के आलोक पर और कुछ काम
कर रही है।
अभयानंद, डीजीपी, बिहार
एनआइए की हिरासत में आतंकी सरगना भटकल
नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। आतंकी सरगना यासीन भटकल और बम एक्सपर्ट असदुल्लाह अख्तर को 12 दिनों के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की हिरासत में भेज दिया गया है। पटना से दिल्ली लाने के बाद एनआइए ने दोनों आतंकियों को पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत में पेश कर 14 दिनों की हिरासत की मांग की। अदालत में एक वकील ने गिरफ्तार व्यक्ति के यासीन भटकल नहीं होने का तर्क देते हुए हिरासत में भेजे जाने का विरोध किया, लेकिन अदालत ने उसके तर्को को खारिज कर दिया।
शिकंजे में आतंक का सरगना
विशेष जज आइएस मेहता ने दोनों आरोपियों को रिमांड पर भेजते हुए कहा कि देश में हुई विभिन्न आतंकी घटनाओं से पर्दा उठाने के लिए एनआइए को आरोपियों से पूछताछ करना जरूरी है। यही नहीं, इन मामले में फरार चल रहे दस आतंकियों तक पहुंचने में ये अहम कड़ी साबित हो सकते हैं। लिहाजा, आरोपियों को एनआइए की हिरासत में दिया जाता है।
योजना से अंजाम तक निगरानी रखता था यासीन
तस्वीरों में देखें कैसे पुलिस की गिरफ्त में आया भटकल
गुरुवार की शाम को मोतीहारी की अदालत से ट्रांजिट रिमांड पर लेने के बाद एनआइए यासीन भटकल और असदुल्लाह अख्तर को विशेष विमान दिल्ली लेकर आई और कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में अपराह्न सवा तीन बजे विशेष जज के समक्ष पेश किया। सुरक्षा कारणों के चलते आरोपियों की पेशी बंद कमरे में अदालत के समक्ष हुई।
अधिवक्ता एमएस खान ने पहले तो गिरफ्तार व्यक्ति को यासीन भटकल मानने से इन्कार किया और बाद में उसके पुलिस रिमांड का विरोध करते हुए कहा कि अलग-अलग राज्यों की जांच एजेंसी अपने हिसाब से जांच कर रही हैं। एनआइए नई जांच एजेंसी है। उसके पास आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि तमाम तथ्यों को देखते हुए दोनों आरोपियों से रिमांड पर पूछताछ किया जाना जरूरी है।
हथकड़ी लगाने की अनुमति
भटकल और असदुल्लाह को रिमांड पर लेने के बाद एनआइए ने अदालत से अभियुक्तों को विभिन्न राज्यों में ले जाते वक्त हथकड़ी लगाने की अनुमति मांगी। अदालत ने यह अनुमति भी दे दी।
पढ़े : दिल्ली लाया गया आतंकी भटकल, भेजा गया एनआइए की कस्टडी में
खुफिया ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यासीन के बारे में सुराग हासिल करने के लिए दिल्ली में रह रही उसकी पत्नी जायदा पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। वर्ष 2008 में शादी के कुछ महीने बाद ही यासीन भटकल के भाग जाने के बाद से जायदा अपने माता-पिता के साथ रह रही है। लगभग छह महीने पहले नेपाल के पोखरा से एक पत्र उसके पास आया। पत्र किसी और नाम से भेजा गया था, लेकिन नेपाल में उसके किसी संबंधी के नहीं होने के कारण एजेंसियों का संदेह गहराया। इसके बाद नेपाल के पोखरा में भटकल की तलाश शुरू हो गई। लगभग छह महीने की मेहनत और नेपाल प्रशासन की मदद के बाद एजेंसियां भटकल को खोजने सफल रहीं। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार शुरू में यासीन ने खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों को बरगलाने की पूरी कोशिश की और फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस व वोटर कार्ड दिखाकर उनसे खुद को भटकल नहीं होने की दुहाई दी। हालांकि, पूरा होमवर्क कर चुके आइबी के अधिकारियों के सामने उसकी चाल सफल नहीं हो सकी। नेपाली अधिकारियों की संतुष्टि के लिए कर्नाटक पुलिस के एक अधिकारी को पोखरा बुलाया गया और उसकी पुष्टि के बाद भटकल को भारत लाया गया।
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हैरानी की बात है कि आतंकी नेटवर्क के सिलसिले में कई बार पाकिस्तान व खाड़ी देश जा चुके भटकल के पास से कोई पासपोर्ट नहीं मिला है। वैसे भटकल से बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोन को लेकर सुरक्षा एजेंसियां ज्यादा उत्साहित हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे आइएम के नेटवर्क और फंडिंग के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है। लैपटॉप में अधिकांश चीजें कूट भाषा में लिखी गई हैं। पुलिस हिरासत के दौरान भटकल से पूछताछ कर इसे समझने की कोशिश करेगी। वहीं, भटकल के मोबाइल की कॉल डिटेल्स के सहारे देश-विदेश में फैले उसके संपर्को का पता लगाया जा रहा है।
पहले भी गिरफ्त में आया था भटकल, पर हुआ कुछ यूं और वो छूट गया..
