Thursday 12 September 2013

भारत प्रशासित कश्मीर: शोपियां में एक और मौत, कर्फ़्यू लगा

भारत प्रशासित कश्मीर: शोपियां में एक और मौत, कर्फ़्यू लगा

 गुरुवार, 12 सितंबर, 2013 को 13:30 IST तक के समाचार

भारत प्रशासित कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों की ताज़ा गोलीबारी में एक युवक की मौत के बाद उपजे तनाव के चलते इस कस्बे में एक बार फिर कर्फ़्यू लगा दिया गया है. शोपियां के अलावा पुलवामा और कुलगाम में कुछ स्थानों में भी कर्फ़्यू लगाया गया है.
ताज़ा गोलीबारी में हुई एक मौत के साथ ही इलाक़े में शनिवार से मरने वालों की कुल संख्या पांच हो गई है.
इस बीच पुलिस महानिरीक्षक ए जी मीर ने घटना की त्वरित जाँच कराने का आश्वासन दिया है.

हड़ताल

अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने क्लिक करें भारत प्रशासित कश्मीर के शोपियां में चार लोगों की मौत के विरोध में हड़ताल का ऐलान किया था.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि "भारतीय अर्धसैनिक बलों ने जुलूस पर गोलीबारी की."
अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है. विपक्ष की नेता महबूबा मुफ्ती को भी शोपियां जाने की इजाजत नहीं दी गई.
घाटी में हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला. इस दौरान स्कूल और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे तथा सामान्य यातायात ठप रहा.
इससे पहले श्रीनगर में विश्वविख्यात संगीतकार क्लिक करें ज़ुबिन मेहता के कंसर्ट से पहले भारतीय सुरक्षा बलों ने तीन हथियारबंद हमलावरों को एक जवाबी कार्रवाई में मारने का दावा किया था.

स्थानीय लोगों का आरोप

कश्मीर में हाल में ज़ुबिन मेहता के शो का आयोजन किया गया, जिसका घाटी के अलगाववादी संगठनों ने विरोध किया.
दूसरी ओर स्थानीय लोगों का कहना था कि ज़ुबिन मेहता के शो का विरोध करने वाले के ख़िलाफ़ ऑपरेशन के दौरान आम लोगों पर फायरिंग की गई.
ये घटना दक्षिणी क़स्बे शोपियां के गगरन इलाक़े में सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स के कैंप के क़रीब हुई.
इस घटना के बारे में क्लिक करें सीआरपीएफ़ के आईजी नलिन प्रभात ने बीबीसी को बताया, “ये लोग हमला करने के लिए जब कैंप के मुख्य दरवाज़े की तरफ़ बढ़े तो हमारे जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. उन्होंने गोलियां चलाईं और बम फेंके. जवाबी कार्रवाई में तीनों मारे गए.”
घाटी में शनिवार को क्लिक करें ज़ुबिन मेहता के कंसर्ट के ख़िलाफ़ हड़ताल की गई थी.
ताजा घटनाक्रम के बाद घाटी में सिविल सोसाइटी के एक समूह ने बयान जारी कर कहा है, "चूंकि सभी पांच मौतें जर्मन दूतावास की अगुवाई में आयोजित कंसर्ट के बाद हुई हैं, इसलिए जर्मनी सरकार को इन हत्याओं पर खामोश नहीं बैठना चाहिए."

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