बाजार पर ज्यादा दिन नहीं रहेगा ‘राजन इफेक्ट’
रघुराम राजन के भारतीय रिजर्व बैंक का
गवर्नर बनने के बाद शेयर बाजार में आई तेजी एक अस्थाई रुझान है और यह बहुत
दिनों तक नहीं रहने वाली है।
ब्रोकरेज फर्म मेक्वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाजार फिलहाल नए गवर्नर से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें कर रहा है और यह दौर जल्द ही खत्म हो जाएगा।
हालांकि रुपए में ‘राजन इफेक्ट’ की यह तेजी इस सप्ताह बने रहने के आसार जताते हुए विशेषज्ञों ने रुपए भाव के सुधर कर 63 से 65.5 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद जताई है।
मेक्वायर ने कहा है बाजार राजन की नियुक्ति से काफी खुश है, पर यह बात समझने की जरूरत है कि आने वाले दिनों में उन्हें दो स्तरों पर चुनौतियों का सामना करना होगा।
अर्थव्यवस्था से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के साथ ही उन्हें राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के साथ ठीक तालमेल बैठाने की चुनौती भी झेलनी होगी।
गौरतलब है कि 5 सितंबर को रघुराम राजन द्वारा आरबीआई की कमान संभाले जाने पर बीएसई का सेंसेक्स 412 अंक उछल कर तीन सप्ताह के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था।
इसके अगले दिन भी सेंसेक्स ने 290 अंक की बढ़त दर्ज की थी। रुपए में भी इस दौरान तगड़ी रिकवरी देखने को मिली थी। बाजार में इस तेजी को ‘राजन इफेक्ट’ कह कर पुकारा गया था।
मेक्वायर के रिसर्च नोट के मुताबिक डॉ. राजन की नियुक्ति के बाद बाजार से ठीक वैसे ही सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली जब पी. चिदंबरम द्वारा वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद आर्थिक सुधार की घोषणाओं के बाद आई थीं। लेकिन वास्तव में यह बरकरार नहीं रह सका।
पिछले साल चिदंबरम के वित्त मंत्रालय में आने के बाद बाजार में आई तेजी साल के शुरू में बजट आते ही कमजोर पड़ गई क्योंकि बजट से बाजार को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वैसी कोई भी घोषणा चिदंबरम द्वारा नहीं की गई थीं।
दूसरी ओर, चिदंबरम वित्तीय घाटे को निर्धारित 4.8 फीसदी के दायरे में समेटने के लिए संघर्ष करते रहे और उनकी पार्टी खाद्य सुरक्षा बिल लाने में व्यस्त थी।
राजन को भी इसी तरह की स्थिति की सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि राजन के ‘क्रांतिकारी’ विचारों को सरकार के बड़े धड़े का समर्थन मिलना मुश्किल लग रहा है।
ब्रोकरेज फर्म मेक्वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाजार फिलहाल नए गवर्नर से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें कर रहा है और यह दौर जल्द ही खत्म हो जाएगा।
हालांकि रुपए में ‘राजन इफेक्ट’ की यह तेजी इस सप्ताह बने रहने के आसार जताते हुए विशेषज्ञों ने रुपए भाव के सुधर कर 63 से 65.5 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद जताई है।
मेक्वायर ने कहा है बाजार राजन की नियुक्ति से काफी खुश है, पर यह बात समझने की जरूरत है कि आने वाले दिनों में उन्हें दो स्तरों पर चुनौतियों का सामना करना होगा।
अर्थव्यवस्था से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के साथ ही उन्हें राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के साथ ठीक तालमेल बैठाने की चुनौती भी झेलनी होगी।
गौरतलब है कि 5 सितंबर को रघुराम राजन द्वारा आरबीआई की कमान संभाले जाने पर बीएसई का सेंसेक्स 412 अंक उछल कर तीन सप्ताह के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था।
इसके अगले दिन भी सेंसेक्स ने 290 अंक की बढ़त दर्ज की थी। रुपए में भी इस दौरान तगड़ी रिकवरी देखने को मिली थी। बाजार में इस तेजी को ‘राजन इफेक्ट’ कह कर पुकारा गया था।
मेक्वायर के रिसर्च नोट के मुताबिक डॉ. राजन की नियुक्ति के बाद बाजार से ठीक वैसे ही सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली जब पी. चिदंबरम द्वारा वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद आर्थिक सुधार की घोषणाओं के बाद आई थीं। लेकिन वास्तव में यह बरकरार नहीं रह सका।
पिछले साल चिदंबरम के वित्त मंत्रालय में आने के बाद बाजार में आई तेजी साल के शुरू में बजट आते ही कमजोर पड़ गई क्योंकि बजट से बाजार को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वैसी कोई भी घोषणा चिदंबरम द्वारा नहीं की गई थीं।
दूसरी ओर, चिदंबरम वित्तीय घाटे को निर्धारित 4.8 फीसदी के दायरे में समेटने के लिए संघर्ष करते रहे और उनकी पार्टी खाद्य सुरक्षा बिल लाने में व्यस्त थी।
राजन को भी इसी तरह की स्थिति की सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि राजन के ‘क्रांतिकारी’ विचारों को सरकार के बड़े धड़े का समर्थन मिलना मुश्किल लग रहा है।
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