नई दिल्ली, जांस। यासिन भटकल को पूछताछ के लिए आज दिल्ली लाया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने में माहिर यासीन भटकल दिसंबर 2009 में फर्जी नकली नोटों के साथ कोलकाता में गिरफ्तार हुआ था। लेकिन उसने अपनी पहचान छिपा ली थी। कोलकाता पुलिस भी उसे पहचान नहीं पाई थी। जब तक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को उसकी गिरफ्तारी की सूचना मिली वह दो सप्ताह जेल में रहकर जमानत पर रिहा होकर फरार हो चुका था।
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पढ़ें: भटकल की हिरासत मांगने की राज्यों में होड़
पुलिस सूत्रों के अनुसार यासीन भटकल बेहद शातिर दिमाग है। एक बार कोलकाता मे उसने एक पुलिस कांस्टेबल को दीवार पर चस्पा अपना पोस्टर घूरते देखा तो पुलिसकर्मी के पास जाकर उसने पूछा कि जिस व्यक्ति का पोस्टर लगा है वह कौन है? कांस्टेबल ने बताया कि वह यासीन भटकल नामक एक खूंखार आतंकवादी का पोस्टर है। इतना ही नहीं जब कोलकाता पुलिस ने नकली नोटों के साथ यासीन को पकड़ा तो उसने अपना नाम बुल्ला मलिक बताया था। पुलिस ने उसके बारे में ज्यादा छानबीन की जरूरत महसूस नहीं की थी।
पढ़ें : नाम और पहचान बदलने में माहिर है यासीन
पकड़े जाने का खतरा :-
स्पेशल सेल की पूछताछ में मोहम्मद इरशाद ने बताया था कि यासीन ने उसके कहा था दिल्ली में वारदात को अंजाम देने के लिए वह हथियार या विस्फोटक बाहर से नहीं लाएंगे। क्योंकि इसमें पकड़े जाने का अंदेशा था। इसलिए उसने इरशाद से मीरबाग स्थित उसके प्लाट में अवैध हथियारों की फैक्टरी खोलने को कहा। हथियार बनाने के लिए कारीगर व डाई का इंतजाम भी यासीन ने ही किया था। यही बनी पिस्टल से जामा मस्जिद गोलीकांड को अंजाम दिया गया।
भटकल की हिरासत मांगने की राज्यों में होड़
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। भारत में दर्जनों आतंकी घटनाओं के जिम्मेदार यासीन भटकल को हिरासत में लेने और पूछताछ के लिए राज्यों में होड़ मच गई है। गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश ने इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक व दस लाख के इनामी आतंकी यासीन की गिरफ्तारी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि क्राइम ब्रांच व एटीएस की टीम भटकल से पूछताछ करेगी। साथ ही उसे रिमांड पर लिया जाएगा ताकि वर्षो से लंबित मामलों की जांच पूरी हो सके।
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त एके शर्मा ने कहा, यासीन के खिलाफ सूबे में 35 मामले दर्ज हैं। अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के 20 मामले हैं। सत्तर मिनट के अंतराल में हुए इन धमाकों में 57 लोगों की मौत हुई थी। 200 से ज्यादा घायल हुए थे। आइएम के इस आतंकी ने सूरत के रिहायशी क्षेत्रों व हीरा प्रसंस्करण यूनिटों वाले इलाके में भी सीरियल ब्लास्ट की कोशिश की। पुलिस ने पेड़ों पर लगाए गए 18 बमों को निष्क्रिय कर बड़ा हादसा टाला था। इस मामले में यासीन के खिलाफ 15 मामले दर्ज किए थे। इन सभी में पूछताछ के लिए हम उसे हिरासत में दिए जाने की मांग करेंगे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि पुलिस अफसरों का एक दल यासीन से पूछताछ के लिए भेजा जा रहा है। डीजीपी लालरोखुमा पचऊ ने कहा कि हमें बेंगलूर में हुए धमाकों में लंबे समय से यासीन की तलाश थी। हमें उसे इन धमाकों में उसकी भूमिका के बारे में पूछताछ करनी है। हालांकि यह भी कहा कि उसे हिरासत में लेकर यहां लाने में कुछ वक्त लगेगा। महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने कहा, मुंबई व पुणे की जर्मन बेस्ट बेकरी बम कांड के साथ ही यासीन पर महाराष्ट्र में आठ मामले हैं। एटीएस की टीम जल्द ही उससे पूछताछ करने जाएगी। वहीं आंध्र प्रदेश भी यासीन से पूछताछ करना चाहता है। हैदराबाद के पुलिस आयुक्त अनुराग शर्मा ने कहा, 21 फरवरी को शहर में हुए दो धमाकों में हमें भटकल से पूछताछ करनी है। पुलिस टीम जल्द ही उससे पूछताछ करने जाएगी, यदि धमाकों में उसकी संलिप्तता साबित हुई तो उसे हिरासत में यहां लाएंगे और पूछताछ करेंगे।
नाम और पहचान बदलने में माहिर है यासीन, असली नाम तो कुछ और है
नई दिल्ली [नीलू रंजन]। पिछले सात सालों में 50 से अधिक धमाकों का मास्टरमाइंड यासीन भटकल अपना नाम और पहचान बदलने में माहिर है। उसका असली नाम अहमद सिद्दीबाबा है। आतंक की दुनिया में कदम रखने के बाद वह यासीन भटकल बन गया। 2008 के बाद उसे डॉक्टर इमरान के नाम से जाना जाता हैं। इंडियन मुजाहिदीन के बिहार से संबंधित आतंकियों से यह पता चला है।
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सुरक्षा एजेंसियां जिस यासीन भटकल को पिछले सात-आठ सालों से तलाश रही थी, उसकी असली पहचान के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था। समय-समय पर गिरफ्तार आतंकियों से उसके बारे में अलग-अलग जानकारी मिलती रही है। इंडियन मुजाहिदीन के गिरफ्तार आतंकी मुहम्मद कतील सिद्दीकी, जो बाद में पुणे जेल के भीतर हुए हमले में जून, 2012 में मारा गया, ने जांच एजेंसियों को कोलकाता में यासीन भटकल की गिरफ्तारी और बुल्ला मलिक के झूठे पहचान के बल पर उसके बच निकलने का रहस्योदघाटन किया था।
यही नहीं, उसने बताया कि यासीन भटकल ने रांची के पासपोर्ट आफिस में अंजार हुसैन के नाम से पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। बाद में अंजार हुसैन का फोटो दिखाने पर कोलकाता पुलिस ने स्वीकार किया कि उसने इसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था।
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इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना के समय उसे आतंकी संगठन में अहमद के नाम से परिचित कराया गया था। यासीन भटकल बनने के बाद आतंक की दुनिया में उसका कद बढ़ गया और उसे लश्कर आतंकी इकबाल भटकल और रियाज भटकल से जोड़कर देखा जाने लगा। लेकिन 2008 में इंडियन मुजाहिदीन के कई आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद वह बिहार चला गया और वहीं से गतिविधियां संचालित करने लगा। इंडियन मुजाहिदीन में दरभंगा माड्यूल उसी की देन है। बिहार से जुड़े आइएम के कई आतंकियों ने पूछताछ में इस बारे में एजेंसियों को बताया है। इस दौरान बिहार से बाहर वह खुद को शाहरुख खान बताता था।
