Wednesday 2 October 2013

अध्यादेश वापस I, पवार-फारूक ने की निंदा

अध्यादेश वापस I, पवार-फारूक ने की निंदा

congress core group decided to take back ordinance

पहले से तय स्क्रिप्ट के मुताबिक दागी नेताओं को बचाने के विवादास्पद अध्यादेश को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने बुधवार को वापस ले लिया। यूपीए सरकार और कांग्रेस कोर ग्रुप ने पलटी मारते हुए राहुल गांधी के सामने समर्पण कर दिया।

विवादों के साए में हुई कैबिनेट की बैठक में न केवल राहुल की ओर से बकवास बताए गए इस अध्यादेश को वापस लेने का फैसला हुआ। बल्कि इस विवाद की जड़ संसद में पेश जनप्रतिनिधित्व संशोधन विधेयक को भी वापस लेने का सरकार ने निर्णय कर लिया।

इस फैसले के बाद संसद और विधानसभा में दागियों के बचने की राह अब पूरी तरह बंद हो गई है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अब लागू रहेगा और ऐसे में दो साल या इससे अधिक की सजा पाने वाले सांसदों और विधायकों की सदस्यता तो जाएगी ही।

उनके राजनीतिक कैरियर पर भी लगभग पूर्ण विराम लग जाएगा। अध्यादेश का बचाव कर रही यूपीए सरकार भी राहुल की खुलेआम झिड़की के बाद अब अध्यादेश को जनविरोधी कहने लगी है।

प्रधानमंत्री की सर्वोच्चता को तहस नहस करने के बाद उनका सम्मान बरकरार रखने के मकसद से राहुल ने सुबह ही उनसे मुलाकात करना ठीक समझा। उन्हें अध्यादेश को लेकर जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना से वाकिफ करवाया।

प्रधानमंत्री की कैबिनेट ने 15 मिनट में ही राहुल के आगे नतमस्तक होते हुए अध्यादेश और विधेयक को वापस ले लिया। बैठक से पहले कांग्रेस के खिलाफ चीख पुकार कर रहे एनसीपी और नेशनल कांफ्रेंस जैसे सहयोगी दल भी इस निर्णय का हिस्सा बन गए।

इससे पहले महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय अवकाश का पूरा दिन ही मनमोहन सरकार ने राहुल के गुस्से को शांत करने में निपटा दिया। सुबह पौने दस बजे राहुल गांधी ने करीब 25 मिनट की मुलाकात में प्रधानमंत्री को अपनी मंशा जाहिर कर दी।

राहुल के जाने के कुछ मिनटों बाद कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक हुई। फिर प्रधानमंत्री बिल को लेकर खड़े संवैधानिक संकट के संबंध में दिशा निर्देश लेने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने पहुंच गए। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति से दोपहर में हुई घंटे भर की चर्चा में संकेत दे दिया कि कैबिनेट राहुल की मर्जी पर मुहर लगा देगी।

शाम छह बजे कैबिनेट बैठक हुई और कुछ मिनटों के बाद सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी बाहर कहने आ गए कि कैबिनेट ने सर्वसम्मति से अध्यादेश को वापस लेने का फैसला ले लिया है।

दागी अध्यादेश पर सरकार की फजीहत को लेकर तिवारी ने तर्क दिया कि लोकतंत्र में कोई भी जनता की भावनाओं को उजागर करता है तो एक संवेदनशील सरकार का दायित्व बनता है कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।

राहुल की ओर से प्रधानमंत्री की अथॉरिटी को ही तहस नहस करने के सवाल पर सरकार का तर्क था कि यह तानाशाह सरकार नहीं है। बल्कि हर विचार को खुलकर सुनने और पारदर्शिता से फैसला लेने में विश्वास करती है। संसद के शीत सत्र में सरकार बिल को वापस लेने के लिए प्रस्ताव पेश करेगी।

पवार, फारूक ने की निंदा

कुछ दिन पहले तक जो कांग्रेसी मंत्री इस अध्यादेश को कानूनी लिहाज से बेहद जरूरी और अहम बता रहे थे, कैबिनेट बैठक उनमें से कोई भी राहुल के गुस्से का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाया।

हालांकि सूत्रों के मुताबिक एनसीपी प्रमुख शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला ने अध्यादेश पर वापसी के तरीके की तीखी आलोचना की, उनका इशारा कैबिनेट के फैसले पर राहुल के बकवास बताने की ओर था।

पवार और फारूक ने कहा कि राहुल ने न सिर्फ प्रधानमंत्री, बल्कि पूरी कैबिनेट की सर्वोच्चता पर सवालिया निशान लगा दिया।

गांधी जयंती पर कांग्रेस ने बोला झूठ : भाजपा
अध्यादेश वापस लिए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा ने कहा कि यह फैसला लेकर सरकार परिवारवाद के सामने झुक� गई। पार्टी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस पर महात्मा गांधी के जन्मदिन पर भी झूठ बोलने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दो मंत्री इस अध्यादेश को लेकर भाजपा पर लगातार गलत आरोप लगा रहे हैं। जबकि भाजपा तो शुरू से इसके खिलाफ रही है।

कैसे चला घटनाक्रम
9:50 बजे - राहुल गांधी सुबह प्रधानमंत्री से मिलने 7 रेसकोर्स रोड पहुंचे। राहुल ने कहा कि अध्यादेश जनभावना के विपरीत है। इसे वापस लिया जाना चाहिए।
11: 02 बजे - प्रधानमंत्री निवास पर कांग्रेस की कोर ग्रुप की बैठक शुरू। सोनिया की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मनमोहन के अलावा, सुशील कुमार शिंदे और अहमद पटेल मौजूद थे।
1:00 बजे - प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की। समझा जाता है कि पीएम ने राष्ट्रपति को अध्यादेश वापस लेने के अपने मंतव्य से अवगत कराया।
6:00 बजे : कैबिनेट की बैठक शुरू। 20 मिनट में विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने का फैसला हुआ

अध्यादेश वापस लेना खतरनाकः सपा

samajwadi party against ordinance backtrack

अगर प्रधानमंत्री, राहुल गांधी के रुख के चलते अपने कदम पीछे खींचते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा। यह अध्यादेश लागू होना चाहिए। निचली अदालत के फैसले के आधार पर किसी को अयोग्य कैसे ठहराया जा सकता है?

- नरेश अग्रवाल

दागी विधायकों और सांसदों से जुड़े अध्यादेश पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के विरोध को नाटक करार देते हुए समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि इसे वापस लेना लोकतंत्र के लिए खतरा होगा।

पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने समाचार चैनल से बातचीत में अध्यादेश पर राहुल की टिप्पणी को 'ड्रामा' बताया।

उन्होंने कहा, "अगर प्रधानमंत्री, राहुल गांधी के रुख के चलते अपने कदम पीछे खींचते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा। यह अध्यादेश लागू होना चाहिए। निचली अदालत के फैसले के आधार पर किसी को अयोग्य कैसे ठहराया जा सकता है?"

सपा नेता ने यह सवाल भी उठाया कि सरकार के सहयोगी दलों को इस फैसले के वक्‍त नरजअंदाज क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा, "क्योंकि राहुल गांधी ने फैसला कर लिया है, सिर्फ इस वजह से रुख नहीं बदला जाना चाहिए।"

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल ने बुधवार सवेरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ जनभावना को सामने रख रहे हैं।

इससे पहले राहुल ने एक संवाददाता सम्मेलन में इसे बकवास करार देते हुए फाड़कर फेंक देने की बात कही थी। इससे एक बड़ा सियासी भूचाल आया और मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।

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