मालदीव: किसी को बहुमत नहीं,फिर होगा मतदान
रविवार, 8 सितंबर, 2013 को 10:41 IST तक के समाचार
मालदीव में शनिवार को राष्ट्रपति पद के लिए हुए मतदान में किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए ज़रूरी 50 फ़ीसदी वोट नहीं मिल पाए हैं.
अब वहाँ दोबारा मतदान कराया जाएगा. अधिकारियों के मुताबिक दोबारा मतदान 28 सितंबर को होगा.मालदीव के चुनाव आयोग के मुताबिक़ मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन को केवल पाँच फीसदी वोट मिले.
राष्ट्रपति चुनाव
मालदीव में पिछले साल राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को सत्ता से बेदख़ल करने के बाद पहली बार राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं.इन चुनावों में मुख्य मुकाबला नशीद और मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन के बीच माना जा रहा था. चुनाव प्रचार के दौरान नशीद ने अपनी जीत का विश्वास भी जताया था.
नशीद ने आरोप लगाया था कि एक साज़िश के तहत उन्हें राष्ट्रपति पद से हटने को मजबूर किया गया था. मोहम्मद वहीद हसन इन आरोपों को ख़ारिज करते हैं.
मामून अब्दुल गयूम की कई दशक लंबी तानाशाही के बाद 2008 में क्लिक करें मालदीव में पहली बार स्वतंत्र चुनाव हुए थे. इनमें नशीद राष्ट्रपति चुने गए थे.
इस वजह से नशीद को फ़रवरी 2012 में अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
'बंदूक़ की नोक पर'
मोहम्मद नशीद ने तब कहा था कि वो 'ख़ूनख़राबा' रोकने के लिए इस्तीफ़ा दे रहे हैं. बाद में उन्होंने कहा कि उन्हें पुलिस और सेना ने बंदूक़ की नोक पर इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया.इसके बाद उपराष्ट्रपति रहे मोहम्मद वहीद हसन उनकी जगह राष्ट्रपति बने थे.
नेतृत्व परिवर्तन से मालदीव में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई थी. विरोध-प्रदर्शनों के कारण देश के पर्यटन उद्योग पर असर पड़ने की आशंका जताई गई थी.
सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने मार्च 2012 में दोबारा संसद खुलने पर अवरोध डाला और राष्ट्रपति वहीद के इस्तीफ़े की मांग की थी.
'शंका और विश्वास'
चुनाव में धर्म, राष्ट्रवाद, शिक्षा और अर्थवयवस्था जैसे मुद्दे अहम रहे. मालदीव के बड़े व्यापारी गसिम इब्राहीम और पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल ग़यूम के सौतेले भाई अब्दुल्ला यामीन भी राष्ट्रपति पद के उमीदवार हैं.मामून अब्दुल ग़यूम 2008 तक मालदीव के राष्ट्रपति थे. उन्होंने तीन दशक तक शासन किया.
No comments:
Post a Comment