इराक:'आतंकी हमें कैंटर में भर रहे हैं, अब बचना मुश्किल'...पंजाब के होशियारपुर का कमलजीत सिंह भी उन 41 अगवा भारतीयों में शामिल
'इराक में अगवा किए गए सभी 40 भारतीय हैं सुरक्षित!':विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
'अब हमारा कुछ नहीं हो सकता, बचना मुश्किल'
पंजाब के होशियारपुर का कमलजीत सिंह भी उन 41
भारतीयों में शामिल है जो इराक में फंसा है। इराक में 17 जून की रात
आतंकियों के कब्जे में फंसने के बाद आखिरी बार फोन पर उसने अपने भाई
परमिंदर से इतना ही कह पाया कि 'हम हथियारबंद लोगों के कब्जे में हैं।
मेरी कंपनी के सभी 91 लोगों को आतंकियों ने इकट्ठा कर लिया है। उनमें से स्थानीय निवासियों व एक समुदाय के लोगों को अलग करके बाकी 41 लोगों को एक कैंटर में भर रहे हैं। अब हमारा कुछ नहीं हो सकता। बचना मुश्किल है। हमारा तो अब भगवान ही मालिक है। तुम घर का ख्याल रखना।'
उसके बाद वह फफककर रोने लगा और फोन कट गया। इराक में अगवा किए गए 41 भारतीयों में से एक कमलजीत सिंह होशियारपुर के गांव छावनी का रहने वाला है। उसके परिजनों का एक-एक पल सदी से भी लंबा होता जा रहा है।
मेरी कंपनी के सभी 91 लोगों को आतंकियों ने इकट्ठा कर लिया है। उनमें से स्थानीय निवासियों व एक समुदाय के लोगों को अलग करके बाकी 41 लोगों को एक कैंटर में भर रहे हैं। अब हमारा कुछ नहीं हो सकता। बचना मुश्किल है। हमारा तो अब भगवान ही मालिक है। तुम घर का ख्याल रखना।'
उसके बाद वह फफककर रोने लगा और फोन कट गया। इराक में अगवा किए गए 41 भारतीयों में से एक कमलजीत सिंह होशियारपुर के गांव छावनी का रहने वाला है। उसके परिजनों का एक-एक पल सदी से भी लंबा होता जा रहा है।
17 तारीख की रात भाई से बात हुई थी
कमलजीत की सलामती की दुआएं मांगती उसकी मां संतोष
कुमारी की आंखें रोने से सूज गई हैं। आंखों से आंसू बंद नहीं हो रहे हैं।
संतोष का गम इसलिए भी गहरा है कि उसके जिगर के टुकड़े के साथ-साथ उसके भाई
और उसकी ननद दोनों के ही दामाद भी कमलजीत के साथ ही आतंकियों की गिरफ्त में
हैं।
कमलजीत सिंह के भाई परमिंदर ने बताया कि 17 तारीख की रात उसकी अपने भाई से बात हुई थी। कमलजीत की यह आखिरी कॉल पूरे परिवार पर कहर बनकर टूटी। कमलजीत की पत्नी अपने दो नन्हे बच्चों के साथ मायके में है।
उसे पता ही नहीं कि उस पर क्या गुजर रही है। परमिंदर ने अपने पास मौजूद दस अन्य लोगों की पासपोर्ट की प्रति भी दिखाई जो इन 41 भारतीयों में शामिल हैं और कमलजीत के साथ ही थे।
कमलजीत सिंह के भाई परमिंदर ने बताया कि 17 तारीख की रात उसकी अपने भाई से बात हुई थी। कमलजीत की यह आखिरी कॉल पूरे परिवार पर कहर बनकर टूटी। कमलजीत की पत्नी अपने दो नन्हे बच्चों के साथ मायके में है।
उसे पता ही नहीं कि उस पर क्या गुजर रही है। परमिंदर ने अपने पास मौजूद दस अन्य लोगों की पासपोर्ट की प्रति भी दिखाई जो इन 41 भारतीयों में शामिल हैं और कमलजीत के साथ ही थे।
भारतीय दूतावास के अधिकारियों पर गुस्सा
कमलजीत के पूर्व सैनिक पिता शून्य में ताकते हुए
बेटे को याद करते हैं तो भाई परमिंदर नम आंखों और रूंधे गले से भारतीय
दूतावास के अधिकारियों के उनके प्रति उदासीन रवैये की बात करते हुए फूट पड़
