Thursday, 31 July 2014

पंडितों की यात्रा पर कश्मीर में तनाव , अलगाववादियों के आगे झुकी उमर सरकार, कुलगाम से कौसरनाग यात्रा रद

पंडितों की यात्रा पर कश्मीर में तनाव

अलगाववादियों के आगे झुकी उमर सरकार, कुलगाम से कौसरनाग यात्रा रद


 शुक्रवार, 1 अगस्त, 2014 को 00:33 IST

कश्मीर की कौसर नाग झील

भारत-प्रशासित कश्मीर में प्रशासन द्वारा कौसर नाग झील की धार्मिक यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के बाद वहां सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया है.
श्रीनगर में अधिकारियों का कहना था कि ये यात्रा ''शांति और धार्मिक सदभाव के लिए ख़तरा" थी.

यात्रा 1990 में घाटी छोड़ चुके कश्मीरी पंडितों का एक समूह कर रहा था.

यात्रा का विरोध

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़ इस यात्रा के ख़िलाफ़ विरोध दर्ज कराने के लिए एक हज़ार से ज़्यादा लोग कौसर नाग की ओर मार्च कर रहे थे. इन प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़पें भी हुईं.
इस बीच अलगाववादियों ने शुक्रवार को घाटी में विरोध प्रदर्शन और शनिवार को दिन भर की हड़ताल का आह्वान किया है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ का कहना है, "ये धार्मिक यात्रा नहीं है. ये एक सैन्य और राजनैतिक अभियान है. इस यात्रा से पर्यावरण और वन्यजीवन को ख़तरा है."
पिछले कई दशकों से ये यात्रा नहीं हुई है. बीते सोमवार को जम्मू के रियासी से ये शुरु हुई और एक स्थानीय विधायक ने इसे औपचारिक तौर पर शुरु किया.

लेकिन बुधवार और गुरुवार को यात्रा के विरोध में कुलगाम, श्रीनगर और दूसरे क्षेत्रों में प्रदर्शनों और अलगाववादियों के वक्तव्य आने के बाद सरकार को यात्रा रोक दी.


ख़ुर्रम परवेज़
मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़
वहीं कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के संस्थापक संजय टिक्कू ने  बताया कि 1989 से पहले होने वाली यात्राओं में कौसर नाग यात्रा भी शामिल थी. लेकिन घाटी में चरमपंथ बढ़ने के बाद से ये यात्रा बंद थी.
टिक्कू का कहना था, " अगर 40 लोग इस यात्रा पर जाते हैं तो इससे पर्यावरण पर क्या फ़र्क पड़ेगा? दरअसल कोई नहीं चाहता कि कश्मीरी पंडित लौटें."
संजय टिक्कू कहते हैं कि इस यात्रा में शामिल संस्थाएं इसे रोके जाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगी.
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कहा, "ये यात्रा आरएसएस एजेंडा का हिस्सा है ताकि इस क्षेत्र से मुस्लिम पहचान मिट जाए.''
कौसर नाग झील कश्मीर के शोपियां ज़िले में समुद्र तल से 12 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है.

अलगाववादियों के आगे झुकी उमर सरकार, कुलगाम से कौसरनाग यात्रा रद


 कश्मीरी पंडितों की वापसी और सुरक्षा का राग अलापने वाली जम्मू-कश्मीर सरकार ने अलगाववादी व सांप्रदायिक तत्वों के आगे घुटने टेकते हुए बृहस्पतिवार को कुलगाम से कौसरनाग यात्रा की अनुमति को रद कर दिया। इससे जम्मू से कुलगाम पहुंचे श्रद्धालु यात्रा पर रवाना नहीं हो पाए, जबकि रियासी से पहाड़ी मार्गो से होते हुए निकली यात्रा आगे बढ़ रही है। इस बीच कुलगाम में यात्रा के विरोध में हिंसक प्रदर्शन भी हुए। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें नौ लोग घायल हो गए। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने शनिवार को कौसरनाग यात्रा के खिलाफ कश्मीर बंद का एलान कर दिया है। अलगाववादियों सहित सत्ताधारी नेशनल नेशनल कांफ्रेंस भी इस यात्रा को पर्यावरण के खिलाफ बताकर विरोध कर रही है।
31 जुलाई से तीन अगस्त तक चलने वाली यह यात्रा जम्मू और रियासी जिले से दो दिन पूर्व कौसरनाग के लिए निकली थी। जम्मू से रवाना हुए कश्मीरी पंडितों का जत्था बुधवार शाम को कुलगाम में पहुंच गया था, लेकिन देर रात कुलगाम के जिला उपायुक्त निसार अहमद वानी ने यात्रा को दी गई अनुमति को रद कर दिया। हालांकि उन्होंने ही 21 जुलाई को यात्रा की अनुमति दी थी। वानी ने कहा कि यह यात्रा रियासी जिले के चसाना इलाके से ही की जाए, कुलगाम से नहीं। उन्होंने इस फैसले से यात्रा के संयोजक विनोद पंडित को भी अवगत करवा दिया। मालूम हो कि पीरपंचाल की पहाड़ियों में स्थित कौसरनाग एक छोटी झील है। कश्मीरी पंडितों के मुख्य तीर्थस्थलों में से एक कौसरनाग की वार्षिक यात्रा 1980 के दशक तक आयोजित की जाती रही। इसके बाद आतंकवाद के चलते यह बंद हो गई। इस साल कश्मीरी पंडितों के संगठन ऑल पार्टी माइग्रेंट कोआर्डिनेशन कमेटी ने इस यात्रा की फिर से शुरुआत की है, लेकिन कश्मीर में कौसरनाग यात्रा का तीव्र विरोध किया जा रहा है।

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