भारत में शिशु-मातृ मृत्यु दर सर्वाधिक
Tue, 08 Jul 2014 03:33 PM
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रिपोर्ट में कहा गया कि गरीबी कम करने, स्वच्छ पेयजल के उन्नत स्त्रोतों तक पहुंच बढ़ाने, झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की जिंदगी में सुधार करने और प्राथमिक विद्यालयों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने जैसे कई प्रमुख वैश्विक सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों को हासिल किया जा चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, कई ऐसे लक्ष्य हैं जो 2015 तक पूरा होने के करीब हैं तथा अगर मौजूदा स्थिति बरकरार रही तो दुनिया मलेरिया, तपेदिक और एचआईवी के उपचार तक पहुंच से संबंधित सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य से आगे निकल जाएगी।
इस रिपोर्ट में उन आठ प्रमुख गरीबी विरोधी लक्ष्यों का मुख्य रूप से उल्लेख किया गया है जिन पर सन् 2000 में एक संयुक्त राष्ट्र शिखर बैठक में वैश्विक नेताओं ने सहमति जताई थी। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 1.2 अरब बेहद गरीब लोगों का एक तिहाई हिस्सा भारत में है। वर्ष 2012 में भारत में पांच साल की कम उम्र के बच्चों की सर्वाधिक मौतें हुईं। इस दौरान पांच साल की उम्र तक पहुंचने से पहले 14 लाख बच्चों की मौत हो गई।
दुनिया के सभी क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद विकासशील देशों में वर्ष 2013 में प्रति एक लाख जन्म पर मातृ मृत्यु दर 230 रही। यह आंकड़ा विकसित देशों के मुकाबले 14 गुना ज्यादा है। विकसित क्षेत्रों में प्रति लाख जन्म पर मातृ मृत्यु दर 16 रही। भारत में इस दौरान करीब 50,000 महिलाओं (17 फीसदी) की मौत प्रसव के समय हुई, जबकि नाइजीरिया में यह आंकड़ा करीब 40,000 (14 फीसदी) का था।
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