Thursday, 26 June 2014

नरेंद्र मोदी करें कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित: जॉन मैक्केन-वरिष्ठ रिपब्लिकन सीनेटर (भारत और अमेरिका संबंध)

नरेंद्र मोदी करें कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित: जॉन मैक्केन-वरिष्ठ रिपब्लिकन सीनेटर (भारत और अमेरिका संबंध)
वाशिंगटन, 27-06-14 09:23 AM

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वरिष्ठ रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैक्केन भी सांसदों के उस समूह में शामिल हो गए हैं, जिसने कांग्रेस नेतृत्व से अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित करने का आग्रह किया है।
   
मैक्केन ने कल सीनेट में भारत पर एक बड़े संबोधन में कहा कि जब प्रधानमंत्री वाशिंगटन आएंगे, तो मैं कांग्रेस नेताओं से आग्रह करूंगा कि वे उन्हें कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करें। एरिजोना के सीनेटर, मोदी और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम से मिलने अगले हफ्ते भारत का दौरा करेंगे।
   
पिछले हफ्ते, दो शी र्ष अमेरिकी सांसदों ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर जॉन बोहनर से आग्रह किया था कि वह मोदी को कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करें। कांग्रेस सदस्य एवं सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष ईड रॉयस तथा कांग्रेस सदस्य जॉर्ज होल्डिंग ने सदन के अध्यक्ष जॉन बोहनर को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि कांग्रेस के संयुक्त सत्र में मोदी का संबोधन कराया जाए।

इन तीनों साझा हितों का जिक्र करते हुए मैक्केन ने कहा, पहला, दक्षिण एशिया को संप्रभु और लोकतांत्रिक देशों का क्षेत्र बनाना है, जो कि एक-दूसरे की सुरक्षा और समूद्धि में योगदान कर सकते हों। दूसरा, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति की प्रचुरता पैदा करना, जो कि मुक्त समाज, मुक्त बाजार, मुक्त व्यापार और मुक्त साझा क्षेत्रों के अनुकूल हो। मैक्केन ने आगे कहा, और तीसरा, एक उदार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और एक मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है, जो कि मानव सम्मान की सुरक्षा कर सके और शांतिपूर्ण विकास को गति दे सके।
    
भारत और अमेरिका के संबंधों में प्रांतीयता से सावधान करते हुए मैक्केन ने चेतावनी दी, हमें अपने देशों के भीतर के उन घरेलू बलों का विरोध करना चाहिए, जो हमारे रणनीतिक संबंधों को मोल-भाव के संबंधों में बदल सकते हैं। मोलभाव के संबंध ऐसे संबंध हैं, जो कि हमारे एकसाथ मिलकर हासिल किए जाने वाले रणनीतिक लक्ष्यों से परिभाषित होने के बजाय उन संकीर्ण कटौतियों से परिभाषित होते हैं, जो हम एक दूसरे से हासिल करने में सफल रहते हैं। यदि हम इन चुनौतियों से निपटने में विफल रहते हैं तो हम अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

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