रॉकेट लांचर से दिल्ली को दहलाना चाहता था यासीन भटकल
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आतंकी यासीन भटकल दिल्ली में रॉकेट लांचर की मदद से तबाही मचाना चाहता था। उसके निशाने पर सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील सरकारी भवन तथा भीड़भाड़ वाले इलाके थे। इसके लिए यासीन ने ससुर मुहम्मद इरशाद की मदद से कंझावला इलाके के मीर विहार में अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री स्थापित कर ली थी।
पढ़े: योजना से अंजाम तक निगरानी रखता था यासीन
दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2011 में इरशाद की निशानदेही पर फैक्ट्री पर छापा मारा तो वहां से रॉकेट लांचर की नाल तथा हथियारों के अर्धनिर्मित पार्ट्स मिले थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2012 में सऊदी अरब से प्रत्यर्पित कर भारत लाए गए आइएम आतंकी फसीह महमूद व यासीन की दोस्ती से आइएम के बिहार मॉड्यूल की नींव पड़ी।
पढ़े: भटकल की हिरासत मांगने की राज्यों में होड़
फसीह ने अंजुमन इंजीनियरिंग कॉलेज, भटकल, कनार्टक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उसी दौरान वह आइएम संस्थापक रियाज व इकबाल भटकल, आमिर रजा व यासीन के संपर्क में आया था। वर्ष 2003 में यासीन भटकल बिहार में दरभंगा जिले के बाढ़ समरिया गांव में फसीह से मिलने गया था।
काली हो सकती थी यूपी की दीवाली
लखनऊ [आनन्द राय]। इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक यासीन भटकल अगर नहीं पकड़ा जाता तो यूपी की दीवाली काली हो सकती थी। उसका इरादा बेहद खतरनाक था। काशी में पहले ही अपनी आमद दर्ज करा चुके यासीन की मथुरा और अयोध्या को दहलाने की खास योजना थी। इसे अंजाम देने के लिए यासीन ने अपने नये मोहरे तैयार किये थे और उसके साथ पकड़ा गया आजमगढ़ का असदुल्लाह अख्तर उर्फ हड्डी इस अभियान में उसका सबसे बड़ा मददगार था।
भटकल के निशाने पर अन्य राज्यों के भी प्रमुख स्थल थे, लेकिन यूपी में वह इस बार जोरदार धमाका दर्ज करना चाहता था। नेपाल में यूनानी डाक्टर के रूप में उसने खासतौर पर इसी मिशन पर काम किया। युवाओं को गुमराह करने में माहिर इस आतंकी ने नेपाल में छिपे यूपी के भगोड़े अपराधियों में भी अपनी पैठ बनाई और उनके आकाओं से भी सम्पर्क साधा। सूत्रों के मुताबिक भटकल के खौफनाक इरादे की जानकारी केंद्र की एक एजेंसी ने राज्य सरकार को मुहैया करा दी है, लेकिन राज्य सरकार के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है। ध्यान रहे कि इंटेलीजेंस ब्यूरो ने राज्य सरकार को 15 अगस्त के मौके पर भी आतंकी खतरे से आगाह किया था। तब अभिसूचना संकलन में यह बात छनकर आयी कि नेपाल के रास्ते देश विरोधी ताकतें यहां आकर विस्फोट कर सकती हैं, लिहाजा काशी, अयोध्या और मथुरा के अलावा नरौरा तापीय परियोजना समेत कई प्रमुख स्थलों की सुरक्षा बढ़ाई गयी थी। इस प्लान को राज्य सरकार ने मीडिया से साझा किया था, लेकिन तब यह बात सामने नहीं आयी थी कि यह यासीन भटकल का ही प्लान था। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों के सजग होने और इन स्थलों की पर्याप्त सुरक्षा बढ़ाये जाने से यासीन ने तब अपना इरादा बदलकर दीपावली को टारगेट बना दिया था।
यूपी में यासीन के मोहरों की तलाश तेज
इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक यासीन भटकल के नये मोहरों की तलाश तेज कर दी गयी है। एनआइए और आइबी से मिली जानकारी के आधार पर एटीएस समेत कई एजेंसियां सक्रिय हो गयी हैं। सीतापुर, महराजगंज, वाराणसी, कुशीनगर, आजमगढ़, पीलीभीत, सिद्धार्थनगर, बरेली, खीरी, बलरामपुर, बहराइच, बाराबंकी आदि कई जिलों में भटकल के मोहरों के छिपे होने का अंदेशा है। भटकल को एनआइए ने 12 दिन की रिमांड पर लिया है और अभी देश के सभी राज्यों की एजेंसियों से अब तक की पूछताछ का इनपुट साझा कर रही है। शुक्रवार को एनेक्सी के मीडिया सेंटर में आये एडीजी/आइजी कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बस इतना बताया कि यासीन और असदुल्लाह से पूछताछ के लिए एटीएस की टीम गयी है। पूछताछ में क्या जानकारी मिली, इसे बताने से इन्कार कर दिया। उन्होंने यह जरूर कहा कि इसमें शक नहीं कि यहां भी आतंकी संगठनों के मॉड्यूल्स छिपे हैं। यह इंवेस्टीगेशन का विषय है।
भटकल की साजिश से दहल गयी थी काशी
यूपी के धार्मिक स्थलों को खासतौर पर अपने निशाने पर रखने वाले यासीन भटकल ने यहां के कई विस्फोटों की साजिश रची, लेकिन उत्तर प्रदेश की एटीएस के रिकार्ड में वाराणसी में सात दिसंबर 2010 में हुए शीतलाघाट विस्फोट का वह प्रमुख आरोपी है। इस विस्फोट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने मीडिया घरानों को मेल करके ली थी, तभी यासीन का नाम सामने आया था। इस मामले में ही एटीएस यासीन को रिमांड पर लेने के लिए प्रयासरत है। शीतलाघाट विस्फोट में दो की मौत हुई थी, जबकि कई घायल हो गये थे।
खुली सीमा का उठाते थे फायदा
यासीन भटकल से नेपाल में मिलने जाने वाले युवा खुली सीमा का लाभ उठाते थे। वह बतौर पर्यटक नेपाल के पोखरा, काठमांडू, नेपालगंज आदि इलाकों में जाते और वहां उनका खर्च भटकल ही उठाता था। फिर उन्हें अपने मकसद में शामिल करने के लिए ब्रेनवास करता था।
बेखौफ आतंकी भटकल बोला, आगे-आगे देखो होता है क्या
नई दिल्ली। सुरक्षा एजेंसियों को कई दफा चकमा देने वाला आतंकी यासीन भटकल आखिरकार एनआइए के हाथ आ ही गया। देश में तकरीबन 10 बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले यासीन को गिरफ्तार करने के बाद जब गुरुवार को बिहार के मिलिट्री कैंप लाया गया जहां जांच एजेंसियों ने उससे पूछताछ की। इस पूछताछ में उसने कई बड़े राज खोले। उसने कहा कि अभी तो कुछ भी नहीं हुआ है,आगे आगे देखो होता है क्या।
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सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने उसके साथ जब सख्ती बरतने की कोशिश की तो उसने बताया कि आईएसआई कैसे उसकी और उसके भाई की सुरक्षा करती थी। जब उससे उसके गिरोह के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि कराची में इंडियन मुजाहिदीन का मुख्यालय है और वहीं से देश में आतंक फैलाया जाता है।
सूत्रों की माने तो पूछताछ में भटकल ने खुलासा किया कि 2007 से अब तक वो 5 बार पाकिस्तान जा कर आया है। हर बार उसे आईएसआई के बड़े अधिकारियों से मिलाया गया और उन्होंने ही हर बार फंड और भारत में धमाके का ब्लू प्रिंट सौंपा।
