दिल्ली गैंगरेप: ज्योति के चारों गुनहगारों को सजा-ए-मौत, फैसला सुन रो पड़े दरिंदे
नई दिल्ली, 13 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 16:11 IST
1200 पन्नों की चार्जशीट, 86 गवाहियां और 243 दिनों की सुनवाई के बाद
आखिरकार वह फैसला आ गया जिसका इंतजार पूरे देश को था. ज्योति के हत्यारे
चारों दरिंदों मुकेश शर्मा, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को
दिल्ली की साकेत अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने मामले को
'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' श्रेणी में रखते हुए यह फैसला सुनाया. जैसे ही जज ने
फैसला सुनाया कोर्ट परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
फैसला सुन वकील ने पीटी मेज
जज ने फैसला सुनाने में ज्यादा वक्त नहीं लिया और कहा कि वह सीधे धारा-302 की बात कर रहे हैं. इसके ठीक बाद उन्होंने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुना दी. सजा सुनते ही ज्योति की मां की आंखों से आंसू छलक आए, जबकि बचाव पक्ष के वकील ने गुस्से में अपने सामने रखी मेज पर जोर से हाथ पटका. जज फैसला सुनाकर जाने लगे और दोषियों के वकील चिल्लाते रहे कि यह अन्याय है. चारों दोषियों और उनके वकीलों को छोड़कर कोर्ट में मौजूद हर शख्स बेहद खुश था. सबने जोरदार तालियां बजाकर फैसले पर खुशी जताई.
वकील का आरोप, सरकार के दबाव में सुनाई गई सजा
कोर्ट से बाहर आने के बाद बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर यह फैसला लिया गया और इसमें सीधे गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की भूमिका थी.
उन्होंने कहा, 'सरकार के इशारे पर फैसला लिया गया. तथ्यों और गवाहों की अनदेखी करते हुए बिना सोचे-समझे जज ने सबको फांसी की सजा सुना दी है. फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए मेरे पास तीन महीने का समय है, अग इस दौरान दिल्ली और देश में रेप की कोई वारदात नहीं होती तो मैं अपील नहीं करूंगा. वरना इस फैसले को तार-तार कर दूंगा.'
सरकारी वकील ने फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि यह पूरे देश की जनता की जीत है. उन्होंने कहा, 'सही मायने में न्याय की जीत हुई है. दोषी फैसला सुनकर चुप थे. आज रूल ऑफ लॉ मजबूत हुआ है. सारे भारतवासी और 16 दिसंबर के आंदोलनकारी सब खुश हैं. इस फैसले में सबका योगदान है. डिफेंस लॉयर के आरोप बिल्कुल गलत है. पर्याप्त सबूत थे. धनंजय चटर्जी और कहर सिंह के केस को भी रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना गया थो तो यह केस तो और भी दुर्दांत था. न्याय की यही मांग थी. लड़की के माता-पिता ने कहा कि मीडिया को भी धन्यवाद कीजिएगा.'
एडिशनल सेशन जज योगेश खन्ना ने साकेत अदालत के कमरा नंबर 304 में सजा सुनाई. इससे पहले मंगलवार को ही चारों दोषियों को 13 धाराओं में दोषी करार दिया था. बुधवार को सजा पर बहस के बाद फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया गया था. मामले के नाबालिग आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि एक अन्य आरोपी राम सिंह तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर चुका है.
आज पूरी हुई देश की मुराद
सभी आरोपियों को दोषी ठहराए जाने पर ज्योति के मां और पिता ने खुशी जताई थी. साथ ही यह भी कहा था कि फांसी से कम कोई भी सजा उनके जख्म नहीं भर सकती. फैसला सुनाए जाने से पहले और बाद में भी देश भर में दरिंदों को फांसी की मांग करते हुए प्रदर्शन हुए थे. वहीं दिल्ली गैंग रेप पर फैसला आते ही दोषी अक्षय ठाकुर के परिवार ने इस फैसले पर सवाल उठा दिया. बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले अक्षय ठाकुर की पत्नी ने फैसले को गलत ठहराया है. पत्नी नमिता के मुताबिक इस फैसले के पहले अदालत को उसके और उसके ढाई साल के बच्चे के बारे में भी सोचना चाहिए था.
नमिता ने कहा कि वो भी भारत की बेटी है और उसके भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए था. उधर अक्षय ठाकुर के भाई विनय ने कहा कि वो ऊपरी अदालत से लेकर राष्ट्रपति तक इस फैसले के खिलाफ जाऐंगे.
