सीरिया संकट ः अमेरिका के खिलाफ रूस के साथ खड़ा हुआ भारत
मनमोहन सिंह ने जी20 देशों के सम्मेलन में रखी भारत की राय,
रूस के साथ फिर रिश्तों में गर्माहट का दिया संकेत
सेंट
पीटर्सबर्ग। भारत ने सीरिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र से अलग हटकर की जाने
वाली किसी भी सैन्य कार्रवाई का दो दूक शब्दों में विरोध किया है। साथ ही
स्पष्ट किया है कि रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की पुष्टि होने पर यदि
कोई कदम उठाया जाता है तो उसका मकसद सीरिया में सत्ता परिवर्तन के बजाय
मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना होना चाहिए।
भारत
के रुख में यह बदलाव रूस के साथ रिश्तों में फिर गर्माहट आने का
महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। भारत आम तौर पर अब तक अमेरिकी रुख का
समर्थन करता आया है लेकिन पहली बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सीरिया के
मुद्दे पर अमेरिका के खिलाफ रूस के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। भारत की राय
प्रधानमंत्री ने जी-20 देशों के नेताओं के रात्रिभोज के दौरान जाहिर की,
जहां संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर
पुतिन भी मौजूद थे। दुनिया में आर्थिक मंदी और मुद्रा बाजार की उथलपुथल के
बावजूद इस रात्रि भोज में सीरिया संकट और उसके खिलाफ अमेरिका की एक तरफा
कार्रवाई की मंशा का मुद्दा छाया रहा और आम तौर पर समूह के सभी नेताओं ने
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की घोषणाओं का स्वागत किया। इस भोज के दौरान हुए
विचार विमर्श की जानकारी देते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक
अहलूवालिया ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी कार्रवाई करने से
पहले संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का इंतजार किया जाना चाहिए...
•सीरिया के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया
•रासायनिक हथियार इस्तेमाल की रिपोर्ट चंद दिनों में ः मून
‘किसी नतीजे से पहले तथ्यों पर सावधानी बरतें’
जी-20
सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीरिया समेत कहीं भी
रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को अनुचित बताया। लेकिन कहा कि अतीत के
अनुभवों से किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले तथ्यों के बारे में पूरी सावधानी
बरतनी चाहिए।
नहीं बन पाई सहमति कार्रवाई पर अड़े ओबामा
जी20
सम्मेलन में नेताओं के बीच सीरिया पर कार्रवाई के मुद्दे पर कोई आम सहमति
नहीं बन पाई। भारत, चीन और रूस समेत ज्यादातर देशों ने यूएन की अनुमति के
बिना सीरिया पर किसी भी कार्रवाई का तीखा विरोध किया है। ओबामा के साथ इस
मुद्दे पर बातचीत के बाद पुतिन ने साफ कहा कि इस मुलाकात से भी उनके मतभेद
दूर नहीं हुए हैं। हालांकि ओबामा अपने रुख पर कायम हैं।
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