Pakistani Media afraid from Our PM Narendra Modi...They are saying any time Modi will start war with Pak and will capture Kashmir... Read full Details
पाक मीडिया: एलओसी पर तनाव 'मोदी का मंसूबा'?
मोदी सरकार सीमा पर तनाव बढ़ा रही है और अपने कार्यकाल में कश्मीर के मुद्दे को ताक़त के दम पर हल करना चाहती है....क्या मोदी सरकार कश्मीर को जबरन भारत में शामिल करने का मंसूबा बना रही है? :नवाए वक़्त(नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की घटनाओं के संदर्भ में)
पाकिस्तान के उर्दू मीडिया में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार बराबर सुर्खियों में बने हुए हैं.
नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की घटनाओं के संदर्भ में नवाए वक़्त का संपादकीय है- क्या मोदी सरकार कश्मीर को जबरन भारत में शामिल करने का मंसूबा बना रही है?
वहीं एक्सप्रेस कहता है कि जब से मोदी सरकार में आए हैं, उनकी तमाम तवज्जो रक्षा तैयारियों पर है.
अख़बार के मुताबिक़ मोदी की सोच यह है कि क्षेत्र में चीन का बढ़ता असर रोका जाए और पाकिस्तान को सीमित किया जाए. इसीलिए भारत सरकार की कोशिश है कि सेना को ज़्यादा से ज़्यादा हथियारों से लैस किया जाए.
इसी संदर्भ में भारत के रक्षा बजट में की गई वृद्धि का ज़िक्र भी किया गया है.
ताकि बत्ती न हो गुल
दैनिक ख़बरें की संपादकीय टिप्पणी है कि इससे पहले सहरी और इफ़्तारी के वक़्त बिजली कटौती रोकने के लिए 40 अरब रुपए जारी हुए थे, फिर भी रमज़ान के पूरे महीने में ख़ूब बिजली गई.
इसी से मिलता जुलता संपादकीय है रोज़नामा उम्मत का- बिजली और पानी से महरूम इस्लामी गणतंत्र पाकिस्तान की जनता.
उधर जंग अख़बार ने अपने संपादकीय में पाकिस्तान में जनगणना न कराने के सरकार के फ़ैसले और इसमें आने वाली मुश्किलों का ज़िक्र किया है.
सानिया पर सवाल
अख़बार-ए-मशरिक कहता है कि सानिया मिर्ज़ा को पाकिस्तानी की बहू बताकर उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वो तेलंगाना में नहीं रहतीं, लेकिन अमिताभ बच्चन जब गुजरात के ब्रांड एंबेसडर बनते हैं तो किसी को आपत्ति नहीं होती.
इस बारे में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक की आपत्ति पर हैदराबाद के अख़बार सियासत ने लिखा कि सानिया की शादी पर सवाल उठाने वालों को याद रखना चाहिए कि जहां उनके नेता लालकृष्ण आडवाणी पैदा हुए, वह जगह भी आज पाकिस्तान में है.
कई उर्दू अख़बारों में जहां गज़ा पट्टी में जारी इसराइली कार्रवाई से पैदा हालात पर नाराज़गी जताई गई है. वहीं भारत से वहां दखल देने को कहा गया है.
इसी पर उर्दू टाइम्स के संपादकीय का विषय है- सुषमा जी ज़रा इस पर भी ग़ौर करें.
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