जैसे ही ये फैसला आया परिवार में कोहराम मच गया जहां एक तरफ पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था तो मां बार-बार बेहोश हो रही थी.
बीजेपी नेता सुषमा स्वराज, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी और पूर्व गृह सचिव आरके सिंह समेत कई नेता और हस्तियां दोषियों को फांसी दिए जाने के पक्ष में थे. खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी फांसी की उम्मीद जताते हुए कहा था कि भविष्य में भी ऐसे मामलों में फांसी की सजा ही होगी.
ज्योति और अवनींद्र की गवाही रही अहम
इस मामले में दो गवाहियां बेहद अहम रहीं. एक खुद ज्योति की और दूसरी उसके दोस्त और घटना के एकमात्र चश्मदीद अवनींद्र पांडेय की. मौत से पहले अस्पताल में जब ज्योति से पूछा गया था कि दोषियों के लिए वह क्या सजा चाहती है, तो उसने फांसी की मांग की थी. फिर अगले ही क्षण उसने कहा था कि दोषियों को जिंदा जला देना चाहिए.
इसके अलावा अदालत में जो सबूत पेश किए गए, उनमें शामिल हैं, वह बस जिसमें वारदात को अंजाम दिया गया था, दोषियों की बस का सीसीटीवी फुटेज, दोषियों के खून से सने कपड़े, डीएनए सैंपल, फॉरेंसिक और मेडिकल रिपोर्ट.
देश को याद रहेगा 16 दिसंबर
16 दिसंबर, 2012 की रात वसंत विहार के पास चलती बस में ज्योति के साथ गैंगरेप और दरिंदगी की गई थी, जिसके बाद आक्रोशित भीड़ ने दिल्ली और देश भर के इलाकों में कई दिनों तक जोरदार प्रदर्शन किए थे. 23 वर्षीय फीजियोथैरेपी की छात्रा ने 13 दिन तक अस्पताल में मौत से संघर्ष करते हुए सिंगापुर के अस्पताल में दम तोड़ दिया था.
घटना की रात ज्योति अपने दोस्त अवनींद्र के साथ 'लाइफ ऑफ पाई' फिल्म देखकर निकली थी. दोनों ने मुनिरका से एक चार्टर्ड बस ली थी. इसी बस में छह लोगों ने छात्रा से गैंगरेप और दरिंदगी की. ज्योति के शरीर में रॉड डाल दी गई और अवनींद्र को बुरी तरह पीटा गया. बाद में बेसुध हालत में दरिंदों ने दोनों को सड़क पर रखा और उन्हें कुचलकर मारने की कोशिश की. हालांकि वे दोनों बच गए और काफी देर बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.
फैसला सुन वकील ने पीटी मेज
जज ने फैसला सुनाने में ज्यादा वक्त नहीं लिया और कहा कि वह सीधे धारा-302 की बात कर रहे हैं. इसके ठीक बाद उन्होंने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुना दी. सजा सुनते ही ज्योति की मां की आंखों से आंसू छलक आए, जबकि बचाव पक्ष के वकील ने गुस्से में अपने सामने रखी मेज पर जोर से हाथ पटका. जज फैसला सुनाकर जाने लगे और दोषियों के वकील चिल्लाते रहे कि यह अन्याय है. चारों दोषियों और उनके वकीलों को छोड़कर कोर्ट में मौजूद हर शख्स बेहद खुश था. सबने जोरदार तालियां बजाकर फैसले पर खुशी जताई.
वकील का आरोप, सरकार के दबाव में सुनाई गई सजा
कोर्ट से बाहर आने के बाद बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर यह फैसला लिया गया और इसमें सीधे गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की भूमिका थी.
उन्होंने कहा, 'सरकार के इशारे पर फैसला लिया गया. तथ्यों और गवाहों की अनदेखी करते हुए बिना सोचे-समझे जज ने सबको फांसी की सजा सुना दी है. फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए मेरे पास तीन महीने का समय है, अग इस दौरान दिल्ली और देश में रेप की कोई वारदात नहीं होती तो मैं अपील नहीं करूंगा. वरना इस फैसले को तार-तार कर दूंगा.'
सरकारी वकील ने फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि यह पूरे देश की जनता की जीत है. उन्होंने कहा, 'सही मायने में न्याय की जीत हुई है. दोषी फैसला सुनकर चुप थे. आज रूल ऑफ लॉ मजबूत हुआ है. सारे भारतवासी और 16 दिसंबर के आंदोलनकारी सब खुश हैं. इस फैसले में सबका योगदान है. डिफेंस लॉयर के आरोप बिल्कुल गलत है. पर्याप्त सबूत थे. धनंजय चटर्जी और कहर सिंह के केस को भी रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना गया थो तो यह केस तो और भी दुर्दांत था. न्याय की यही मांग थी. लड़की के माता-पिता ने कहा कि मीडिया को भी धन्यवाद कीजिएगा.'
