Monday, 9 September 2013

मुजफ्फरनगर: दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश, अब तक 32 की मौत

मुजफ्फरनगर: दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश, अब तक 32 की मौत

Updated on: Mon, 09 Sep 2013 12:07 PM (IST)
riots
मुजफ्फरनगर: दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश, अब तक 32 की मौत
जागरण न्यूज नेटवर्क, मुजफ्फरनगर। सांप्रदायिक हिंसाग्रस्त मुजफ्फरनगर के हालात रविवार को और बदतर हो गए। एक गांव में सेना पर भी हमला हो गया, जवाब में सैनिकों ने गोलियां चलाकर हालात काबू किए। यहां दो पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। बेकाबू हालात देखते हुए शनिवार रात जिले में सेना तैनात कर दी गई थी लेकिन ग्रामीण इलाकों में हिंसा फैलने से हालात जस के तस बने हुए हैं। प्रशासन ने सुरक्षा बलों को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं। जारी हिंसक झड़पों के बीच मरने वालों की संख्या बढ़कर 28 हो गई। तनाव की जद में आए पड़ोसी जिले मेरठ और शामली में भी छिटपुट घटनाओं की खबर है। शामली के असारा में तीन लोग घायल हुए हैं। शामली में सेना तैनात कर दी गई है जबकि मेरठ में उसने फ्लैग मार्च किया। हालात पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार ने अखिलेश सरकार से रिपोर्ट तलब की है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश के मिश्रित आबादी वाले जिले मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक टकराव शुरू होने के 24 घंटे बाद भी हालात बेकाबू बने हुए हैं। कई स्थानों पर तोड़फोड़, आगजनी, लूटपाट और हिंसक झड़पों की खबर है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के नाकाम होने पर शनिवार देर रात प्रशासन ने हालात से निपटने को सेना बुलाई थी। लेकिन हिंसा की लपटें ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाने से स्थिति विकराल रूप धारण कर गई है। प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अरुण कुमार ने माना है कि ग्रामीण इलाकों में हिंसा फैल जाने से उसे नियंत्रित करने में कठिनाई आ रही है। जिला मजिस्ट्रेट कौशलराज शर्मा ने अभी तक 26 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।

रविवार की ताजा झड़पों में 16 लोग मारे गए हैं जबकि दस लोग शनिवार को मारे गए थे। मृतकों की संख्या बढ़ने का अंदेशा है। झड़पों में 40 लोग घायल हुए हैं। ग्रामीण इलाके के कुटबा में चार लोगों के मारे जाने और एक धार्मिक स्थल के जलाए जाने की सूचना है। जबकि फगुना में जान बचाने के लिए एक समुदाय के तीन लोगों को नजदीकी थाने में शरण लेनी पड़ी। प्रदेश के गृह सचिव कमल सक्सेना के अनुसार हिंसाग्रस्त सिसौली, शाहपुर, फुगना, कालापार और धौराकलां में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।

मुजफ्फरनगर शहर के तीन थाना क्षेत्रों- सिविल लाइंस, कोतवाली और नई मंडी में क‌र्फ्यू लागू है। इन इलाकों में सेना ने फ्लैग मार्च किया। सेना और राज्य पुलिस के जवानों के अतिरिक्त जिले में दस हजार पीएसी, 1300 सीआरपीएफ और 1200 आरपीएफ के जवान तैनात किए गए हैं। दंगे की मूल वजह 27 अगस्त को हुई युवती से छेड़खानी की घटना है जिसमें तीन युवकों की मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश में बनी सांप्रदायिक टकराव की स्थिति से सतर्क उत्तराखंड सरकार ने भी प्रशासन को अलर्ट कर दिया है। सीमावर्ती इलाकों में खासतौर पर सतर्कता बरती जा रही है।
चार जिलों में चार आइजी
लखनऊ। उप्र सरकार ने अधिकारियों को सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति से कड़ाई से निपटने के आदेश दिए हैं। मुजफ्फरनगर और उसके पड़ोसी जिलों-शामली, बागपत और सहारनपुर की संवेदनशीलता को देखते हुए चार पुलिस महानिरीक्षकों की नियुक्ति की गई है। प्रत्येक महानिरीक्षक के जिम्मे एक जिला रहेगा। वहां की स्थिति के लिए वही जिम्मेदार होगा।
बागपत पहुंची नफरत की आग, किशोर की मौत
बागपत। जिसका डर था आखिर वही हुआ। पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर से दंगे की आग जिले तक पहुंच गई। रविवार रात बड़ौत के वाजिदपुर गांव में धार्मिक स्थल पर की गई फायरिंग में एक किशोर की मौत हो गई जबकि चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास के इलाकों में देर रात फायरिंग और आगजनी की खबर है।
रविवार रात लगभग साढ़े नौ बजे वाजिदपुर में स्थित धार्मिक स्थल पर चार-पांच लोग पहुंचे और गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलीबारी में गांव के एक किशोर की मौके पर ही मौत हो गई जबकि चार लोग घायल हो गए। गांव में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया है और मौके पर भीड़ जमा है। पुलिस के आला अफसर मौके पर पहुंच गए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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