'पहले मेरी लाश गिरेगी, तब तुम्हें हाथ लगेगा'
दोघट(बागपत) | अंतिम अपडेट 11 सितंबर 2013 8:11 AM IST पर
नफरत
की आग लगाने वाले बहुत हैं लेकिन अमन के फरिश्ते भी कम नहीं। कुछ लोग अगर
माहौल बिगाड़ने की कसम लिए हैं, तो कुछ ने ठान रखी है सौहार्द बनाए रखने
की।
ऐसे ही अमन के फरिश्तों ने दोघट में भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की। यहां एक किशोर की हत्या के बाद फिजा में नफरत का जहर सा घुल गया लेकिन अमनपसंदों ने फिर से मोहब्बत घोल दी।
सीन- 1: दोपहर के 12 बजे हैं। इदरीश अपने घर चारपाई पर बैठा गहरी सोच में डूबा है। उसमें मन में समाई आशंकाएं चेहरे पर पढ़ी जा सकती हैं। सोच रहा है, अब उसका क्या होगा?
सिरफिरे खुराफातियों ने रविवार दोपहर उसके भाई इंतजार की बेरहमी से हत्या कर दी थी लेकिन कस्बे के अनिल पंवार, रामवीर सिंह जैसे जिम्मेदार लोग उसके पास पहुंचे। उसके साथ खड़े रहने का भरोसा दिया। उसे नया हौसला मिल गया।
सीन - 2: दोघट में ही इंतजार की हत्या के बाद तनाव फैल चुका था। एक समुदाय के लोग सहम गए थे लेकिन पंवार खाप के चौधरी धर्मवीर, चेयरमैन सत्यप्रकाश, लोकेंद्र जैसे मौअज्जिज लोगों ने माहौल बिगड़ने से बचाया।
पलायन करने की तैयारी में लगे लोगों को सुरक्षा की गारंटी दी गई। चौधरी धर्मवीर ने उनसे कहा कि जरा भी न घबराएं, पहले उनकी लाश गिरेगी, तब उन्हें हाथ लग पाएगा। इसके बाद कस्बे से एक ने भी पलायन नहीं किया।
सीन - 3: फैजपुर निनाना में रविवार रात एक घटना के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बुरी तरह सहम गए थे। बीस परिवारों ने पलायन की तैयारी कर ली थी। सामान पैक हो चुका था। तभी देवेंद्र, नरेश, सुक्कन समेत गांव के कई जिम्मेदार चौधरी पहुंचे।
उन्होंने कहा कि गांव छोड़कर न जाएं, इससे बड़ी बदनामी होगी। सदियों के सौहार्द पर दाग लग जाएगा। इसके बाद इन लोगों ने पूरी रात इस समुदाय की बस्ती में पहरा दिया। सुबह उन्हें यकीन हो गया कि उन्हें कोई खतरा नहीं। इसी के चलते कोई पलायन नहीं हुआ।
मैं क्यों जाऊं गांव को छोड़कर
सूप (बागपत) - रविवार रात एक धर्मस्थल से जाते दो युवकों पर हुए जानलेवा हमले से भारी दहशत फैल गई थी। दिन निकलते ही 100 परिवार गांव छोड़कर चल दिए लेकिन 70 साल की वकीला ने पलायन करने से साफ इंकार कर दिया। उसके बच्चे जा चुके थे लेकिन वह जाने को तैयार नहीं हुई।
वह बोली, चाहे कुछ भी हो जाए, वह नहीं जाएगी। कल तक सब हंसी खुशी रहते थे, तो आज क्या दिक्कत आ गई। उसने कहा कि पूरे गांव के बच्चे उसके बेटे जैसे हैं, उसे कोई खतरा नहीं, वह नहीं जाएगी।
ऐसे ही अमन के फरिश्तों ने दोघट में भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की। यहां एक किशोर की हत्या के बाद फिजा में नफरत का जहर सा घुल गया लेकिन अमनपसंदों ने फिर से मोहब्बत घोल दी।
सीन- 1: दोपहर के 12 बजे हैं। इदरीश अपने घर चारपाई पर बैठा गहरी सोच में डूबा है। उसमें मन में समाई आशंकाएं चेहरे पर पढ़ी जा सकती हैं। सोच रहा है, अब उसका क्या होगा?
सिरफिरे खुराफातियों ने रविवार दोपहर उसके भाई इंतजार की बेरहमी से हत्या कर दी थी लेकिन कस्बे के अनिल पंवार, रामवीर सिंह जैसे जिम्मेदार लोग उसके पास पहुंचे। उसके साथ खड़े रहने का भरोसा दिया। उसे नया हौसला मिल गया।
सीन - 2: दोघट में ही इंतजार की हत्या के बाद तनाव फैल चुका था। एक समुदाय के लोग सहम गए थे लेकिन पंवार खाप के चौधरी धर्मवीर, चेयरमैन सत्यप्रकाश, लोकेंद्र जैसे मौअज्जिज लोगों ने माहौल बिगड़ने से बचाया।
पलायन करने की तैयारी में लगे लोगों को सुरक्षा की गारंटी दी गई। चौधरी धर्मवीर ने उनसे कहा कि जरा भी न घबराएं, पहले उनकी लाश गिरेगी, तब उन्हें हाथ लग पाएगा। इसके बाद कस्बे से एक ने भी पलायन नहीं किया।
सीन - 3: फैजपुर निनाना में रविवार रात एक घटना के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बुरी तरह सहम गए थे। बीस परिवारों ने पलायन की तैयारी कर ली थी। सामान पैक हो चुका था। तभी देवेंद्र, नरेश, सुक्कन समेत गांव के कई जिम्मेदार चौधरी पहुंचे।
उन्होंने कहा कि गांव छोड़कर न जाएं, इससे बड़ी बदनामी होगी। सदियों के सौहार्द पर दाग लग जाएगा। इसके बाद इन लोगों ने पूरी रात इस समुदाय की बस्ती में पहरा दिया। सुबह उन्हें यकीन हो गया कि उन्हें कोई खतरा नहीं। इसी के चलते कोई पलायन नहीं हुआ।
मैं क्यों जाऊं गांव को छोड़कर
सूप (बागपत) - रविवार रात एक धर्मस्थल से जाते दो युवकों पर हुए जानलेवा हमले से भारी दहशत फैल गई थी। दिन निकलते ही 100 परिवार गांव छोड़कर चल दिए लेकिन 70 साल की वकीला ने पलायन करने से साफ इंकार कर दिया। उसके बच्चे जा चुके थे लेकिन वह जाने को तैयार नहीं हुई।
वह बोली, चाहे कुछ भी हो जाए, वह नहीं जाएगी। कल तक सब हंसी खुशी रहते थे, तो आज क्या दिक्कत आ गई। उसने कहा कि पूरे गांव के बच्चे उसके बेटे जैसे हैं, उसे कोई खतरा नहीं, वह नहीं जाएगी।
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