एडिशनल सेशन जज योगेश खन्ना ने साकेत अदालत के कमरा नंबर 304 में सजा सुनाई. इससे पहले मंगलवार को ही चारों दोषियों को 13 धाराओं में दोषी करार दिया था. बुधवार को सजा पर बहस के बाद फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया गया था. मामले के नाबालिग आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि एक अन्य आरोपी राम सिंह तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर चुका है.
आज पूरी हुई देश की मुराद
सभी आरोपियों को दोषी ठहराए जाने पर ज्योति के मां और पिता ने खुशी जताई थी. साथ ही यह भी कहा था कि फांसी से कम कोई भी सजा उनके जख्म नहीं भर सकती. फैसला सुनाए जाने से पहले और बाद में भी देश भर में दरिंदों को फांसी की मांग करते हुए प्रदर्शन हुए थे. वहीं दिल्ली गैंग रेप पर फैसला आते ही दोषी अक्षय ठाकुर के परिवार ने इस फैसले पर सवाल उठा दिया. बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले अक्षय ठाकुर की पत्नी ने फैसले को गलत ठहराया है. पत्नी नमिता के मुताबिक इस फैसले के पहले अदालत को उसके और उसके ढाई साल के बच्चे के बारे में भी सोचना चाहिए था.
नमिता ने कहा कि वो भी भारत की बेटी है और उसके भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए था. उधर अक्षय ठाकुर के भाई विनय ने कहा कि वो ऊपरी अदालत से लेकर राष्ट्रपति तक इस फैसले के खिलाफ जाऐंगे.
जैसे ही ये फैसला आया परिवार में कोहराम मच गया जहां एक तरफ पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था तो मां बार-बार बेहोश हो रही थी.
बीजेपी नेता सुषमा स्वराज, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी और पूर्व गृह सचिव आरके सिंह समेत कई नेता और हस्तियां दोषियों को फांसी दिए जाने के पक्ष में थे. खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी फांसी की उम्मीद जताते हुए कहा था कि भविष्य में भी ऐसे मामलों में फांसी की सजा ही होगी.
ज्योति और अवनींद्र की गवाही रही अहम
इस मामले में दो गवाहियां बेहद अहम रहीं. एक खुद ज्योति की और दूसरी उसके दोस्त और घटना के एकमात्र चश्मदीद अवनींद्र पांडेय की. मौत से पहले अस्पताल में जब ज्योति से पूछा गया था कि दोषियों के लिए वह क्या सजा चाहती है, तो उसने फांसी की मांग की थी. फिर अगले ही क्षण उसने कहा था कि दोषियों को जिंदा जला देना चाहिए.
इसके अलावा अदालत में जो सबूत पेश किए गए, उनमें शामिल हैं, वह बस जिसमें वारदात को अंजाम दिया गया था, दोषियों की बस का सीसीटीवी फुटेज, दोषियों के खून से सने कपड़े, डीएनए सैंपल, फॉरेंसिक और मेडिकल रिपोर्ट.
देश को याद रहेगा 16 दिसंबर
16 दिसंबर, 2012 की रात वसंत विहार के पास चलती बस में ज्योति के साथ गैंगरेप और दरिंदगी की गई थी, जिसके बाद आक्रोशित भीड़ ने दिल्ली और देश भर के इलाकों में कई दिनों तक जोरदार प्रदर्शन किए थे. 23 वर्षीय फीजियोथैरेपी की छात्रा ने 13 दिन तक अस्पताल में मौत से संघर्ष करते हुए सिंगापुर के अस्पताल में दम तोड़ दिया था.
घटना की रात ज्योति अपने दोस्त अवनींद्र के साथ 'लाइफ ऑफ पाई' फिल्म देखकर निकली थी. दोनों ने मुनिरका से एक चार्टर्ड बस ली थी. इसी बस में छह लोगों ने छात्रा से गैंगरेप और दरिंदगी की. ज्योति के शरीर में रॉड डाल दी गई और अवनींद्र को बुरी तरह पीटा गया. बाद में बेसुध हालत में दरिंदों ने दोनों को सड़क पर रखा और उन्हें कुचलकर मारने की कोशिश की. हालांकि वे दोनों बच गए और काफी देर बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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