आपकी हथेली की खास रेखाएं बता देती हैं सभी से छिपाई हुई बातें भी
हमारे जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी घटना का संकेत हमारे
हाथों की रेखाओं में छिपा होता है। इन रेखाओं के सही अध्ययन से मालूम किया
जा सकता है कि कोई व्यक्ति जीवन में कितनी उन्नति प्राप्त करेगा? कितनी
सफलताएं या असफलताएं प्राप्त करेगा? व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसा रहेगा और
उसका विवाहित जीवन कैसा होगा?
हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण रेखाएं बताई गई हैं,
इन्हीं रेखाओं की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के जीवन की भविष्यवाणी की जा
सकती है।
जीवन रेखा: जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र (अंगूठे के
नीचे वाला भाग) को घेरे रहती है। यह रेखा तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) और अंगूठे
के मध्य से प्रारंभ होती है और मणिबंध तक जाती है। इस रेखा के आधार पर
व्यक्ति की आयु एवं दुर्घटना आदि बातों पर विचार किया जाता है।
मस्तिष्क रेखा: यह रेखा हथेली के मध्य भाग में
आड़ी स्थिति में होती है। मस्तिष्क रेखा भी जीवन रेखा के प्रारंभिक स्थान
के पास से ही प्रारंभ होती है। यहां से प्रारंभ होकर मस्तिष्क रेखा हथेली
के दूसरी ओर तक जाती है। इस रेखा से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता पर विचार
किया जाता है।
हृदय रेखा: यह रेखा मस्तिष्क रेखा के समानांतर
चलती है। हृदय रेखा की शुरूआत हथेली पर बुध क्षेत्र (सबसे छोटी उंगली के
नीचे वाला भाग) के नीचे से आरंभ होकर गुरु क्षेत्र (इंडेक्स फिंगर के नीचे
वाले भाग को गुरु पर्वत कहते हैं।) की ओर जाती है। इस रेखा से व्यक्ति की
बौद्धिक क्षमता, आचार-विचार आदि बातों पर विचार किया जाता है।
सूर्य रेखा: यह रेखा सामान्यत: हथेली के मध्यभाग
में रहती हैं। सूर्य रेखा मणिबंध (हथेली के अंतिम छोर के नीचे आड़ी रेखाओं
को मणिबंध कहते हैं।) से ऊपर रिंग फिंगर के नीचे वाले सूर्य पर्वत की ओर
जाती है। वैसे यह रेखा सभी लोगों के हाथों में नहीं होती है। इस रेखा से यह
मालूम होता है कि व्यक्ति को मान-सम्मान और पैसों की कितनी प्राप्ति होगी।
भाग्य रेखा: यह हथेली के मध्यभाग में रहती है तथा
मणिबंध अथवा उसी के आसपास से आरंभ होकर शनि क्षेत्र (मध्यमा उंगली के नीचे
वाले भाग को शनि क्षेत्र कहते हैं।) की ओर जाती है। इस रेखा से व्यक्ति की
किस्मत पर विचार किया जाता है।
स्वास्थ्य रेखा: यह बुध क्षेत्र (सबसे छोटी
उंगुली के नीचे वाले भाग को बुध पर्वत कहते हैं।) से आरंभ होकर शुक्र पर्वत
(अंगुठे के नीचे वाले भाग को शुक्र पर्वत कहते हैं) की ओर जाती है। इस
रेखा से व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी बातों पर विचार किया जाता है।
विवाह रेखा: यह बुध क्षेत्र (सबसे छोटी उंगली के
नीचे वाले भाग को बुध क्षेत्र कहते हैं।) पर आड़ी रेखा के रूप में रहती है।
यह रेखा एक से अधिक भी हो सकती है। इस रेखा से व्यक्ति के विवाह और
वैवाहिक जीवन पर विचार किया जाता है।
संतान रेखा: यह बुध क्षेत्र (सबसे छोटी उंगली के
नीचे वाले भाग को बुध क्षेत्र कहते हैं।) पर खड़ी रेखा के रूप में रहती है।
यह रेखा एक से अधिक भी हो सकती है। इस रेखा से मालूम होता है कि व्यक्ति
की कितनी संतान होंगी। संतान रेखा से यह भी मालूम हो जाता है कि व्यक्ति को
संतान के रूप में कितनी लड़कियां और कितने लड़के प्राप्त होंगे।
No comments:
Post a Comment