Saturday, 21 June 2014

उपभोक्ता आयोग: पा‌र्श्वनाथ डेवलपर्स को समय पर फ्लैट न देना पड़ा महंगा, लगा (28.38 लाख 9 प्रतिशत ब्याज के साथ + 70 हजार रुपये) जुर्माना ,उपभोक्ता अधिकार अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई

उपभोक्ता आयोग: पा‌र्श्वनाथ डेवलपर्स को समय पर फ्लैट न देना पड़ा महंगा, लगा (28.38 लाख 9 प्रतिशत ब्याज के साथ + 70 हजार रुपये) जुर्माना ,उपभोक्ता अधिकार अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई

पा‌र्श्वनाथ डेवलपर्स को समय पर फ्लैट न देना पड़ा महंगा, लगा जुर्माना

Date:Sunday,Jun 22,2014 08:57:03 AM
 
पा‌र्श्वनाथ डेवलपर्स को समय पर फ्लैट न देना पड़ा महंगा, लगा जुर्माना
 
नई दिल्ली, । कोई भी व्यक्ति फ्लैट खरीदने के लिए अपनी पूंजी लगाते समय यह सपना संजोए रहता है कि उसे समय पर रहने के लिए आशियाना उपलब्ध होगा। उसके इस सपने को पूरा करने के लिए डेवलप कंपनियां एक तय समय-सीमा पर फ्लैट देने का वादा भी करती हैं। मगर,उस तय समय पर लोगों को फ्लैट मिलता नहीं। यह देरी सीधे तौर पर कंपनी की ओर से उपभोक्ता के प्रति किया गया अपराध है। यह उपभोक्ता के अधिकार के हनन का मामला बनता है। ऐसे मामलों में कोई भी डेवलपर कंपनी अपनी देरी के लिए ग्राहक का पैसा ब्याज सहित लौटाने या उस देरी के लिए हर्जाना देने के लिए बाध्य है। अगर कोई कंपनी ऐसा करने से इन्कार करती है तो उस पर उपभोक्ता अधिकार अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्य एसके सिद्दकी (न्यायिक) व एसके जैन की दो सदस्यीय पीठ ने पाश्‌र्र्वनाथ डेवलपर्स को निर्देश दिया है कि वह उनकी ग्रेटर नोएडा के प्रोजेक्ट में बुक कराए गए फ्लैट की कीमत 28.38 लाख शिकायतकर्ता को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाए। इसके साथ ही आयोग ने उक्त कंपनी पर 70 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। यह राशि अलग से मामले की शिकायतकर्ता महिला को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी।
आयोग ने अपने फैसले में कहा कि कंपनी ने एक तो समय पर फ्लैट का कब्जा नहीं दिया। जब शिकायतकर्ता ने उससे फ्लैट देने की तिथि, उसकी वर्तमान हालत व जमीन की एनओसी के बारे में पूछा तो उसने उसे धोखे में रखा। ऐसा कर कंपनी ने शिकायतकर्ता का उत्पीड़न किया है। कंपनी मामले में मुआवजा देने के लिए बाध्य है। इसलिए मुआवजे की राशि शिकायतकर्ता को एक माह के अंदर कंपनी दे।
यह था पूरा मामला
नोएडा के सेक्टर-26 निवासी वेद कुमारी धवन ने 30 अप्रैल, 2006 को पा‌र्श्वनाथ डेवलपर्स कंपनी के ग्रेटर नोएडा स्थित पा‌र्श्वनाथ प्रिविलेज नामक प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक करवाया। इसके बाद उन्होंने डेढ़ साल के भीतर फ्लैट की पचास प्रतिशत रकम कुल 28.38 लाख रुपये कंपनी को अदा किए। लेकिन सितंबर 2011 तक उन्हें फ्लैट का कब्जा नहीं मिला। जब कभी वह कंपनी कर्मचारी से फ्लैट के बारे में पूछती तो वह उन्हें बहाना बना कर टालते रहते। तंग आकर वेद कुमारी ने मामले की शिकायत राज्य उपभोक्ता आयोग में की थी।

1 comment:

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