Saturday, 28 June 2014

छात्रों के भारी विरोध के बाद सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव कर सकता है यूपीएससी

छात्रों के भारी विरोध के बाद  सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव कर सकता है यूपीएससी
नई दिल्ली,   :27-06-14 09:33 PM

छात्रों के भारी विरोध के बाद केंद्र सरकार संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में एक बार फिर बदलाव कर सकती है। कार्मिक मंत्रालय ने इस मामले में संघ लोक सेवा आयोग को अध्ययन करने को कहा है।
संभावना है कि इस मसले पर यूपीएससी जल्द विशेषज्ञ समिति गठित कर सकती है। परीक्षा पैटर्न में पिछले दो-तीन सालों के दौरान दो चरणों में बदलाव हुए हैं। कहा जा रहा है कि इन बदलावों से हिन्दी भाषी छात्रों को नुकसान हो रहा है।

कार्मिक मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह ने हिन्दुस्तान को विशेष बातचीत में कहा कि छात्रों ने परीक्षा के नए पैटर्न पर असहमति जताते हुए इसमें बदलाव की मांग की है। चूंकि यह मामला पूरी तरह से तकनीकी है और कार्मिक मंत्रालय इस मसले में सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, इसलिए यूपीएससी को इसका अध्ययन करने को कहा गया है।

छात्रों द्वारा उठाए गए बिन्दुओं पर यूपीएससी अध्ययन के बाद कार्रवाई करेगा। छात्र दो बदलाव चाहते हैं, एक प्रारंभिक परीक्षा से सिविल सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) को हटाया जाए। यह टेस्ट जीएस-2 पेपर के रूप में होता है। दूसरे, मेन परीक्षा में अंग्रेजी के प्रश्न पत्र को सरल किया जाए। यह प्रश्न पत्र बेहद कठिन अंग्रेजी में होता है। जिसके कारण हिन्दी भाषी और हिन्दी माध्यम से पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं बड़े पैमाने पर फेल हो रहे हैं। इस प्रश्न पत्र को सामान्य स्तर का अंग्रेजी प्रश्न पत्र बनाए जाने की मांग की जा रही है जैसा कि पुरानी परीक्षा पद्धति में था।

इसके अलावा छात्र उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के नियमों में भी बदलाव चाहते हैं। वे चाहते हैं कि सिर्फ विषय के विशेषज्ञों से ही पुस्तिकाएं जांचवाई जाए ताकि छात्रों का सही मूल्यांकन हो सके। आरोप है कि उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में विषय के विशेषज्ञों की बजाय सामान्य विशेषज्ञों की मदद ली जाती है

 

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