इसके साथ ही उसने कहा कि आतंकी घटनाएं तो रोज होती रहती है, इसमें नई बात क्या है। उसने कहा कि अगर वह देश के लिए इतना ही बड़ा दुश्मन है तो उससे पूछताछ के लिए किसी बड़े अधिकारी को ही आना पड़ेगा।
इस दौरान यासीन ने आईएसआई के साथ अपने रिश्ते की बात भी कबूली। उसने बैंगलोर और हैदराबाद में हुए धमाकों की जिम्मेदारी ली। यासीन से पूछताछ के दौरान कुछ ऐसी बातों का खुलासा हुआ है जो बेहद चौंकाने वाली हैं। एनआइए से मिली जानकारी के मुताबिक यासीन ने बताया कि दाऊद और टाइगर मेमन पाकिस्तान में ही रहते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने में माहिर है यासीन
यासीन साल 2009 के दिसंबर में नकली नोटों के साथ कोलकाता में गिरफ्तार हुआ था। लेकिन उसने अपनी पहचान छिपा ली और कोलकाता पुलिस भी उसे पहचान नहीं पाई। जब तक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को उसकी गिरफ्तारी की सूचना मिली वह दो सप्ताह जेल में रहकर जमानत पर रिहा होकर फरार हो चुका था।
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पुलिस सूत्रों के अनुसार यासीन भटकल बेहद शातिर दिमाग का आदमी है। एक बार कोलकाता मे उसने एक पुलिस कांस्टेबल को दीवार पर छपा अपना पोस्टर घूरते देखा तो पुलिसकर्मी के पास जाकर उसने पूछा कि जिस व्यक्ति का पोस्टर लगा है वह कौन है? कांस्टेबल ने बताया कि वह यासीन भटकल नामक एक खूंखार आतंकवादी का पोस्टर है। इतना ही नहीं जब कोलकाता पुलिस ने नकली नोटों के साथ यासीन को पकड़ा तो उसने अपना नाम बुल्ला मलिक बताया था। पुलिस ने उसके बारे में ज्यादा छानबीन की जरूरत महसूस नहीं की थी।
पकड़े जाने का खतरा
स्पेशल सेल की पूछताछ में मोहम्मद इरशाद ने बताया था कि यासीन ने उससे कहा था कि दिल्ली में वारदात को अंजाम देने के लिए वह हथियार या विस्फोटक बाहर से नहीं लाएंगे। क्योंकि इसमें पकड़े जाने का अंदेशा था। इसलिए उसने इरशाद से मीरबाग स्थित उसके प्लाट में अवैध हथियारों की फैक्टरी खोलने को कहा। हथियार बनाने के लिए कारीगर व डाई का इंतजाम भी यासीन ने ही किया था। यही बनी पिस्टल से जामा मस्जिद गोलीकांड को अंजाम दिया गया।
अपने करीबियों से भी अपनी पहचान छिपाकर रखता था यासीन
नई दिल्ली। 1973 में जन्मा यासीन मूल रूप से कर्नाटक के एक तटीय गांव भटकल का रहने वाला है। उसकी शुरुआती शिक्षा अंजुमन हमी-ए-मुसलीमीन नाम के मदरसे में हुई थी। अस्सी के दशक की शुरुआत में वह पुणे आ गया था। बाद में यासीन कुख्यात- रियाज और इकबाल भटकल के संपर्क में आया। इन्होंने ही इंडियन मुजाहिदीन की नींव रखी थी। यहीं से उसका आतंकी बनने का सफर भी शुरू हुआ। बाद में वह बिहार भी गया। यासीन कभी दरभंगा में हकीम का काम करता था। बाद में उसने दरभंगा के आतंकी कातिल सिद्दकी की बेटी से शादी भी कर ली।
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कई मामलों में थी यासीन भटकल की तलाश :-
- मुंबई के 13/7/2010 और पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट में जिस यासीन भटकल की देश भर की जांच एजेंसियों को तलाश है।
गिरफ्त में आया देश का दुश्मन
- बिहार के बोधगया में महोबोधि मंदिर परिसर में नौ बम धमाकों के बाद अंदेशा जताया जा रहा है कि इसके पीछे इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) का हाथ है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में 12 आतंकवादियों की तस्वीरें जारी की हैं. इनमें आईएम संस्थापकों में से एक यासीन भटकल भी है। इसमें यासीन भटकल भी शामिल है।
- 12 राज्यों की आतंक निरोधक एजेंसियों द्वारा यासीन के खिलाफ दायर आरोप पत्रों के मुताबिक वह 2008 से हुए कम से कम 10 बम धमाकों में प्रमुख मास्टरमाइंड रहा है।
- वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए धमाके, वर्ष 2008 में सूरत में हुए धमाके,
- वर्ष 2008 में जयपुर में हुए धमाके
- वर्ष 2010 में बनारस के दशाश्वमेध घाट में हुए धमाके
- वर्ष 2010 में बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए धमाके
- वर्ष 2010 में पुणे के जर्मन बेकरी में हुए धमाके
- वर्ष 2011 में मुंबई में हुए धमाके
- वर्ष 2013 में बेंगलुरू में हुए बम धमाके
- वर्ष 2013 में हैदराबाद में हुए बम धमाके
खुफिया एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने में रहा कामयाब :-
- वर्ष 2008 में कोलकाता पुलिस ने उसे फर्जी नोटों के एक मामले में हिरासत में लिया था। उस वक्त उसकी असली पहचान के बारे में पुलिस को पता नहीं था। उस वक्त इसको शाहरुख के नाम से ही पहचाना गया था। लेकिन वह वहां से बच निकलने में कामयाब रहा।
3 अक्टूबर को जब मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम 3 अक्टूबर, 2008 को कर्नाटक के भटकल गांव गई थी, तब इंडियन मुजाहिदीन के चार महत्वपूर्ण सदस्य चकमा देकर भटकल गांव से भाग लिए थे। इनमें इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक रियाज व इकबाल भटकल तो थे ही, इंडियन मुजाहिदीन की मीडिया विंग का प्रमुख सदस्य मोहसिन चौधरी व यासीन भटकल भी था।
- वर्ष 2011 में चेन्नई में खुफिया अधिकारियों को चकमा देकर बच निकलने में कामयाब रहा था।
बेहद चालाक है यासीन :-
- एक ठिकाने का बेहद कम समय तक उपयोग करना।
- ज्यादा हाईटैक नहीं है और न ही तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करना पसंद करता है। इसलिए ईमेल जैसी कई चीजों को वह नहीं करता।
- भेष बदलने में माहिर।
- ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में गुजारा करता है और मोबाइल में एक सिम का उपयोग केवल एक या दो बार ही करके उसको नष्ट कर देता है।
- अपने करीबियों से भी अपनी पहचान छिपाकर रखने का आदी।
योजना से अंजाम तक निगरानी रखता था यासीन
जागरण संवाददाता, मुंबई। यासीन भटकल महाराष्ट्र में हुए कई विस्फोटों की योजना बनाने से लेकर धमाकों तक की निगरानी खुद करता रहा है। इसलिए महाराष्ट्र आतंकरोधी दस्ता (एटीएस) यासीन को हिरासत में लेकर यहां हुए सभी धमाकों के मामले में पूछताछ करना चाहता है। महाराष्ट्र पुलिस को यासीन की तलाश 2006 में हुए लोकल ट्रेन विस्फोटों से लेकर 13 जुलाई, 2011 को मुंबई में हुए तिहरे धमाके मामलों तक में है।
