Sunday, 29 September 2013

न राहुल न भाजपा, असली हीरो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

न राहुल न भाजपा, असली हीरो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

pranab mukharjee and controversial ordinance

यूपीए सरकार ने सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों को बचाने के लिए लाया गया अध्यादेश वापस लेने का फैसला कर लिया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बागी बयान और भाजपा के मुखर विरोध के कारण अध्यादेश का ठंडे बस्ते में जाना तय है।

हालांकि दागियों को बचाने की केंद्र सरकार की कोशिश पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जिस तरह सवाल उठाया, उसने एक बार फिर इस धारणा को तोड़ा कि भारत में राष्ट्रपति महज रबर स्टांप हैं।

गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश पर केंद्रीय मंत्रियों से जवाब तलब किया तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि मामला इतना हंगामेदार हो ‌जाएगा।

संभावना यही थी कि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब दा कांग्रेस कोरग्रुप के फैसले पर मुहर लगा देंगे। देश भर में हो रहे विरोध के बाद भी ये अध्यादेश अमल में आ जाएगा।

पद पर बैठते ही महाम‌हिम शब्द को तिलांजलि दे कर नई परंपरा शुरू कर चुके राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर नई परंपरा की नींव डाली है।

उन्होंने केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों को गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कानून मंत्री कपिल सिब्बल और संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ को बुलाकर पूछा कि आखिर दागियों को बचाने के लिए अध्यादेश की क्या जरूरत पड़ गई?

यूपीए सरकार में किसी जमाने में कई अहम मंत्रालय संभाल चुके प्रणब दा ने सरकार की मंशा पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने मंत्रियों से पूछा इस अध्यादेश को लाने के पीछे क्या तर्क है? विश्लेषकों ने संभावना जताई कि राष्ट्रपति इस अध्यादेश पर दस्तखत न करें और कानूनी विशेषज्ञों से इस पर सलाह मांगें।

भाजपा और आप समेत कई सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रपति से मिलकर इस ‌अध्यादेश पर दस्तखत न करने की भी राष्ट्रपति से अपील की थी।

सामने आया राहुल का 'एंग्री यंग मैन'

राष्ट्रपति का ये रुख केंद्र सरकार के लिए मुश्किल भरा था। प्रणब दा अध्यादेश लौटाते तो नि‌श्चित रूप से सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ती। दागियों का विरोध कर भाजपा ने भी राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश की।

हालांकि शुक्रवार को प्रेस क्लब में राहुल गांधी के तमतमाए चेहरे ने कांग्रेस की मुश्किल कम कर दी। राहुल गांधी ने अध्यादेश को बकवास करार दिया और उन्होंने कहा कि इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।

राहुल के बयान के बाद यूपीए सरकार ने विवादित अध्यादेश को वापस लेना का फैसला कर लिया है।

माना जा रहा है कि कांग्रेस अब इस कोशिश में है कि राहुल गांधी को इस पूरे घटनाक्रम का हीरो बनाया जाए। वहीं भाजपा इस फिराक में है कि दागियों के खिलाफ हुई लड़ाई के नेतृत्व का श्रेय उसे‌ मिल जाए।

लेकिन इस पूरे एपिसोड में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जो भूमिका रही, उस बारे में क्या कहेंगे आप?

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