Wednesday, 25 June 2014

ज़रूर पढ़ें: कैसा रहा मोदी सरकार का एक महीना?

ज़रूर पढ़ें:  कैसा रहा मोदी सरकार का एक महीना?


 गुरुवार, 26 जून, 2014 को 07:36 IST तक के समाचार


नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्र सरकार का मुखिया बने एक महीना हो चुका है. लेकिन अब भी वह 'हनीमून पीरियड' के दौर से ही गुज़र रहे हैं. एक ऐसा दौर जिसमें मतदाता नई सरकार को समय और चीज़ों को समझने का मौका देते हैं.
उम्मीदें फिर भी बहुत ज़्यादा हैं लेकिन उनकी मांग अभी मंद है. इस दौर में एक क़िस्म की समझदारी और धैर्य है.

आइए, इस बात को समझने की कोशिश करें कि पिछले महीने की घटनाओं से मोदी ने अभी तक क्या सफलताएं अर्जित की हैं और इस छोटे से अंतराल के आधार पर वह आगे कैसे बढ़ेंगे, इस पर भी विचार करें.
सामान्य रूप से कहा जाए तो मोदी ने काम करने की अपनी पुरानी शैली को जारी रखना ही पसंद किया है. एक ऐसी शैली जो प्रशासन को राजनीतिज्ञों की बजाए नौकरशाहों के सहारे चलाने की समर्थक है.
वरिष्ठ अधिकारियों, ख़ासकर विभागों का नेतृत्व करने वाले सचिवों से कहा जा रहा है कि वे निडर होकर काम करें.
उन्हें आश्वस्त किया जा रहा है कि मोदी उनके फैसलों के साथ खड़े होंगे और उनसे यह भी कहा जा रहा है कि किसी समस्या के आने पर वे उनसे सीधे मिल सकते हैं. इस 'समस्या' का आशय उनके विभागों के मंत्री हैं.

भूटान में नरेंद्र मोदी
ये वही तरीक़ा है जिस तरीक़े से उन्होंने गुजरात चलाया और उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता व स्पष्ट बहुमत का मतलब है कि मंत्रियों को दिल्ली में इसकी आदत डाल लेनी होगी.

मोदी स्टाइल

उनके मंत्रियों को भी मोदी के शासन करने की शैली के अन्य पहलुओं के बारे में शिक्षा दी जा रही है. वह मंत्रियों से अपने 100 दिन के कार्यकाल का समयबद्ध और नतीजा दिखाने वाला एजेंडा तय करने को कह चुके हैं.

मोदी के कार्यकाल का पहला संकट बहुत छोटा था और उससे बचा जा सकता था. मोदी ने जब विदेशी नेताओं से बात करने में अंग्रेज़ी की बजाए हिंदी को चुना तो बहुतों ने उनकी तारीफ़ की थी.
यह अजीब था क्योंकि वह अच्छी तरह अंग्रेज़ी नहीं बोल सकते और अनिवार्य रूप से हिंदी ही बोलते हैं जब तक कि वह गुजराती बोलने पर न उतर आएं.

नरेंद्र मोदी के साथ नवाज़ शरीफ़
यूट्यूब पर मौजूद उनके पेटेंट वाइब्रेंट गुजरात की बैठकों में उनका एक वीडियो देखते हुए इसे आसानी से समझा जा सकता है.
इसमें वह अंग्रेज़ी बोलने की कोशिश करते हैं और आशावाद (ऑप्टिमिस्टिक) व निराशावाद (पेसीमिस्टिक) में गड़बड़ा जाते हैं. वह ख़ुद को निराशावादी व्यक्ति कहते हैं जबकि उनका असली मतलब इसका बिल्कुल विपरीत होता है.
और इसलिए ज़रूरत के मुताबिक एक गुण पैदा कर लिया गया. मीडिया की प्रतिक्रिया से उत्साहित मोदी ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया कि वे भी हिंदी का इस्तेमाल करें.
एक वरिष्ठ नौकरशाह ने इसे सोशल मीडिया तक खींच दिया. इसकी तत्काल प्रतिक्रिया तमिलों समेत मोदी के सहयोगियों की ओर से भी आई. उन्होंने मांग की कि इस आदेश को वापस लिया जाए.

