Breaking- नरेंद्र मोदी का धर्मपुत्र! | नेपाल के जीत बहादुर को मानते हैं नरेंद्र मोदी का धर्मपुत्र
| काठमांडू, 29 जुलाई 2014 | अपडेटेड: 13:38 IST
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेपाल में एक धर्मपुत्र भी है जिसे
उन्होंने ना सिर्फ पाला पोसा है बल्कि अच्छी पढ़ाई लिखाई भी कराई. नरेंद्र
मोदी के नेपाल यात्रा को लेकर पूरा नेपाल उत्साहित है तो जीत बहादुर के
परिवार में उनके प्रति गहरी श्रद्धा का भाव है. बेहद गरीब परिवार का यह
लड़का अभी अहमदाबाद में पढ़ाई कर रहा है. जीत बहादुर के परिवारवाले उसे
नरेंद्र मोदी का धर्मपुत्र मानते हैं.जीत बहादुर पिछले 12 वर्षों से
मोदी के साथ है और अभी अहमदाबाद में बीबीए की पढ़ाई कर रहा है. 10 साल की
उम्र में जीत बहादुर भारत में आकर खो गया था. मोदी ने न सिर्फ उसे पाला और
पढ़ाया बल्कि उसको उसके परिवार से मिलाने में भी अहम भूमिका निभाई. इसलिए
जीत बहादुर की मां भी उसे मोदी का धर्मपुत्र मानती है. खगिसरा साहू का कहना
है कि उसने जीत बहादुर को केवल जन्म दिया है जबकि मोदी ने उसके लिए बहुत
कुछ किया.
जीत बहादुर का परिवार नेपाल के नवलपरासी जिले के कवासती लोकाहा गांव का रहनेवाला है. उसका परिवार बेहद गरीब है. 1998 में वो अपने भाई दशरथ के साथ दिल्ली काम की तलाश में गया. कुछ दिन दिल्ली में काम करने के बाद वो राजस्थान चला गया. राजस्थान में उसका मन नहीं लगा तो वो वहां से भाग कर घर आना चाहता था लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. वो गोरखपुर की ट्रेन में बैठने की बजाय अहमदाबाद की ट्रेन में बैठ गया. एक महिला ने उससे नरेंद्र मोदी तक पहुचाया. तब से जीत बहादुर मोदी के साथ है.
जीत बहादुर के घरवालों को उम्मीद नहीं थी कि वो फिर कभी उससे मिल पाएंगे. जीत बहादुर के उसके परिवार से मिलने की कहानी बहुत दिलचस्प है. नेपाल के जाने-माने बिजनेसमैन विनोद चौधरी फिक्की के निमंत्रण पर 2011 में अहमदाबाद गए थे. उस कार्यक्रम में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की थी. मोदी से मुलाकत के दौरान विनोद चौधरी ने उन्हें नेपाल आने का न्यौता दिया. तब मोदी ने शर्त रखी कि अगर उनके यहां रह रहे नेपाली लड़के के परिवार का पता लगा दें तो वो जरूर नेपाल आएंगे. इस पर विनोद चौधरी ने अपने सहयोगियों की मदद से 30 घंटे के भीतर न सिर्फ जीत बहादुर के परिवार का पता लगाया बल्कि उसकी बातचीत भी घरवालों से कराई.
जीत बहादुर का परिवार नेपाल के नवलपरासी जिले के कवासती लोकाहा गांव का रहनेवाला है. उसका परिवार बेहद गरीब है. 1998 में वो अपने भाई दशरथ के साथ दिल्ली काम की तलाश में गया. कुछ दिन दिल्ली में काम करने के बाद वो राजस्थान चला गया. राजस्थान में उसका मन नहीं लगा तो वो वहां से भाग कर घर आना चाहता था लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. वो गोरखपुर की ट्रेन में बैठने की बजाय अहमदाबाद की ट्रेन में बैठ गया. एक महिला ने उससे नरेंद्र मोदी तक पहुचाया. तब से जीत बहादुर मोदी के साथ है.
जीत बहादुर के घरवालों को उम्मीद नहीं थी कि वो फिर कभी उससे मिल पाएंगे. जीत बहादुर के उसके परिवार से मिलने की कहानी बहुत दिलचस्प है. नेपाल के जाने-माने बिजनेसमैन विनोद चौधरी फिक्की के निमंत्रण पर 2011 में अहमदाबाद गए थे. उस कार्यक्रम में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की थी. मोदी से मुलाकत के दौरान विनोद चौधरी ने उन्हें नेपाल आने का न्यौता दिया. तब मोदी ने शर्त रखी कि अगर उनके यहां रह रहे नेपाली लड़के के परिवार का पता लगा दें तो वो जरूर नेपाल आएंगे. इस पर विनोद चौधरी ने अपने सहयोगियों की मदद से 30 घंटे के भीतर न सिर्फ जीत बहादुर के परिवार का पता लगाया बल्कि उसकी बातचीत भी घरवालों से कराई.
No comments:
Post a Comment