पाक मीडिया:भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख वीके सिंह ने भारतीय लोकतंत्र का भांडा फोड़ दिया.
वीके सिंह के बयान पर पाक मीडिया में चटकारे
बीते हफ्ते भारत और पाकिस्तान के
उर्दू अखबारों में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की रविवार को होने वाले
मुलाकात और उसकी पृष्ठभूमि में जम्मू में हुआ हमला छाया रहा.
दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बयान की भी भारतीय मीडिया में खासी चर्चा रही.अखबार के अनुसार सही समय पर राहुल गांधी के हस्तक्षेप से पूरे केंद्रीय मंत्रिलमंडल का कद कम हो गया है. कानून मंत्री कपिल सिब्बल इस बिल को लेकर बड़े सरगर्म थे, राहुल के बयान के बाद उनकी खासी किरकिरी हुई है.
अखबार कहता है कि इसकी वजह से कांग्रेस को और नुकसान होता, इससे पहले ही राहुल गांधी ने मैदान मार लिया.
शब्दों की लाज
"भारत से अच्छे रिश्तों की पैरवी करने वाले नवाज शरीफ अपने शब्दों की लाज नहीं रख रहे हैं, वरना ये हमला न होता जिसे जम्मू में पिछले दस साल में सबसे बड़ा चरमपंथी हमला कहा जा रहा है."
दैनिक इंकलाब
अखबार के अनुसार कुछ लोग मानते हैं कि ये हमला इसलिए किया गया है ताकि बातचीत जारी न रह सके. लेकिन भारत मे पाकिस्तान के उच्चायोग ने जिस तरह इस हमले की निंदा की उससे लगता है कि इसका बातचीत पर असर नहीं होगा.
इस हमले पर दैनिक 'इंकलाब' ने लिखा है- 'क्या कर रहे हैं नवाज शरीफ'.
अखबार कहता है कि भारत से अच्छे रिश्तों की पैरवी करने वाले नवाज शरीफ अपने शब्दों की लाज नहीं रख रहे हैं, वरना ये हमला न होता जिसे जम्मू में पिछले दस साल में सबसे बड़ा चरमपंथी हमला कहा जा रहा है.
अखबार कहता है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अपने इरादों को अमली जामा पहनाएं वरना वही होता रहेगा जो अब तक होता रहा है. यानी एक तरफ बातचीत और रिश्तों में बेहतरी की बातें होंगी और दूसरी तरफ घुसपैठ, चरमपंथ और हिंसा वारदातें होती रहेंगी.
कश्मीरी हताश
अखबार कहता है कि कुछ लोगों को हैरानी हो सकती है कि क्या कश्मीरी चरमपंथी अब भी ऐसा हमला करने की क्षमता रखते हैं.
'औसाफ' के अनुसार 'आजादी के लिए' जद्दोजहद करने वाले ये लोग बीते वर्षों में भी ऐसा कर सकते थे लेकिन उनकी नजर इस बात पर टिकी थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही बातचीत का क्या कोई नतीजा निकल सकता है.
अखबार के अनुसार अब कश्मीरी इस प्रक्रिया से मायूस हो चुके हैं.
उधर, भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की न्यूयॉर्क में मुलाकात पर 'एक्सप्रेस' ने संपादकीय लिखा है-'न्यूयॉर्क से अच्छी खबर'.
अखबार लिखता है कि ये कोई ढकी छिपी बात नहीं है कि भारत और पाकिस्तान में ऐसी शक्तियां मौजूद हैं जो दोनों देशों के अच्छे रिश्ते नहीं चाहती हैं और तनाव को बनाए रखना चाहती हैं ताकि उनके हित सधते रहें.
"ये कोई ढकी छिपी बात नहीं है कि भारत और पाकिस्तान में ऐसी शक्तियां मौजूद हैं जो दोनों देशों के अच्छे रिश्ते नहीं चाहती हैं और तनाव को बनाए रखना चाहती हैं ताकि उनके हित सधते रहें."
दैनिक एक्सप्रेस
अखबार के अनुसार भारत और पाकिस्तान के अच्छे रिश्ते दक्षिणी एशिया में शांति के लिए बहुत जरूरी हैं.
'भांडा फूटा'
पिछले दिनों भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख वीके सिंह के विवादास्पद बयान की गूंज पाकिस्तान में भी सुनाई दी गई.'नवाए वक्त' ने अपने संपादकीय मे लिखा है-वीके सिंह ने भारतीय लोकतंत्र का भांडा फोड़ दिया.
अखबार कहता है कि पूर्व भारतीय सेना प्रमुख ने दावा किया है कि भारतीय सेना भारत प्रशासित कश्मीर में ही नहीं बल्कि पूरे देश में राजनेताओं को रिश्वत देती रही है और ये सिलसिला 1947 से चल रहा है.
तीखी टिप्पणी करते हए इस पाकिस्तानी अखबार का कहना है कि वीके सिंह के बयान ने भारत के स्वघोषित लोकतांत्रिक चेहरे से नकाब उतार दिया है और दुनिया को बता दिया है कि वहां असल सरकार तो सेना की ही चलती है, राजनीतिक दल तो सिर्फ रबड़ स्टैंप हैं.
दैनिक 'एक्सप्रेस' ने पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान के इस बयान को तवज्जो दी कि पाकिस्तान के दुश्मन सरकार और तालिबान के बीच बातचीत नहीं चाहते हैं.
पहले तालिबान के हमले में पाकिस्तान के मेजर जनरल और एक कर्नल की मौत और फिर पेशावर में एक चर्च पर आत्मघाती हमले में 80 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद चरमपंथियों से बातचीत की कोशिशों पर सवाल उठ रहे हैं.
उन्होंने कहा है कि दोनो तरफ से संघर्षविराम की घोषणा हो और बातचीत की दिशा में कदम बढ़ाएं क्योंकि सारी पार्टियां पहले ही इस बात पर सहमत हो चुकी हैं.
प्राकृतिक आपदा और हमले
'आजकल' ने पाकिस्तान में एक के बाद एक आ रही प्राकृतिक आपदाओं को अपने कार्टून का विषय बनाया जहां बाढ़ में घिरे आम आदमी के ऊपर से भूकंप का पहाड़ भी टूट रहा है.दूसरी तरफ दैनिक जंग ने बलूचिस्तान में भूकंप पीड़ितों के राहत और बचाव कार्य में जुटी सेना और अन्य कार्यकर्ताओं पर चरमपंथियों के हमलों पर संपादकीय लिखा है.
अखबार कहता है कि सरकार पाकिस्तान फौज की मदद से प्रभावित इलाकों में जरूरी सामान पहुंचाने की जोतोड़ कोशिश कर रही है, लेकिन इस काम में रुकावट डालने के लिए चरमपंथी भी मैदान में कूद रहे हैं.
गुरुवार को भूकंप प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे करने वाले सेना के हेलीकॉप्टर पर रॉकेट दागे गए. इस हमले में दो मेजर जनरल बाल बाल बचे. इससे पहले भी राहत कर्मियों को निशाना बनाया गया.
अखबार ने चरमपंथियो से अपील की है कि वो राहत के काम में बाधा न डालें.
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