वर्ष 2006 में मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें सीधे यासीन का नाम तो नहीं आया है, लेकिन विस्फोट इंडियन मुजाहिदीन द्वारा कराए जाने के कारण पुलिस उससे पूछताछ करना चाहती है। इसके अलावा 13 फरवरी, 2010 को पुणे के जर्मन बेकरी विस्फोटकांड में पुलिस को उसकी तलाश है। इसमें 17 लोग मारे गए थे। एटीएस के अनुसार जर्मन बेकरी के आसपास से मिले सीसीटीवी फुटेज से यासीन भटकल की तस्वीरें मिली थीं। सूत्रों के अनुसार यासीन की इन तस्वीरों की पहचान उसके भाई समद ने भी की है। समद को जर्मन बेकरी विस्फोटकांड के बाद ही कर्नाटक पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुणे के ही जंगली महाराज रोड पर पहली अगस्त, 2012 को तीन अलग-अलग स्थानों पर हुए धमाकों के मामले में भी पुलिस को यासीन की तलाश है। इन धमाकों में एक की मौत हुई थी और दो दर्जन से ज्यादा घायल हुए थे।
इससे पहले 13 जुलाई, 2011 को मुंबई में शाम के समय भीड़-भाड़ वाली तीन जगहों पर सिलसिलेवार धमाकों में भी पुलिस को यासीन की तलाश है। दादर, ओपेरा हाउस और झावेरी बाजार में हुए इन धमाकों में 27 लोग मारे गए थे। यासीन ने इन विस्फोटों को अपनी निगरानी में अंजाम दिलाया था। इसके लिए वह मुंबई के भायखला स्थित एटीएस कार्यालय से कुछ दूरी पर किराए का कमरा लेकर करीब एक महीने रहा था, लेकिन दिल्ली और मुंबई पुलिस की आपसी खींचतान में वह बच निकला था।
अहमदाबाद में विस्फोट के लिए भरूच से जुटाया था विस्फोटक
अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी यासीन भटकल अहमदाबाद में जुलाई 2008 में हुए बम धमाकों का मुख्य सूत्रधार था। वहीं, धमाकों के लिए भरूच से विस्फोटक लाया था। बाद में उसने अपने साथी असदुल्ला के साथ मिलकर धमाकों को अंजाम दिया।
अहमदाबाद अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त एके शर्मा ने बताया कि यासीन व असदुल्ला नारोल के मोहम्मदीद सोसायटी और दाणीलीमड़ा में आकर रुके। यासीन ने धमाकों के लिए भरुच के पास शेरपुरा गांव से विस्फोटक जुटाया, फिर कार, बाइक व साइकिल में फिट करने के बाद अहमदाबाद-सूरत में विस्फोट किए। धमाकों की साजिश कितनी फुल पु्रफ थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो बड़े धमाकों के बाद तीसरा विस्फोट अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के ट्रामा सेंटर के बाहर किया। धमाका उस वक्त हुआ जब प्रदेश के मंत्री प्रदीप सिंह जाड़ेजा घायलों को लेकर यहां पहुंचे थे। हालांकि जाडेजा तो धमाके में बाल बाल बच गए लेकिन अस्पताल परिसर में साइकिल चला रहे दो बच्चे काल का ग्रास बन गए। शर्मा ने कहा, गुजरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकी अबु बशर और और हाफिज बशर ने भी बम धमाकों में यासीन व असदुल्ला का हाथ होने की जानकारी दी थी।
भारत में आतंक का पर्याय है इंडियन मुजाहिदीन
नई दिल्ली। पिछले आठ वर्षो से इंडियन मुजाहिदीन भारत में आतंक का पर्याय बना हुआ है। कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देकर यह अब तक पांच सौ से ज्यादा बेगुनाहों की जान ले चुका है। पहले आतंकी हमला और फिर अपनी घिनौनी करतूत की जिम्मेदारी ईमेल के जरिए लेना, ये है इंडियन मुजाहिदीन का तरीका। इस आतंकी संगठन के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं।
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इंडियन मुजाहिदीन को प्रतिबंधित सिमी और पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर का मुखौटा माना जाता है। दिल्ली, मुंबई, यूपी और बैंगलोर के कई ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिदीन का नाम शामिल रहा है। सरकार ने इंडियन मुजाहिदीन को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत आतंकवादी संगठनों की लिस्ट में डाला है। 23 फरवरी 2005 को वाराणसी ब्लास्ट के बाद सबसे पहली बार इस आतंकी संगठन का नाम सामने आया था। वर्ष 2010 में भारत सरकार ने इसको प्रतिबंधित संगठन घोषित किया था।
जानकारों के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथों की कठपुतली है और आमिर रजा खान नाम का आतंकी इंडियन मुजाहिद्दीन के संस्थापक सदस्यों में से एक है। कर्नाटक का रहने वाला रियाज भटकल भी इसकी कमान संभालने वालों की फेहरिस्त में शामिल है।
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पिछले कुछ सालों में इंडियन मुजाहिदीन सबसे ज्यादा तबाही मचाने वाला आतंकी संगठन बनकर उभरा है। दिल्ली, मुंबई, पुणे, बिहार, बेंगलुरू, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के जयपुर में इस आतंकी संगठन ने कई बम धमाकों को अंजाम दिया है। इस वर्ष जुलाई में महाबोधि मंदिर में हुए धमाके में भी इसी आतंकी संगठन का नाम सामने आया था।
आइएम ने बदनाम किया दरभंगा को
जागरण संवाददाता, दरभंगा। दरभंगा को आतंक का गढ़ बनाने और उसे बदनाम करने वाले यासीन भटकल की गिरफ्तारी से बिहार पुलिस ने चैन की सांस ली है। दरभंगा में लंबे समय तक गुमनाम रहकर यासीन ने कई युवकों को इंडियन मुजाहिदीन से जोड़ा। पिछले कुछ समय में इंडियन मुजाहिदीन से ताल्लुक रखने के आरोप में गिरफ्तार 13 लोगों में 12 के दरभंगा और आसपास के होने से मिथिलांचल को इस आतंकी संगठन के गढ़ के रूप में देखा जाने लगा था। इस इलाके से आइएम आतंकियों की गिरफ्तारी के चलते दरभंगा मॉड्यूल शब्द चलन में आ गया था। हालांकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की ओर से किए गए इस शब्द के इस्तेमाल पर नीतीश सरकार ने आपत्ति भी प्रकट की, लेकिन इससे यह सच नहीं बदला कि दरभंगा में आइएम ने जड़ें जमा ली थीं। भटकल के साथ उसका दाहिना हाथ माने जाने वाले असदुल्लाह अख्तर की गिरफ्तारी से मिथिलांचल के लोगों को उम्मीद है कि अब बदनामी से मुक्ति मिलेगी।
यासीन भटकल ने दिल्ली के बटला हाउस कांड से जुड़े आजमगढ़ मॉड्यूल के खुलासे के बाद मुस्लिम बहुल इलाके के साथ-साथ भौगोलिक स्थिति को देखते हुए दरभंगा को अपने ठिकाने के तौर पर चुना था। तेज तर्रार युवकों को गुमराह कर उन्हें आतंक की राह पर लाने वाला यासीन अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने में इतना शातिर था कि जिस भी शख्स की गिरफ्तारी हुई, पहली नजर में उसके आतंक से जुड़े होने का भान तक नहीं हुआ।