लचीलापन


नरेंद्र मोदी
इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का पीछे हटना यह दिखाता है कि मोदी का रुख़ लचीला था और इस पूरी घटना को ऐसे लिया गया जैसे कुछ हुआ ही न हो.
लोच अच्छी बात है और शानदार बहुमत के बावजूद मोदी को भविष्य में इसकी ज़रूरत पड़ेगी.

दूसरा संकट इराक़ में भारतीयों के अपहरण के साथ आया. इस बार भी मोदी ने बहुत ही बुद्धिमत्ता से काम लिया.
जिस तरह उन्होंने चुनाव प्रचार किया उससे अलग उन्होंने बेवजह मर्दानगी और राष्ट्रवादी शब्दाडंबर से ख़ुद को दूर ही रखा और कठिन परिस्थितियों को कैसे सुलझाया जाए, इसका वह अध्ययन कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री के प्रदर्शन से शेयर बाज़ार प्रसन्न बना हुआ है और तेल को लेकर इराक़ से आने वाली बुरी ख़बरों के बावजूद उनकी नीतियों और मंशाओं को आम तौर पर सकारात्मक लिया जा रहा है.

नरेंद्र मोदी
यह इसलिए है क्योंकि वित्त मंत्री अरुण जेटली वही बातें कर रहे हैं जो बाज़ार सुनना चाहता है. यह इसलिए है कि बजट राजकोषीय मजबूती और घाटे को कम करने पर केंद्रित होगा.
इसका एक संकेत तो तभी आ गया था जब मोदी ने रेलवे किराए में वृद्धि की, जिसे कांग्रेस सरकार वापस ले चुकी थी. इस फैसले को बिना विपक्ष से सलाह-मशविरे के पास कर दिया गया.

ग़लतियां और सबक

गृह मंत्रालय में डेढ़ लाख पुरानी फाइलों को नष्ट करने के उनके आदेश के बाद उनकी बेहिचक प्रशासक की छवि और निखर गई.
और सबसे आख़िरी बात. मोदी ने सूचनाओं को जारी करने पर कड़ा नियंत्रण रख रखा है. मंत्री और सचिव उनकी नाराज़गी से इतने डरे हुए हैं कि पूरी तरह चुप्पी साध ली है. पार्टी नेताओं को भी संदेश पहुंच चुका है और वे भी बहुत ज़्यादा नहीं बोल रहे.


वीके सिंह
कुल मिलाकर, यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी का पहला महीना बहुत ही शानदार रहा. उन्होंने बहुत कम ग़लतियां कीं और जहां भी वह लड़खड़ाए जल्दी ही संभल गए.
हालांकि, उनकी सरकार की ओर से बड़े सवालों पर जवाब आना अभी बाकी है. नवाज़ शरीफ़ से शांति प्रक्रिया पर आगे बढ़ने की बात करने के बाद मोदी को अब भी विदेश सचिवों से बैठक करनी है.
और सबसे महत्वपूर्ण बात- क्या वह यूपीए सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को ख़त्म कर देंगे? दो सप्ताह में आने वाले केंद्रीय बजट से जल्द ही हमें इसका जवाब भी मिल जाएगा.


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फाइल फोटो: पीएम पद की शपथ लेने के अगले ही दिन मोदी ने सबसे पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान के पीएम से मुलाकात की। पाक से रिश्‍तों को बेहतर करने  की उनकी इस कोशिश की आलोचकों ने भी तारीफ की। 
चार हफ्तों का लेखाजोखा 

शुरुआत के एक महीने में मोदी सरकार ने पाक के साथ कूटनीतिक रिश्‍तों में नई शुरुआत करने से लेकर कड़े आर्थिक फैसले लिए।  