रहा है। हर पल बस एक ही दुआ पूरा परिवार और आसपास के लोग कर रहे हैं कि
परमात्मा उन्हें सकुशल वापस लौटा लाए।
कमलजीत की मां संतोष के मुताबिक उन्हें मालूम नहीं था कि अच्छे वेतन और सुनहरे भविष्य के सपने सजाए उनके बेटे का इराक जाना इस कदर खतरनाक साबित होगा कि उन्हें जान के लाले पड़ जाएंगे।
सितंबर में इराक गया कमलजीत इससे पहले भी दो साल कुवैत में काम करके लौटा था। उसे लौटे महज 15 दिन ही हुए थे लिए वह फिर से इराक के लिए रवाना हो गया। परमिंदर ने बताया कि वह भी मोसुल में दो साल तक इसी कंपनी तारीक नूर अल हुदा कंपनी फार जनरल कंस्ट्रक्शंस में काम करके सितंबर में ही वापस आया था।
आते वक्त उसने दुबई के एक एजेंट के जरिये अपने भाई और अन्य लोगों के लिए वीजा की बात की और चार लोगों को वीजा मिला। इन चार लोगों में तब कुवैत से लौटा उसका भाई कमलजीत, बुआ का दामाद कुलविंदर सिंह निवासी भोगपुर जालंधर, मामा का दामाद गुरदीप निवासी जैतपुर होशियारपुर और एक अन्य नूरमहल निवासी संदीप कुमार शामिल हैं।
कमलजीत की मां संतोष के मुताबिक उन्हें मालूम नहीं था कि अच्छे वेतन और सुनहरे भविष्य के सपने सजाए उनके बेटे का इराक जाना इस कदर खतरनाक साबित होगा कि उन्हें जान के लाले पड़ जाएंगे।
सितंबर में इराक गया कमलजीत इससे पहले भी दो साल कुवैत में काम करके लौटा था। उसे लौटे महज 15 दिन ही हुए थे लिए वह फिर से इराक के लिए रवाना हो गया। परमिंदर ने बताया कि वह भी मोसुल में दो साल तक इसी कंपनी तारीक नूर अल हुदा कंपनी फार जनरल कंस्ट्रक्शंस में काम करके सितंबर में ही वापस आया था।
आते वक्त उसने दुबई के एक एजेंट के जरिये अपने भाई और अन्य लोगों के लिए वीजा की बात की और चार लोगों को वीजा मिला। इन चार लोगों में तब कुवैत से लौटा उसका भाई कमलजीत, बुआ का दामाद कुलविंदर सिंह निवासी भोगपुर जालंधर, मामा का दामाद गुरदीप निवासी जैतपुर होशियारपुर और एक अन्य नूरमहल निवासी संदीप कुमार शामिल हैं।
दूतावास मदद करता तो यह न होता : परमिंदर
परमिंदर सिंह को इस बात का भी रंज है कि इराक में
भारतीय दूतावास न तो उनकी कोई मदद ही कर रहा है और न ही उनकी बात सुन रहा
है। उसने बताया कि कमलजीत से वहां के हालात का पता चलने के बाद उसने भारतीय
दूतावास को फोन किया।
दूतावास के नंबर पर फोन किए जाने पर वहां डीपी सिंह नाम के किसी अधिकारी से उसकी बात हुई, लेकिन उसने मदद कर पाने से साफ मना कर दिया। परमिंदर का कहना था कि अगर भारतीय दूतावास ने समय रहते कदम उठाए होते तो आज यह हालात पैदा न होते।
जब वह खुद भी वहां था तो मदद की गुहार लगाने पर भारतीय दूतावास के लोगों का रवैया नकारात्मक ही होता था और वे मदद के बजाय कहते थे कि तुम्हें यहां आने को किसने कहा था।
Updated Date:Thursday,Jun 19,2014 10:52:54 AM
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र से कहा कि प्रदेश सरकार इराक में फंसे पंजाबियों की वापसी के लिए पूरा खर्च उठाने को तैयार है। हालांकि इराक में बढ़ते संकट का असर भारत पर भी पड़ रहा है। पूरे इराक में करीब 10,000 भारतीयों के फंसे होने की खबर है। मोसुल और तिकरित शहर पर आतंकी कब्जा जमा चुके हैं। बसरा, नजफ और बगदाद अभी जेहादियों के कब्जे से बाहर है।
