Tuesday, 10 September 2013

दिल्ली गैंगरेप: चार आरोपी दोषी करार, सजा-ए-मौत की मांग

दिल्ली गैंगरेप: चार आरोपी दोषी करार, सजा-ए-मौत की मांग
नई दिल्ली, एजेंसी
First Published:10-09-13 11:30 PMराष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर के बर्बर सामूहिक बलात्कार की घटना के नौ महीने से भी कम अवधि में दिल्ली की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने मुकदमे के दौरान मर चुके एक व्यक्ति समेत सभी पांच आरोपियों को निस्सहाय 23 वर्षीय लड़की से बलात्कार और उसकी नृशंस हत्या के लिए दोषी ठहराया। इस अपराध के लिए आरोपियों को मौत की सजा हो सकती है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 237 पन्ने के अपने फैसले में मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को दोषी ठहराया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। दोषियों को क्या सजा होगी इसपर कल अदालत के समक्ष दलील दी जाएगी। न्यायाधीश ने कहा कि मामले के तथ्य सभी आरोपियों को निस्सहाय पीड़िता की नृशंस हत्या के लिए जिम्मेदार पाते हैं और इस प्रकार आईपीसी की धारा 302 के साथ के साथ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) को पढ़ते हुए अपराध साबित होते हैं और इसलिए आरोपियों को दोषी ठहराया जाता है। अदालत ने कहा कि सभी आरोपियों ने एक साजिश के तहत पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया और इसलिए वे आईपीसी की धारा 376 (2) (जी) (सामूहिक बलात्कार) के साथ धारा 120 बी के तहत दोषी ठहराए जाते हैं। अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की की चिकित्सा में विलंब और अस्पताल में इलाज के दौरान संक्रमण से मत्यु हुई।
न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि इस मुकदमे का महत्वपूर्ण पहलू वह तरीका है जिसके तहत रॉड और हाथ दोनों का इस्तेमाल आहार नलिका को क्षतिग्रस्त कर उसे (लड़की के) शरीर से बाहर निकालने के लिए किया गया। अदालत ने कहा कि शरीर के ज्यादातर महत्वपूर्ण हिस्सों को पूरी तरह नष्ट करने के तरीके को कभी शारीरिक चोट पहुंचाने की मंशा नहीं कहा जा सकता बल्कि यह मारने की मंशा से किया गया कत्य होगा। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों ने लड़की से सामूहिक बलात्कार करने की साजिश रची थी और पूर्व नियोजित तरीके से अपराध किया गया। अदालत ने कहा कि आरोपी अपनी साजिश के अनुरूप पीड़िता से सामूहिक बलात्कार के लिए भी जिम्मेदार हैं। अपने फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि परिस्थितियां, आचरण और आरोपियों के सुस्पष्ट कृत्य ने साफ तौर पर स्थापित किया कि आरोपी लोगों ने शिकायतकर्ता की हत्या का प्रयास किया था। 16 दिसंबर की घटना में पैरामेडिकल छात्र से बर्बरता से सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसपर बर्बर हमले के खिलाफ देशभर में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसके जरिए कानून में बदलाव करना पड़ा था। बदले हुए कानून बलात्कार के मामले में मौत की सजा का भी प्रावधान करते हैं लेकिन मौजूदा मामले की सुनवाई आईपीसी के पुराने प्रावधानों के तहत हुई है जो बलात्कार के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करता है। पांचवें दोषी राम सिंह ने मार्च में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। छठा दोषी घटना के वक्त किशोर था और उसे सुधार गह में अधिकतम तीन साल की सजा काटनी होगी।
 न्यायाधीश ने कहा कि यद्यपि आरोपी राम सिंह (34) के खिलाफ उसकी मौत के बाद कार्यवाही समाप्त कर दी गई लेकिन वह भी समान धाराओं (सामूहिक बलात्कार, हत्या और अन्य अपराधों) के लिए दोषी है। फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद पवन रो पड़ा जबकि विनय बदहवास हो गया। मुकेश को यह कहते सुना गया, उन्होंने जो किया है उसका नतीजा उन्हें भुगतना होगा। एक अन्य दोषी अक्षय पर कोई प्रभाव नहीं दिखा। अपने फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता का धोखे से अपहरण, लूटपाट, जख्मी करना और कुछ आरोपियों का शिकायतकर्ता (पुरुष मित्र) को पकड़कर रखना जबकि अन्य का बारी-बारी   बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार करना और उनमें से एक का बस चलाते रहना और अंत में उन्हें बस से बाहर फेंकना, लूट के माल को बांटना, सबूत को नष्ट करना इस तरह का अवैध कृत्य करने के लिए उनके बीच अवैध सहमति को दर्शाता है और उन्हें इसकी जानकारी थी।


दिल्ली गैंगरेप के दरिंदे दोषी करार, अब सजा का इंतजार 
 
पिछले साल 16 दिसंबर को वसंत विहार गैंगरेप और हत्या के मामले में साकेत कोर्ट ने मंगलवार को पांच आरोपियों को दोषी करार दिया। इनमें 11 मार्च को जेल में खुदकुशी करने वाला एक आरोपी राम सिंह भी शामिल है। घटना में एक नाबालिग भी था, जिसे बाल न्यायालय पहले ही तीन साल तक सुधार गृह में रखे जाने की सजा सुना चुका है। अब बुधवार को बहस के बाद इन दंरिदों की सजा पर फैसला होगा।

जिन धाराओं में आरोपियों को दोषी ठहराया गया है, उनमें न्यूनतम उम्रकैद और अधिकतम फांसी की सजा है। कोर्ट ने चार आरोपियों मुकेश, विनय, पवन  और अक्षय ठाकुर को पुलिस द्वारा लगाई गई सभी 11 धाराओं में दोषी ठहराया। कोर्ट ने अपने फैसले में पीड़िता को असहाय बताते हुए अभियुक्तों के कृत्य को रेप व नृशंस हत्या की श्रेणी में रखा है।

ये सबूत अहम बने: पीड़िता के मृत्यु से पहले दिए गए बयान, फोरेंसिक सबूत, डीएनए के नमूने, आरोपियों की अन्य मेडिकल रिपोर्ट, इलेक्ट्रानिक सबूत, गिरफ्तारी के बाद आरोपियों के बयान और जिस बस में अपराध हुआ, उसमें मोबाइल नेटवर्क की स्थिति के जरिए आरोपियों की मौजूदगी।

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