पहला हफ्ता 
26 मई : करीब 4 हजार वीवीआईपी मेहमानों की मौजूदगी में मोदी और उनके मंत्रिमंडल ने शपथ लिया। इसमें सार्क देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के अलावा पाक के पीएम नवाज शरीफ भी शामिल हुए।
27 मई: पहली कैबिनेट मीटिंग हुई, सरकार ने ब्लैकमनी पर एसआईटी बनाने का फैसला किया।
28 मई: मंत्रियों को आदेश दिया गया कि वे अपने रिश्‍तेदारों को बतौर पर्सनल स्‍टाफ भर्ती न करें।
29 मई: मोदी ने सरकार की 10 अहम नीतियों का एलान किया।
30 मई: गुजरात के स्‍कूली कोर्स में खुद की जीवनी शामिल किए जाने के प्रस्‍ताव को मोदी ने खारिज कर दिया।
31 मई: लाल फीताशाही को खत्म करने के मकसद से पीएम ने अहम नीतिगत मामलों को लेकर बने ग्रुप ऑफ मिनिस्‍टर्स (जीओएम) और इम्‍पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्‍टर्स (ईजीओएम) को खत्‍म कर दिया।
1 जून: पीएम बनने के बाद मोदी पहली बार बीजेपी हेडक्‍वार्टर पहुंचे।  
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दूसरा हफ्ता 
2जून: मोदी पहली बार अपने मंत्रियों से मिले।
3जून: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे की घर से एयरपोर्ट जाते हुए एक सड़क दुर्घटना में मौत
4 जून: मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता के लिए अमेरिका जाने का ओबामा का न्‍योता कबूल किया।
5जून: विदेश नीति में साउथ एशिया को सर्वोच्‍च प्राथमिकता देने का संकेत देते हुए मोदी ने विदेश यात्रा पर सबसे पहले भूटान जाने का फैसला किया।
6 जून: सरकार ने टॉप ब्‍यूरोक्रेट्स को 11 सूत्री निर्देश भेजे, जिसका मकसद अधिकारियों और जनता के बीच रिश्‍तों को सुधारना था।
7 जून: टाइम मैगजीन ने मोदी को भारत का नया फैशन आइकॉन करार दिया।
8 जून: मोदी ने चीन से आगे निकलने के लिए 3एस यानी स्किल, स्‍पीड और स्‍केल का फॉर्मूला दिया।
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तीसरा हफ्ता 
9 जून: राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सदन के संयुक्‍त सत्र में दिए अपने भाषण में सरकार का एजेंडा  पेश किया। इसमें महंगाई से निपटने से लेकर नई नौकरियां पैदा करने की बात कही गई।
10जून : सरकार की ओर से कहा गया कि वह 2019 के एशियन गेम्‍स के आयोजन के लिए बोली लगाने को तैयार है।
11 जून: मोदी ने संसद में पहला भाषण दिया। इसमें उन्‍हेांने भ्रष्‍टाचार, बेरोजगारी, अल्पसंख्‍यकों से जुड़े मुद्दों के अलावा राजनीति को साफ सुथरा बनाने तक की बात कही।
12जून: इंटेलिजेंस ब्‍यूरो की ओर से चेतावनी जारी किए जाने के बाद पीएमओ ने मंत्रालयों से उनके साथ काम कर रहे एनजीओ की जानकारी मांगी।
13जून: पाकिस्‍तान की ओर से सीजफायर का उल्‍लंघन, इसके बाद मोदी को पाक पीएम को कहना पड़ा कि शांति के माहौल के बिना रिश्‍तों को आगे ले जाना मुमकिन नहीं
14 जून: एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रमादित्‍य की सवारी करने पहुंचे मोदी, इसी दिन मोदी ने एक भाषण में कहा कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सुधारने के लिए कुछ 'कड़े फैसले' लिए जाएंगे।
15जून: मोदी भूटान पहुंचे। पड़ोसी मुल्‍क को विश्‍वास दिलाया कि दोनों के बीच रिश्‍ते और बेहतर होंगे।
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चौथा हफ्ता 
16 जून: चीन को ध्‍यान में रखते हुए भारत और भूटान ने एलान किया कि वे व्‍यापारिक रिश्‍तों को भी मजबूत करेंगे।
17 जून: यूपी के गवर्नर बीएल जोशी ने दिया इस्‍तीफा, बीजेपी ने यूपीए की ओर से अपॉइंट किए गए 7 अन्‍य गवर्नरों को इस्‍तीफा देने को कहा
18जून: इंडिया और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता, मुक्‍त व्यापार समझौते के मुद्दे पर स्‍टडी ग्रुप बनाने का फैसला किया।
19 जून: मोदी ने जापान के पीएम शिंजो अबे को अपने दौरे के बारे में जानकारी दी। नेशनल डिजास्‍टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्‍यों को इस्‍तीफा देने कहा गया। मंत्रियों को उन अधिकारियों को बतौर सचिव नियुक्‍त करने  से रोका गया, जो यूपीए शासन में सेवाएं दे चुके हैं।
20 जून: सरकार ने यात्री रेल किराए में 14.2 में बढ़ोतरी की, जो बीते 15 साल में सबसे बड़ी है। पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हो गए, हालांकि वित्‍त मंत्री ने फैसले को सही ठहराया।
21जून: यूजीसी ने डीयू प्रशासन को आदेश दिया कि 4 ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम को रद्द किया जाए।
22 जून: मंत्रालयों के सचिवों को निर्देश दिया दिया गया कि वे 15 दिन के अंदर कैबिनेट प्रपोजल के लिए सुझाव दें 