देश में विभिन्न जगहों पर हुए बम विस्फोटों में लिप्तता के आरोप में पिछले कुछ समय में गिरफ्तार हुए लोगों में असादुल्लाह रहमान उर्फ दिलकश, कफील अहमद, तलहा अब्दाली उर्फ इसरार, मुहम्मद तारिक अंजुमन, हारून राशिद नाइक, नकी अहमद, वसी अहमद शेख, नदीम अख्तर, अशफाक शेख, मुहम्मद आदिल, मुहम्मद इरशाद, गयूर अहमद जमाली और आफताब आलम उर्फ फारूक शामिल हैं। इनमें से एक मुहम्मद आदिल पाकिस्तान का है, बाकी 12 दरभंगा जिले के बाशिंदे हैं। इन 13 संदिग्ध आतंकियों में से छह दिल्ली की तिहाड़ जेल में, चार बेंगलूरू और तीन मुंबई की जेल में बंद हैं। इन संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी के लिए दरभंगा और मधुबनी में दिल्ली और मुंबई पुलिस के साथ-साथ एनआइए ने समय-समय पर धावा बोला। हर बार कोई न कोई संदिग्ध आतंकी उनके हाथ लगा।
सुरक्षा एजेंसियों के झगड़े में बचता रहा यासीन भटकल
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले सात सालों के दौरान धमाकों के जरिये देश के कई शहरों को दहलाने वाला यासीन भटकल सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही और आपसी झगड़े की वजह से कानून की पकड़ से दूर रहा। डेढ़ साल पहले दिल्ली पुलिस भटकल तक पहुंचने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन अंतिम समय में मुंबई पुलिस ने पानी फेर दिया। इसी तरह चार साल पहले कोलकाता पुलिस को झांसा देकर भटकल बच निकला था।
दरअसल, दिल्ली पुलिस 2010 के मुंबई के दोहरे धमाके में नकी अहमद शेख की संलिप्तता के बारे में पता चला था। लेकिन छोटे गुर्गे को गिरफ्तार करने के बजाय दिल्ली पुलिस ने उसकी मदद से आतंक के आका तक पहुंचने की योजना बनाई। नकी ने दिल्ली पुलिस को बताया कि मुंबई धमाके के लिए यासीन ने वहां एक फ्लैट किराये पर लिया था और एडवांस में दिए पैसे और अन्य सामान लेने वह उस फ्लैट पर आने वाला है। दिल्ली पुलिस ने भटकल की गिरफ्तारी की पूरी ब्यूह रचना कर ली, लेकिन अंतिम समय में मुंबई पुलिस ने नकी को गिरफ्तार कर लिया। नकी की गिरफ्तारी से भटकल सतर्क हो गया और फ्लैट गया ही नहीं।
इसके पहले 2009 में कोलकाता पुलिस ने नकली भारतीय नोटों के रैकेट में संलिप्त होने के संदेह में यासीन भटकल को गिरफ्तार किया था। लेकिन शेक्सपीयर सारिणी पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के सामने वह खुद को बुल्ला मलिक साबित करने में सफल रहा।
रियाज ने 10 साल पहले ही नेपाल को मान लिया था सुरक्षित अड्डा
मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]।इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] के संस्थापक रियाज भटकल ने 2003 में ही अपने साथियों के साथ मिलकर नेपाल को आतंकी संगठन के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना ली थी। उस समय आइएम की औपचारिक स्थापना भी नहीं हुई थी। तब मुंबई के कुर्ला क्षेत्र में रहने वाला रियाज और उसका भाई इकबाल प्रतिबंधित हो चुके मुस्लिम युवकों के संगठन सिमी का साधारण सदस्य था। दोनों कुर्ला में अपने घर के पास ही स्थित सिमी कार्यालय में बैठते थे।
कुर्ला के सिमी कार्यालय में बैठने के दौरान उसकी पहचान गुजरात पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारे गए एक गैंगस्टर आसिफ रजा के भाई आमिर रजा से हुई। आमिर ने अपने भाई की स्मृति में आसिफ रजा कमांडो फोर्स का गठन किया था। रियाज ने इस संगठन से मिलने वाले धन का इस्तेमाल कर नेपाल में मुस्लिम युवाओं को आतंक का प्रशिक्षण देने की योजना बनाई थी। वास्तव में उस समय तक यासीन भटकल आतंक की दुनिया में भी नहीं आया था। रियाज ने 2002-03 के दौरान ही कुर्ला में रहने वाले उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के कुछ युवकों के साथ मिलकर आजमगढ़ ग्रुप का गठन किया। इस ग्रुप में गैंगस्टर फजलुर्रहमान गैंग के कई लोग थे। बाद में यही ग्रुप इंडियन मुजाहिदीन के रूप में कुख्यात हुआ, जो कश्मीर के बाहर शेष भारत में 2002 के बाद से अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा विस्फोट करा चुका है। रियाज और उसके बड़े भाई इकबाल के पाकिस्तान भागने के बाद पिछले पांच वर्ष से भारत में आइएम का सारा कामकाज यासीन भटकल ही देख रहा है। रियाज के आजमगढ़ ग्रुप के सदस्य अब भी उसकी मदद करते हैं। आज उसके साथ पकड़ा गया असदुल्लाह अख्तर भी आजमगढ़ का ही मूल निवासी है। माना जा रहा है कि रियाज नेपाल को अड्डे के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना अब पाकिस्तान में बैठकर अंजाम दे रहा है।
यासीन भटकल की गिरफ्तारी..और इंडो-नेपाल बॉर्डर पर हाई अलर्ट
महराजगंज [जासं]। बिहार में इंडियन मुजाहिद्दीन के संस्थापक यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को सोनौली बॉर्डर पर हाई अलर्ट रहा। एसएसबी के जवानों ने नेपाल से आने वाले सभी छोटे-बडे़ वाहनों के साथ यात्रियों की गहन जांच की। यहां तक कि चेकिंग में डाग स्क्वायड की भी मदद ली।
यासीन भटकल की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही एसएसबी कमांडेंट के निर्देश पर सोनौली सीमा पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। यहां तक कि खुफिया एजेंसियों ने भी सीमा पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी। नेपाल से आने-जाने वाले लोगों व यात्रियों के सामान मेटल डिटेक्टर से गहन चेकिंग के बाद ही बार्डर पार जाने दिया गया। जवान लैंड मिरर की सहायता से वाहनों के नीचे भी जांच करते देखे गए। दो पहिया व चार पहिया वाहनों की जांच के लिए डाग स्क्वायड को भी बुला लिया गया। यात्रियों को वाहनों से उतार कर चेकिंग के बाद ही जाने दिया जा रहा था। अचानक बढ़ी सतर्कता से बॉर्डर के दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतारें घंटों लगी रहीं।
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एसएसबी के सेना नायक केएस बनकोटी का कहना है कि बॉर्डर की सुरक्षा की व संदिग्धों पर नजर रखने के लिए जवानों को विशेष सतर्क रहने का आदेश दिया गया है। सीमा पर हर पल निगरानी रखी जा रही है। नेपाल से आने-जाने वालों की गहन जांच की जा रही है।
मोस्ट वांटेड आतंकियों के कारण एक बार फिर सुर्खियों में आजमगढ़
