सुषमा को मिल सकती है मोदी की कुर्सी!
नई दिल्ली, 10 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 19:57 IST
अगर बीजेपी-संघ की नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने
की योजना सौहार्दपूर्ण माहौल में सिरे चढ़ी तो लालकृष्ण आडवाणी कैंप को खुश
करने के लिए तुष्टीकरण की नीति अपना सकती है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
राजनाथ सिंह की ओर से संघ-बीजेपी समन्वय बैठक में मौजूदा राजनैतिक हालात
और उसके मद्देनजर मोदी को प्रधानमंत्री घोषित करने की जरुरत पर जोर दिया
गया. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में राजनाथ सिंह की ओर से दिए गए
प्रजेंटेशन में यह भी तय कर दिया गया कि मोदी पीएम उम्मीदवार होने के बाद
भी गुजरात के मुख्यमंत्री बने रहेंगे, लेकिन केंद्रीय चुनाव अभियान समिति
के चेयरमैन का पद उन्हें छोडऩा होगा. इस मुद्दे पर करीब-करीब सहमति बन गई.
इसके बाद मोदी की छोड़ी गई कुर्सी के दो दावेदार सामने हैं, जो एक मोदी के
खास हैं तो दूसरी धुर विरोधी.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली के बीच इस कुर्सी के लिए रस्साकशी हो सकती थी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ ने खुद आगे बढक़र सुषमा स्वराज का नाम चुनाव अभियान समिति के चेयरपर्सन पद के लिए प्रस्तावित किया है, ताकि आडवाणी खेमे के विरोध की धार भोंथरी की जा सके.
इस पर मोदी को भी एतराज नहीं हैं, क्योंकि इस वक्त उनके सामने पार्टी के सभी धड़ों को साथ लेकर चलने की चुनौती है. लेकिन चुनाव बाद सरकार बनने की स्थिति में चुनाव अभियान समिति की बागडोर रखने वाले नेता की अहमियत निश्चित तौर से नंबर दो या तीन की हो सकती है.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली के बीच इस कुर्सी के लिए रस्साकशी हो सकती थी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ ने खुद आगे बढक़र सुषमा स्वराज का नाम चुनाव अभियान समिति के चेयरपर्सन पद के लिए प्रस्तावित किया है, ताकि आडवाणी खेमे के विरोध की धार भोंथरी की जा सके.
इस पर मोदी को भी एतराज नहीं हैं, क्योंकि इस वक्त उनके सामने पार्टी के सभी धड़ों को साथ लेकर चलने की चुनौती है. लेकिन चुनाव बाद सरकार बनने की स्थिति में चुनाव अभियान समिति की बागडोर रखने वाले नेता की अहमियत निश्चित तौर से नंबर दो या तीन की हो सकती है.
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