'मोदी का लाल किला' दो करोड़ रुपए का!
मोदी के नकली लाल किले को तैयार करने में कुछ दिन लगे, जबकि शाहजहां के असली लाल किले को बनाने में नौ साल दो महीने और कुछ दिन लगे थे।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और सीआरसीआई द्वारा संयुक्त रूप से किए गए शोध में यह जानकारी देते हुए बताया गया कि मुगल बादशाह शाहजहां ने जब अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली लाने का फैसला किया तब उसने यमुना के किनारे एक शानदार किला बनाने का हुक्म दिया। लाल किले की नींव 29 अप्रैल 1639 को शुक्रवार (जुमे) की रात को रखी गई।
इसके वास्तुशास्त्री उस्ताद अहमद और उस्ताद हामिद थे। लाल किले और उसके भीतर के महलों का निर्माण दिल्ली सूबे के तत्कालीन सूबेदार की देखरेख में हुआ।
नौ साल दो महीने और कुछ दिन बाद जब यह बनकर तैयार हुआ तो 18 अप्रैल 1648 शुक्रवार (जुमे) के दिन शहंशाह शाहजहां ने इसमें अपना गृह प्रवेश किया।
मुगल सल्तनत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर तक लाल किला भारत की केंद्रीय सत्ता का केंद्र बना रहा। इसके बाद अंग्रेजी शासन के दौरान इसे सेना को सौंप दिया गया।
आजादी के बाद लाल किले की प्राचीर से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को देश की जनता को संबोधित किया। तब से यह परपंरा अनवरत चली आ रही है और हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित करते हैं।
इस साल जब स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश को संबोधित किया तब उसके समानांतर नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भुज में लालन कालेज में भाषण देते हुए प्रधानमंत्री के भाषण की आलोचना की। जिसे लेकर राजनीतिक विवाद भी हुआ।
अब छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह की अगुआई में कई महीने तक निकाली गई भाजपा की विकास यात्रा के समापन पर अंबिका पुर में लाल किले की प्रतिकृति बनाकर नरेंद्र मोदी ने भाजपा रैली को संबोधित किया है।
अनुमान लगाया गया है कि टेंट केइस नकली लाल किले को बनाने में कई दिन और दो करोड़ रुपए का खर्च आया। भाजपा इसे मोदी के प्रति छत्तीसगढ़ की आदिवासी जनता का प्रेम बता रही है, जबकि कांग्रेस का आरोप है कि मोदी के करीबी एक बड़े उद्योगपति ने इसे बनवाया।
इस नकली लाल किले से भाजपा की रैली को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस, केंद्र सरकार और बिना नाम लिए राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा।
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