आजमगढ। वर्ष आठ के 14 अगस्त की शाम आज भी लोगों को याद है। सरायमीर थाना क्षेत्र के बीनापारा गांव में रिश्ता तय करने के बहाने पहुंची एटीएस ने अहमदाबाद सीरियल धमाकों के कथित आरोपी अबु बशर को गिरफ्तार किया तो उसके बाद एक-एक कर आतंकी घटनाओं में जिले के लोगों के नाम जुड़ते गए। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हुई थी बशर की गिरफ्तारी और उसके कुछ ही दिनों बाद हुआ था बटला हाउस कांड। सुरक्षा एजेंसियों ने जारी की थी आतंकियों के नाम की सूची जिसमें शामिल थे कुल 25 नाम। इसमें बटला हाउस कांड के दौरान मारे गए संजरपुर के साजिद और आतिफ भी थे। इससे पहले जुलाई 2007 में रानी की सराय से हकीम तारिक को एटीएस ने गिरफ्तार किया था जो सम्मोपुर गांव का है। उस पर प्रदेश की कचहरियों में हुए ब्लास्ट में शामिल होने का आरोप था।
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जिले से आतंक का रिश्ता अभी हकीम तारिक और बशर के बाद जुड़ा ही था कि 19 सितंबर को दिल्ली में बटला हाउस कांड हो गया। उसमें सरायमीर थाना क्षेत्र के संजरपुर गांव के दो युवक मारे गए जबकि एक मौके से गिरफ्तार किया गया। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी सूची के 25 नामों में 15 गिरफ्तार जबकि 8 फरार थे। आतिफ और साजिद बटला हाउस कांड के दौरान मारे गए थे। असदुल्लाह के पकड़े जाने के बाद फरार लोगों की संख्या अब सात रह गई है। खास बात यह कि देश की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी सूची में दर्ज नामों विषय में स्थानीय पुलिस कोई भी जानकारी देने से इनकार कर रही है।
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आतंक की सूची में शामिल आजमगढ़ के 25 नाम
बटला हाउस कांड के दौरान संजरपुर के आतिफ और साजिद मारे गए। आठ फरार - डा. शाहनवाज पुत्र शादाब उर्फ मिस्टर, अबु राशिद, खालिद पुत्र स्व. सगीर, बड़ा साजिद पुत्र स्व. कुरैश (सभी संजरपुर), आरिफ पुत्र स्व. जफर निवासी ग्राम नसीरपुर थाना बिलरियागंज, मिर्जा शादाब निवासी आजमगढ़ शहर तथा मो. वासिक निवासी ग्राम चकिया थाना निजामाबाद।
अब तक 16 गिरफ्तार - सैफ पुत्र शादाब उर्फ मिस्टर, सलमान पुत्र स्व. शकील, आरिफ पुत्र स्व. नसीम निवासीगण संजरपुर, सादिक निवासी ग्राम असाढ़ा, जाकिर शेख निवासी कवरा गहनी, आरिफ बदर निवासी ग्राम इसरौली, बशर पुत्र अबु बकर निवासी ग्राम बीनापारा (सभी थाना क्षेत्र सरायमीर), हबीब फलाही निवासी ग्राम बारीखास थाना निजामाबाद, सैफुर्रहमान निवासी बदरका आजमगढ़, साकिब नेसार पुत्र नेसार अहमद निवासी ग्राम शाहपुर मौलानी थाना कंधरापुर, जीशान पुत्र एहसान निवासी ग्राम मकदूमपुर थाना गंभीरपुर हाल मुकाम शहर आजमगढ़, सरवर निवासी ग्राम चांद पट्टी थाना रौनापार, मो. हाकिम निवासी ग्राम करमैनी थाना रौनापार, हकीम तारिक कासमी निवासी ग्राम सम्मोपुर थाना क्षेत्र रानी की सराय, शहजाद अहमद निवासी ग्राम खालिसपुर थाना क्षेत्र बिलरियागंज, असदुल्लाह पुत्र डा. जावेद निवासी ग्राम बैरीडीह थाना देवगांव हाल मुकाम गुलामी का पूरा शहर आजमगढ़।
बेंगलूर धमाके के पीछे भी आइएम सरगना यासिन भटकल!
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को बेंगलूर बम धमाके के पीछे इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) के हाथ होने का शक जताया है। अधिकारियों का का कहना है कि इसके पीछे फरार चल रहे मुंबई 7/11 और हैदराबाद धमाके के आरोपी व आइएम आतंकी यासिन भटकल, वकास, तबरेज और बड़ा साजिद का हाथ हो सकता है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पहले के कुछ आतंकी हमलों में आइइडी, दोपहिया वाहन, अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल से यह शक यकीन में बदलता जा रहा है इसके पीछे आइएम का हाथ हो सकता है।
विस्फोट स्थल से 40 मीटर दूरी पर भाजपा कार्यालय और 100 मीटर पर कडु मलेश्वरा मंदिर होने के कारण इस जगह को काफी सोच-समझकर चुना गया था लेकिन चुनाव में टिकट बंटवारे का काम खत्म हो जाने कारण नेता और कार्यकर्ता अपने इलाके में चले गए थे इसलिए वहां भीड़ कम थी।
हैदराबाद के दिलसुखनगर इलाके में हुए बम धमाके में आइएम मॉड्यूल की पहचान के बाद गृह मंत्रालय के सूत्रों ने इस संभावना से इन्कार नहीं किया है कि आइएम के लापता आतंकियों का इस ब्लास्ट में हाथ हो सकता है।
अधिकारियों ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए यासिन भटकल खुद बम बनाता और प्लांट करता है। इससे पहले भी वह हैदराबाद के गोकुल चाट भंडार व लुम्बिनी पार्क व दिलसुखनगर विस्फोट, पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट में खुद बम प्लांट कर चुका है।
बेंगलूर में अब तक चार आतंकी वारदात हो चुके हैं। सबसे पहले 2005 में आइआइसी पर हमला हुआ था। उसके बाद 2008 में सीरियल ब्लास्ट, चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर धमाका और अब मालेश्वरम में धमाका।
मुंबई [जागरण संवाददाता]। पिछले साल 13 जुलाई को मुंबई में तीन धमाके करवाने वाला इंडियन मुजाहिदीन का प्रमुख सदस्य यासीन भटकल पुलिस सत्यापन के बगैर कई महीने मुंबई में रहकर निकल गया। जबकि, मुंबई में किराये पर रहने वाले किसी भी व्यक्ति का पुलिस सत्यापन जरूरी होता है।
यासीन भटकल मुंबई के भायखला इलाके की हबीब बिल्डिंग में रूबीना नामक एक विधवा का घर किराये पर लेकर महीनों अपने साथियों के साथ रहा। लेकिन, इस इलाके के थाने में यासीन या उसके साथियों का पुलिस सत्यापन रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। इसके बावजूद इस मामले की जांच कर रहे आतंकवाद निरोधक दस्ते [एटीएस] ने यासीन को यह घर दिलवाने वाले प्रॉपर्टी एजेंट सुल्तान को सिर्फ पूछताछ करके छोड़ दिया। उल्लेखनीय है कि मुंबई में बढ़ती आतंकी घटनाओं को देखते हुए किरायेदारों के पुलिस सत्यापन की प्रणाली कुछ वर्ष पहले शुरू की गई थी। इसके तहत किसी भी इमारत में किराये पर रहने आए व्यक्ति के मूल स्थान से लेकर उसके व्यवसाय आदि के बारे में पूरी जानकारी एक फॉर्म में भरवाई जाती है।
यह फॉर्म भरवाकर किरायेदार का पुलिस सत्यापन करवाने की जिम्मेदारी प्रॉपर्टी एजेंट की होती है। लेकिन, बार-बार आतंक का शिकार होने के बावजूद महानगर में यह प्रणाली महज खानापूर्ति बनकर रह गई है। प्रॉपर्टी एजेंट क्षेत्रीय पुलिस थाने में किसी भी किरायेदार का विवरण भरा फॉर्म ले जाते हैं और निर्धारित राशि के बदले में संबंधित पुलिस अधिकारी उक्त थाने की मुहर लगाकर फॉर्म एजेंट को लौटा देता है। जबकि, मुंबई पुलिस द्वारा ही स्थापित इस प्रणाली को ठीक-ठाक अंजाम दिया जाए तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का पुलिस की निगाह से बचना आसान नहीं होगा।