इराक में करीब 10 हजार भारतीय मूल के लोग हैं। बसरा, नजफ, बगदाद, मोसुल और तिकरित में भारतीयों की काफी संख्या है। गौरतलब है कि इराक में आतंकियों ने शिया प्रभुत्व वाली सत्ता को चुनौती दी है। कई शहरों पर कब्जे के बाद आतंकी बगदाद की ओर बढ़ रहे हैं। पंजाब के कई परिवारों से लोग इराक काम करने गए हैं। कपूरथला के गांव मुरार में बरजिंदरा का परिवार परेशान है। परिवार के मुताबिक बरजिंदर सद्दाम हुसैन के महल के पास वेल्डिंग का काम कर रहे थे। तीन दिन से उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
अमृतसर के गुरपिंदर का परिवार भी दहशत में है और उनकी सलामती के लिए परिवार के लोग गुरुद्वारे में अरदास कर रहे हैं। अंबाला की कांता रानी ने कर्ज लेकर बेटे को इराक भेजा था। अब वह बस किसी तरह बेटे की सुरक्षित वापसी चाहती हैं।
दूतावास के नंबर पर फोन किए जाने पर वहां डीपी सिंह नाम के किसी अधिकारी से उसकी बात हुई, लेकिन उसने मदद कर पाने से साफ मना कर दिया। परमिंदर का कहना था कि अगर भारतीय दूतावास ने समय रहते कदम उठाए होते तो आज यह हालात पैदा न होते।
जब वह खुद भी वहां था तो मदद की गुहार लगाने पर भारतीय दूतावास के लोगों का रवैया नकारात्मक ही होता था और वे मदद के बजाय कहते थे कि तुम्हें यहां आने को किसने कहा था।
'इराक में अगवा किए गए सभी 40 भारतीय हैं सुरक्षित!'
'इराक में अगवा किए गए सभी 40 भारतीय हैं सुरक्षित!'
नई दिल्ली। इराक से उन लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर है जिनके अपने इराक
में अगवा कर लिए गए हैं। बताया गया है कि अगवा किए गए सभी 40 भारतीय
सुरक्षित हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह
बादल को इस संबंध में जानकारी दी। अकाली नेता नरेश गुजराल का दावा है कि
सुषमा स्वराज ने बादल को बताया है कि सभी 40 लोग महफूज हैं।पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र से कहा कि प्रदेश सरकार इराक में फंसे पंजाबियों की वापसी के लिए पूरा खर्च उठाने को तैयार है। हालांकि इराक में बढ़ते संकट का असर भारत पर भी पड़ रहा है। पूरे इराक में करीब 10,000 भारतीयों के फंसे होने की खबर है। मोसुल और तिकरित शहर पर आतंकी कब्जा जमा चुके हैं। बसरा, नजफ और बगदाद अभी जेहादियों के कब्जे से बाहर है।
इराक में करीब 10 हजार भारतीय मूल के लोग हैं। बसरा, नजफ, बगदाद, मोसुल और तिकरित में भारतीयों की काफी संख्या है। गौरतलब है कि इराक में आतंकियों ने शिया प्रभुत्व वाली सत्ता को चुनौती दी है। कई शहरों पर कब्जे के बाद आतंकी बगदाद की ओर बढ़ रहे हैं। पंजाब के कई परिवारों से लोग इराक काम करने गए हैं। कपूरथला के गांव मुरार में बरजिंदरा का परिवार परेशान है। परिवार के मुताबिक बरजिंदर सद्दाम हुसैन के महल के पास वेल्डिंग का काम कर रहे थे। तीन दिन से उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
अमृतसर के गुरपिंदर का परिवार भी दहशत में है और उनकी सलामती के लिए परिवार के लोग गुरुद्वारे में अरदास कर रहे हैं। अंबाला की कांता रानी ने कर्ज लेकर बेटे को इराक भेजा था। अब वह बस किसी तरह बेटे की सुरक्षित वापसी चाहती हैं।
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