इराक एक्सक्लूसिव: 40 ही नहीं, 300 और भारतीय इराक में बंदूक की नोक पर बंधक हैं,इनमें से 200 पंजाब के, सभी ईसीसी कंपनी के कर्मचारी
एक्सक्लूसिव: 40 ही नहीं, 300 और भारतीय इराक में हैं लापता
होशियारपुर। छावनी कलां गांव का परमिंदर भगवान का शुक्रिया अदा
कर रहा है कि इराक में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड अलशाम (इसिस)
आतंकवादियों द्वारा अगवा किए जाने से बाल-बाल बच गया। तेहराक नूर अल हुदा
नाम की कं स्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाला परमिंदर छुट्टी पर आया था और
किसी कारण से वापस नहीं जा पाया। लेकिन वह दुखी है क्योंकि उसका भाई कमलजीत
अभी भी आतंकवादियों की गिरफ्त में हैं। इसी गांव के सुखविंदर उर्फ जस्सी
भी बगदाद में बंधक हैं।
इराक में काम कर रहे 17 हजार भारतीयों में से ज्यादातर पंजाब के हैं।
इसिस के आतंकवादियों द्वारा इराक के कई शहरों पर कब्जा कर लिए जाने से उनके
परिवार बुरी हालत में हैं। शनिवार सुबह 11 बजे सुखविंदर का फोन आया। ठीक
से सुनाई नहीं दे रहा था। वह इतना बता पाया कि उसके साथ ईसीसी कंपनी में
काम कर रहे 300 भारतीय भी बंदूक की नोक पर बंधक बना लिए गए हैं। इनमें से
200 पंजाब के हैं। कंपनी अधिकारी कर्मचारियों को छोड़कर भाग गए हैं।
एक मिनट बाद ही फोन कट गया। शाम तक उससे संपर्क नहीं हो पाया। सिर्फ
वाट्सएप पर बंधक भारतीयों की तस्वीर आई। सुखविंदर की मां अवतार कौर तथा
पिता कृपाल सिंह की आंखों से आंसू बंद नहीं हो रहे हैं। उसे बचाने की गुहार
सरकार से लगा रहे हैं।
वहीं, कमलजीत ने आखिरी बार 15 जून को अपने परिवार को फोन किया था।
सिर्फ यही कहा कि उन्हें अज्ञात जगह ले जाया गया है। लेकिन मौके पर मौजूद
बांग्लादेशी कर्मचारी हसन को फोन करने पर हृदयविदारक कहानी सामने आई।
उसने बताया कि 11 जून को आतंकवादियों के हमले के समय 91 कर्मचारी थे।
आतंकियों ने मुस्लिमों को छोड़ दिया। बाकी बचे 42 को अलग कर उनके फोन जब्त
कर लिए। ये सभी भारतीय थे। उन्हें ट्रक में लादकर अज्ञात स्थान पर ले जाया
गया। हसन के मुताबिक एक भारतीय कर्मचारी फोन छुपाकर ले गया था। उसी ने हसन
को फोन पर बताया कि आतंकी सभी को मार डालने की धमकी दे रहे हैं। इसके बाद
संपर्क टूट गया। कंपनी ने छोड़े गए कर्मचारियों को कुर्द-शासित इरबिल नाम
के इलाके में पहुंचा दिया।
(बंधक भारतीयों की ये तस्वीर बगदाद से सुखविंदर ने वाट्सएप पर परिजनों को भेजी है)
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