Monday, 30 September 2013

अमरीका में अनिश्चितता: एशियाई बाज़ार गिरे

अमरीका में अनिश्चितता: एशियाई बाज़ार गिरे

 सोमवार, 30 सितंबर, 2013 को 10:59 IST तक के समाचार

एशियाई बाज़ार, अमरीका, कामबंदी
अमरीका में सरकारी सेवाओं की बंदी की आशंका के मद्देनज़र सोमवार को एशियाई बाज़ारों में गिरावट देखी गई. ऐसा अमरीका में एक विधेयक पर चल रही चर्चा की वजह से हुआ, जिसमें सरकारी ख़र्चों में कटौती की बात की गई है.
ताज़ा वित्तीय वर्ष के ख़त्म होने के साथ ही अमरीकी सांसदों के बीच फ़ंडिंग को लेकर एक नए विधेयक पर सहमति बनने की उम्मीद है.
हालांकि राजनीतिक मत विभाजन ने इस विधेयक को अधर में लटका दिया है.

परिणाम

चिंता जताई गई है कि इस विधेयक के पारित होने के बुरे आर्थिक परिणाम हो सकते हैं. जिनका नतीजा ग़ैर ज़रूरी फ़ेडेरल सेवाओं की बंदी और स्टाफ़ को बिना वेतन छुट्टी देना हो सकता है.
इन आशंकाओं के बीच जापान, हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया सभी जगहों पर शेयर बाज़ार नीचे चले गए हैं.
जापान का निकेई 225 इंडेक्स 2.2%, हांगकांग का हान सेंग और ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 1.3% तो दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.7% तक नीचे गिर गया है.
वित्तीय मामलों की साइट मॉटले फ़ूल के डेविड कुओ कहते हैं, ''यह अनहोनी का डर ही है. कोई नहीं जानता कि क्या होने वाला है और बाज़ारों को अनिश्चितता पसंद नहीं.''
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उनका कहना है, ''अमरीकी सरकार के ख़र्चों में कटौती होने का अनुमान है, लेकिन हम नहीं जानते कि इससे कौन-कौन से क्षेत्रों पर असर पड़ने वाला है. जब तक यह तय नहीं हो जाता, बाज़ारों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.''

कामबंदी के लिए वोट?

अमरीका में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकंस के बीच बहस का मुद्दा राष्ट्रपति बराक ओबामा की स्वास्थ्य नीतियां हैं, जिसे कुछ लोग ओबामाकेयर कह रहे हैं.
रविवार को रिपब्लिकन बहुल प्रतिनिधि सभा ने सीनेट स्पेंडिंग बिल के एक सुधरे हुए प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी. इस के तहत स्वास्थ्य क़ानून पर ख़र्च को हटा दिया गया है. इससे बंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं.
अमरीकी सीनेट में मेजॉरिटी नेता हैरी रीड ने ऐलान किया कि डेमोक्रेट बहुल चैंबर इस रिपब्लिकन विधेयक को नामंज़ूर कर देगा.
हैरी रीड के प्रवक्ता एडम जेंटलसन ने कहा, "सीनेट वही करेगी जो हमने कहा कि हम करेंगे और इन प्रावधानों को नामंज़ूर कर देंगे."
उन्होंने कहा, ‘इस वक़्त रिपब्लिकन सांसदों को पहले की तरह दो में से एक को चुनना होगा: या तो सीनेट के साफ़-सुथरे ‘फ़ंडिंग बिल’ को सदन में रखें और इसे दोनों दलों की मंज़ूरी से पारित करें या फिर रिपब्लिकन सरकार कामबंद करे.’
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राष्ट्रपति की तरफ़ से प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, ‘रिपब्लिकन पार्टी का कोई भी सदस्य जो इस विधेयक के हक़ में वोट देता है, वह असल में कामबंदी के लिए मतदान कर रहा है.’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भी रिपब्लिकन बिल को वीटो करेंगे.

बंदी का असर

अगर सरकार एक अक्तूबर को कामबंदी करती है तो कम से कम 21 लाख कर्मचारियों में एक तिहाई को काम रोकना पड़ सकता है. उन्हें तब तक वेतन मिलने की गारंटी नहीं दी जा सकेगी जब तक कि यह मुद्दा हल नहीं हो जाता.
राष्ट्रीय पार्क और वॉशिंगटन के स्मिथसोनियन म्यूज़ियम बंद हो जाएंगे. पेंशन और वेटरन को दिए जाने वाले चेक मिलने में देरी होगी. वीज़ा और पासपोर्ट आवेदनों में बाधाएं खड़ी हो जाएंगी.
हालांकि ज़रूरी माने जाने वाले काम मसलन एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल और खाद्य निरीक्षण जारी रहेंगे.
रक्षा विभाग ने अपने कर्मचारियों को सलाह दी है कि सेना के सदस्य अपने ‘सामान्य ड्यूटी स्टेटस’ को जारी रख पाएंगे पर ‘बड़ी तादाद’ में सिविलियन कामगारों को घर पर रहने की सलाह दी जाएगी.

‘ज़्यादा ख़तरनाक’

पिछले 17 साल में पहली बार दिखाई पड़ रहा कामबंदी का यह ख़तरा अमरीकी सरकार के लिए अकेला संकट नहीं है.
अमरीकी सरकार और रिपब्लिकन सरकार की कर्ज़ सीमा को बढ़ाने को लेकर एक दूसरे से भिड़े हुए हैं.
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अमरीकी ट्रेज़री सचिव ने चेतावनी दी है कि अमरीका की कर्ज़ सीमा 17 अक्टूबर को ख़त्म हो जाएगी और इसके बाद आधा धन सरकार को देनदारियां चुकाने में ख़र्च करना होगा.
इस महीने की शुरुआत में जैक ल्यू ने कहा था कि जब तक अमरीका को अपनी कर्ज़ सीमा के विस्तार की इजाज़त नहीं मिलती ख़र्चों के लिए 30 बिलियन डॉलर की ज़रूरत होगी जो किसी-किसी दिन 60 बिलियन डॉलर तक हो सकता है.
सीमा बढ़ाने में नाकामी की वजह से अमरीकी सरकार अपने कर्ज़ चुकाने में भी नाकाम हो सकती है.
राष्ट्रपति ओबामा ने चेतावनी दी है, ‘इस ज़िम्मेदारी को निभाने में नाकाम रहना किसी भी कामबंदी से ज़्यादा ख़तरनाक साबित होगा.’
वॉशिंगटन को 2011 में भी कर्ज़ सीमा को लेकर इसी तरह के गतिरोध का सामना करना पड़ा था. तब रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स उस दिन समझौते पर पहुंचे थे जिस दिन सरकार की कर्ज़ क्षमता ख़त्म होने वाली थी.
देश कर्ज़ बकाया को लेकर चूक करता, उससे कुछ घंटे पहले ही यह विवाद ख़त्म हुआ था. हालांकि इसके बावजूद स्टैंडर्ड एंड पुअर जैसी रेटिंग एजेंसी ने अमरीका के आर्थिक हालात में गिरावट दिखा दी थी.
2011 के इस समझौते में कई ख़ुद ब ख़ुद होने वाली बजट कटौतियां शामिल थीं जिन्हें ‘सिक्वेस्टर’ का नाम दिया गया था और जो इस साल की शुरुआत में अमल में लाईं गईं थीं.

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