धार्मिक नेता ताहिर उल क़ादरी फिर पाकिस्तान में,आठ समर्थकों की मौत.. हलचल मची,...नवाज़ शरीफ़ के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण बग़ावत का नेतृत्व....पाकिस्तान पर फिर सियासी 'ड्रोन' का साया,
मंगलवार, 24 जून, 2014 को 18:47 IST तक के समाचार
धार्मिक नेता ताहिर उल क़ादरी के आने से एक बार फिर पाकिस्तान में हलचल मची है.
कनाडा में रहने वाले क़ादरी सोमवार को पाकिस्तान
पहुंचे. लेकिन उनके आने से पहले ही पिछले हफ्ते लाहौर में उनके आठ समर्थकों
की उस समय मौत हो गई उग्र भीड़ पर पुलिस ने गोली चला दी.सोमवार को उनके विमान को इस्लामाबाद के एयरपोर्ट पर उतरना था. वहां जमा उनके समर्थक 'इस्लामी क्रांति' और 'पाकिस्तानी सेना ज़िंदाबाद' के नारे लगा रहे थे. लेकिन बाद में उनके विमान को लाहौर की तरफ़ मोड़ दिया गया.
इस पर कादिरी ने सरकार पर विमान का अपहरण करने का आरोप लगाया और घंटों तक वो विमान से उतरने को राज़ी नहीं हुए जबकि अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने बाकी यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया.
सिर्फ़ सेना पर भरोसा
क़ादरी ऐसे समय में पाकिस्तान गए हैं जब वहां सेना कबायली इलाकों में चरमपंथियों के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है.लगभग डेढ़ साल पहले भी जब कादिरी पाकिस्तान गए तो उन्होंने आम चुनावों से पहले पिछली सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा प्रदर्शन किया.
पाकिस्तान में कई लोग मान रहे हैं कि प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से मतभेदों के बाद पाकिस्तानी सेना कादिरी को बढ़ावा दे रही है.
डॉक्टर क़ादरी साल 2005 से कनाडा में रह रहे हैं और वह वहां मिनहाजुल क़ुरान इंटरनेशनल के बैनर तले एक शैक्षणिक और जन-कल्याणकारी संस्था चलाते हैं जो उनके मुताबिक 80 से ज्यादा देशों में सक्रिय है.
लोग अब तक नहीं भूले हैं कि किस तरह पिछले साल उन्होंने राजधानी इस्लामाबाद से 'लॉन्ग-मार्च' निकाला था और सरकारी तंत्र पर हमले किए थे.
क़ादरी का कहना है कि वो पाकिस्तान में सिर्फ एक संस्था का सम्मान करते हैं, और वो है पाकिस्तान की सेना.
'लोकतंत्र विरोधी ताकतों का एजेंट'
पंजाब यूनिवर्सिटी से विधि-स्नातक क़ादरी ने इस्लामी विद्वान और आम लोगों के लिए काम करने वाले नेता की छवि बनाई है.वैसे पाकिस्तान के सभी राजनीतिक दल उन्हें 'पाकिस्तान विरोधी एजेंट' और 'लोकतंत्र विरोधी ताकतों का एजेंट' बताकर ख़ारिज़ कर रहे हैं.
डॉक्टर क़ादरी ने 1989 में अपनी एक राजनीति पार्टी बनाई थी लेकिन वो 2002 चुनावों ही एक सीट जीत पाए. वैसे 2002 के चुनावों को निष्पक्ष नहीं माना जाता है.
आरोप लगते हैं कि परवेज़ मुशर्रफ ने अपनी सियासी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ये चुनाव कराए थे.
क़ादरी ने दुनिया के बहुत से देशों का दौरान किया है.
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