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फाइल फोटो: संसद में अपने पहले भाषण के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी 
 
क्‍या रहे मोदी सरकार के दौरान बड़े विवाद
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आर्टिकल 370: पीएमओ में राज्‍यमंत्री जितेंद्र सिंह ने दावा किया जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष राज्‍या का दर्जा देने वाले आर्टिकल-370 को हटाने के मुद्दे पर विचार-विमर्श शुरू किया गया है। इसके बाद जम्‍मू के सीएम ने केंद्र पर निशाना साधा। विवाद बढ़ा तो जितेंद्र सिंह ने सफाई दी कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया।
 

स्‍मृति ईरानी: मानव संसाधन मंत्री बनाई गईं स्‍मृति ईरानी की शैक्षिक योग्‍यता पर सवाल उठाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और मोदी समर्थक मधु किश्‍वर ने ट्वीट किया। पूछा कि क्‍या एक इंटर पास शख्‍स को शिक्षा मंत्री बनाया जाना सही है? बाद में ईरानी द्वारा चुनावों में अपनी शैक्षिक योग्‍यता से जुड़े अलग-अलग हलफनामे देने का मामला भी गरमाया।

एनजीओ पर आईबी रिपोर्ट: इंटेलिजेंस ब्‍यूरो की ओर से जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि ग्रीनपीस जैसे एनजीओ विकास से जुड़े प्रोजेक्‍ट्स के रास्‍ते में अड़ंगा डाल रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि गुजरात के कुछ एनजीओ सरकार के खिलाफ प्रचार में शामिल हैं।
 

निहालचंद पर दाग: केंद्रीय मंत्री निहालचंद मेघवाल और अन्‍य 16 लोगों के खिलाफ एक 24 वर्षीय युवती ने रेप का आरोप लगाया। इस मामले में पहते तो कोर्ट ने नोटिस जारी किया। बाद में महिला ने आरोप लगाया कि उसे मंत्री की ओर से धमकाया जा रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने राजधानी में जमकर प्रदर्शन किया।
 

हिंदी पर विवाद: केंद्रीय गृह मंत्री की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया कि सभी मंत्रालय, बैंक और पीएसयू सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अंग्रेजी से ज्‍यादा हिंदी को तरजीह दें। बहुत सारी पार्टियों ने एनडीए के इस कदम की निंदा की। कांग्रेस ने कहा कि ऐसे आदेशों से गैर हिंदी भाषी राज्‍यों की अनदेखी होगी।
 

वीके सिंह की टिप्‍पणी: केंद्र सरकार के मंत्री और पूर्व सेनाध्‍यक्ष रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ने नए सेनाध्‍यक्ष नियुक्‍त किए गए दलबीर सिंह सुहाग के बारे में विवादित टिप्‍पणी की और अपने कार्यकाल के दौरान उन पर की गई कार्रवाई को जायज ठहराया। वहीं, केंद्र सरकार ने साफ किया कि सुहाग ही अगले सेनाध्‍यक्ष होंगे। 
मुस्लिम रिजर्वेशन पर हेपतुल्‍ला: अल्‍पसंख्‍यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्‍ला ने कहा कि मुसलमानों की समस्‍या का अंत महज रिजर्वेशन से नहीं होगा। उनके इस बयान की कुछ हलकों में निंदा हुई।
दिल्‍ली यूनिवर्सिटी एफवाईयूपी मामला: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन ने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी को आदेश दिया कि वह चार साल के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम को खत्‍म करे और दोबारा से तीन साल के पाठ्यक्रम में दाखिल देना शुरू करे। 

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