दिल्ली गैंगरेपः दरिंदों ने न खाना खाया, न रात भर सोए
जेल प्रशासन की मानें तो, सजा तय होने के बाद दोषियों को तिहाड़ की दूसरी जेलों में स्थानांतरित किया जा सकता है। सबसे अधिक संभावना मुकेश और अक्षय को तिहाड़ जेल संख्या चार से जेल संख्या दो या तीन में भेजने की है।
जबकि विनय और पवन जेल संख्या सात में बंद है। जेल अधिकारियों के अनुसार सजा तय होने के बाद दोषियों को जेल मैन्युअल के तहत जेल में काम भी करने पड़ेंगे।
गैंगरेप मामले में दोषियों को बृहस्पतिवार दिन में अनमने मन से खाना खाया। जबकि बीती रात को जेल की सेल में करवटें बदल कर रात गुजारी।
जेल के एक अधिकारी के अनुसार, चारों दोषियों को सुरक्षित सेल में रखा गया है। सीसीटीवी से उनकी निगरानी की जा रही है। तिहाड़ जेल के प्रवक्ता सुनील गुप्ता का कहना है कि, सभी दोषी बेहद डरे हुए है।
दरिंदों ने उस रात नहीं पी थी शराब
तफ्तीश से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया है कि कोर्ट में इस बात को रखा था कि आरोपियों ने वारदात के दौरान शराब नहीं पी रखी थी।
गिरफ्तार करने के बाद कराए गए मेडिकल जांच में भी शराब पीने की पुष्टि नहीं हुई थी।
पुलिस ने अदालत के सामने अस्पताल में उपचार के कागजात और डॉक्टरों के बयानों को मैच कराया और ये सिद्ध किया कि, आम इंसान ऐसा गंभीर अपराध नहीं कर सकता।
छात्रा के शरीर के बाहरी हिस्से पर काटने के निशान थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार दिल्ली पुलिस ने छात्रा के शरीर पर जो 18 गंभीर चोटों की बात अदालत में रखी थी उनमें से ज्यादातर चोटें छात्रा के शरीर के अंदरूनी हिस्से में थीं।
दक्षिण जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अदालत में मानव संरचना से जुड़ी ह्यूमन एनाटॉमी की अधिकृत किताबें रखी गई थीं।
इन किताबों के द्वारा अदालत को यह बताया गया था कि दोषियों ने छात्रा को जो चोट पहुंचाई उससे छात्रा के शरीर का कौन सा हिस्सा कितना और किस तरह क्षतिग्रस्त हुआ था। ये भी बताया गया था कि कौन-कौन सी चोटें छात्रा की मौत का कारण बनी।
'बस से न फेंकते, तो मेरी हत्या तय थी'
वसंत विहार गैंगरेप मामले से जुड़े लूटपाट मामले में गवाह ने अदालत को बताया कि यदि आरोपी उसे चलती बस से नहीं फेंकते तो उसकी हत्या भी तय थी।
पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दया प्रकाश के समक्ष गवाही के लिए पेश पीड़ित राम अधर ने अदालत को बताया कि मुकेश, विनय, अक्षय व पवन के अलावा दो अन्य आरोपी भी इनके साथ थे।
राम अधर ने बचाव पक्ष के उस तर्क को गलत बताया कि उसके साथ लूटपाट नहीं हुई थी। उसने इस तर्क को भी गलत बताया कि उसने पुलिस के कहने पर उनके मुवक्किलों को फर्जी मामले में फंसाया है।
गवाह ने कहा कि, आरोपियों ने उससे नगदी व मोबाइल लूट लिया था व आटो चालक के फोन से उसने अपने भाई को इस घटना की जानकारी दी थी।
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