Monday, 30 September 2013

उत्तराखंड आपदा प्रभावित क्षेत्रों से हो रही विधवाओं की तस्करी!

उत्तराखंड आपदा प्रभावित क्षेत्रों से हो रही विधवाओं की तस्करी!

disaster affected areas are suffering from the smuggling of widows

मामला बेहद गंभीर है। ये ट्रैफिकिंग का बेहद अनोखा और खतरनाक तरीका है। इसकी जांच की जाएगी। वहां बाहरी लोगों का सत्यापन कराया जाएगा। साथ ही लोगों से बातचीत कर मामले की तह तक जाया जाएगा।

- अमित सिन्हा, डीआईजी

ह्यूमन ट्रैफिकिंग के देश में सबसे बड़े स्रोत के रूप में सामने आए उत्तराखंड में अब आपदा में विधवा हुई महिलाओं की तस्करी की जा रही है। सरकार से पांच-पांच लाख का मुआवजा पाने वाली इन विधवाओं को शादी के नाम पर बाहरी लोग अपने साथ ले जा रहे हैं।

जहां उनके रुपये हड़पकर उन्हें किसी और को बेचा जा रहा है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर काम करने वाली संस्था एंपावर पीपुल के ऊखीमठ के कुछ गांवों में सर्वे के दौरान ये बात सामने आई।



शादी के बहाने हो रही मानव तस्करी
वहां के एक गांव से दो विधवा महिलाओं को शादी के नाम पर बिजनौर के दो युवक ले गए। उसके बाद से उनका कोई पता नहीं है जबकि गुप्तकाशी और आसपास के गांवों में भी ऐसी कई महिलाएं लापता हैं।


आपदा प्रभावित गांवो से हो रही तस्करी
एंपावर पीपुल के उत्तराखंड चैप्टर के सीईओ ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि वे पिछले कई दिनों से ऊखीमठ में ऐसी लड़कियों का पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं जो आपदा के दौरान सेना द्वारा बचाई गई थीं लेकिन अब तक वे वहां नहीं पहुंची हैं।

वे लगातार यहां के रुद्रपुर, भीमग्राम, देवली, मणिग्राम और लमगड़वा गांवों में लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। इसी दौरान उन्हें पता चला कि कुछ बाहरी लोग ऐसी महिलाओं से शादी कर उन्हें बाहर ले जा रहे हैं जो आपदा में विधवा हुई हैं।



ना विधवाओं का पता ना युवाओं का
ये लोग इन महिलाओं को शादी के नाम पर अपने साथ ले जा रहे हैं। रुद्रपुर गांव में रहने वाली केदारनाथ के पुजारी परिवारों की 22 और 23 साल की दो विधवाओं को कुछ दिन पहले बिजनौर के दो युवक शादी के नाम पर ले गए।



तब से न युवकों को पता है न ही विधवाओं का। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में ऐसी विधवाओं को शादी के नाम पर बाहर ले जाया जा रहा है। इसके बाद उन्हें किसी और को बेच दिया जा रहा है और उनके रुपये भी हड़प लिए जा रहे हैं। इस बात की जानकारी पुलिस प्रशासन को भी है लेकिन कोई इसे गंभीरता से नहीं ले रहा।

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