2011 में ट्रेन में धमाका करना चाहता था भटकल
नई दिल्ली। हैदराबाद ब्लास्ट का मुख्य आरोपी इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी यासीन भटकल ने वर्ष 2011 में भी विदेशियों को ले जा रही ट्रेन में विस्फोट कराने की साजिश रची थी। इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। इस बात का खुलासा हैदराबाद धमाके में गिरफ्तार किए गए इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी दानिश अंसारी ने किया है। दानिश का बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया है।
अंसारी को नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी [एनआईए] ने हैदराबाद धमाकों के सिलसिले में बिहार के दरभंगा से गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस के रिकार्ड में दानिश का नाम भी भटकल के साथी और इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी के तौर पर दर्ज है। उसने बताया है कि वह एक लड़की के प्रेम जाल में फंस गया था जिसके बाद वह इस आतंक की दुनिया से बाहर आना चाहता था। लेकिन भटकल ने उसको दिल्ली में ही रहकर या तो हथियार मुहैया कराने या फिर फिदायीन बनने की बात कही थी। इसी वक्त उसने दानिश से विदेशियों को ले जा रही ट्रेन में धमाका करने की बात कही थी।
पुलिस से पूछताछ में दानिश अंसारी ने बताया कि भटकल ने इसके लिए कई सारी जानकारी एकत्रित की थी। भटकल ने अंसारी को ट्रेन में बम लगाने के लिए कहा लेकिन बाद में उसने ऐसा अंसारी की इच्छा पर छोड़ दिया था। मई 2011 में अंसारी ने आईएम से रास्ता अलग कर लिया। इसके बाद भटकल उसे छोड़ने के लिए दरभंगा तक आया। यहां उसने पुलिस से संबंध पर गंभीर परिणाम की चेतावनी भी दी थी।
दानिश के मुताबिक लादेन की मौत के बाद वह घबरा गया था और आईएम से अलग होना चाहता था। अंसारी का यह बयान उस वक्त आया है जब जांच एजेंसियां हैदराबाद बम धमाकों के सिलसिले में कई जगहों पर छापेमारी कर रही है और इसमें शक की सुई भटकल की ओर है। उससे हुई पूछताछ में यह बात सामने आई है कि भटकल उसको अपने साथ शामिल करना चाहता था।
भटकल ने ही अंसारी को वकस से मिलवाया था। वकस ने अंसारी को सेलफोन, घड़ी और रिमोट कंट्रोल से इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बनाने का तरीका सिखाया था। भटकल ने कहा था कि वकस बम बनाने में एक्सपर्ट है।
न पिता बोले कुछ और न मोहल्ले वाले
जागरण संवाददाता, आजमगढ़। बटला हाउस कांड में वांछित और दस लाख रुपये के इनामी असदुल्लाह का अपने गृह जिले में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। यहां से इंटर पास करने के बाद वह बी फार्मा करने के लिए वर्ष 2008 में लखनऊ चला गया। वहां इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में कोर्स के दौरान ही दिल्ली का बटला हाउस कांड हुआ और उसके बाद वह आतंकी करार कर दिया गया। तभी से वह फरार चल रहा था। बटला हाउस कांड के बाद उसकी तलाश में एटीएस ने आजमगढ़ आकर उसके पिता डॉ. जावेद अख्तर से पूछताछ की थी। उस समय उसके पिता ने किसी भी जानकारी से इन्कार किया था और यह भी कहा था कि पुलिस हमारे बेटे का पता लगाए। उसके बाद से असदुल्लाह की तलाश में कई राज्यों की पुलिस के साथ एनआइए भी लगी थी।
गुरुवार को बेटे की गिरफ्तारी के बाद गुलामी का पूरा मोहल्ले में रहने वाले डॉ. जावेद अख्तर इस बारे में कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं थे। गिरफ्तारी की खबरें भले टीवी पर चल रही हों लेकिन अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अख्तर रोज की तरह आराजीबाग स्थित अपने क्लीनिक पर पहुंचे और मरीजों को भी देखा। इस दौरान उनसे बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कुछ बोलने से मना कर दिया। हां, चेहरे पर तनाव झलक रहा था। जिस मोहल्ले में असदुल्लाह का परिवार रहता है वहां के लोग भी मौन साधे हुए हैं। डॉ. अख्तर के तीन पुत्रों में सबसे बड़ा अब्दुल्ला, उसके बाद असदुल्लाह व सबसे छोटा सैफ है। दोनों अन्य बेटे भी जिले से बाहर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
पिता को संतोष, अब फर्जी मुठभेड़ में नहीं मारा जाएगा भटकल
बेंगलूर। आतंकी यासीन भटकल के पिता जर्रार सिद्दीबप्पा ने अपने बेटे की गिरफ्तारी पर गुरुवार को संतोष जताया। उन्होंने कहा कि इससे उसके फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने का डर खत्म हो गया है। मीडिया को जारी बयान में कहा, हमें यह जानकर बेहद राहत मिली है कि अहमद सिद्दीबप्पा [यासीन भटकल] को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब सच सामने आएगा।
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उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल निवासी जर्रार ने कहा कि उनके परिवार का न्यायिक प्रक्रिया में पूरा विश्वास है। अगर वह दोषी पाया जाता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। मगर कानूनन जब तक कोई दोषी साबित न हो जाए उसे बेगुनाह मानना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे के बारे में मीडिया में तमाम तरह की झूठी खबरें फैलाई गई। उन्होंने बताया कि उनका बेटा भटकल में रहकर पहली से लेकर दसवीं कक्षा तक पढ़ा। दुबई से लापता होने के बाद उनकी जानकारी में वह कभी पुणे नहीं आया। यासीन नवंबर, 2005 में दुबई गया था। उसके दो साल बाद वह दुबई से ही लापता हो गया था। दुबई खुफिया एजेंसी और परिवार की तमाम कोशिशों के बावजूद उसका कुछ पता नहीं लगा। बयान पर यासीन के चाचा याकूब सिद्दीबप्पा के भी हस्ताक्षर हैं।
'गिरफ्तार शख्स भटकल नहीं, मोहम्मद अहमद है'
Updated on: Sat, 31 Aug 2013 11:11 AM (IST)अदालत ने अधिवक्ता खान से पूछा कि जिसे अदालत में पेश किया गया है, वह शख्स कौन है? इस पर अधिवक्ता खान ने कहा कि एनआइए जिसे भटकल बता रही है, वह मोहम्मद अहमद है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता के इस तर्क पर आपत्ति जाहिर करते हुए एनआइए ने कहा कि उन्होंने जिसे गिरफ्तार किया है, वह यासीन भटकल ही है। उनके पास इस संबंध में पुख्ता सबूत हैं। अदालत ने सबूतों को देखने के बाद बचाव पक्ष की इस दलील को मानने से इन्कार कर दिया।
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