'मैंने अपनी बहन को उसके कुंडल से पहचाना'
शनिवार, 10 अगस्त, 2013 को 19:06 IST तक के समाचार
घुंघरू लगी चांदी की पाज़ेब,
मीनाकारी से सजी बिछिया, सोने की अंगूठियां, कुंडल, लाल, सुनहरे और काले
मोतियों की माला और कुंदन के कर्णफूल, वीज़ा कार्ड और पैन कार्ड, कपड़े और
जूते ऐसी कुछ निशानियां हैं जिनसे अब उत्तराखंड में मृतकों की पहचान की जा
रही है.
ये उन अभागे लोगों के सामान हैं जो आए तो थे केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने, लेकिन प्रलयंकारी बाढ़ में काल कवलित हो गए.कानपुर से नवनीत मिश्र के परिवार के 11 लोग केदारनाथ आए थे जो वापस घर नहीं लौटे. उनकी बहन की पहचान हो गई है. रुंधे गले से नवनीत मिश्र कहते हैं, ''मैंने अपनी बहन को उसके कुंडल से पहचाना. मैंने ही उसके जन्मदिन पर उसे कुंडल उपहार में दिए थे.''
शवों का मिलना जारी
उत्तराखंड में जून में आई प्रलयंकारी बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित केदारनाथ में अब भी शव मिल रहे हैं. पिछले तीन दिनों में वहां 69 शव मिले हैं, जिनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है.सात अगस्त को 21, आठ को 23 और नौ अगस्त को 25 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. ये शव मंदिर के आसपास फैले मलबे, खंडहर बनी इमारतों, खिड़कियों और ग्रिल को तोड़कर निकाले गए थे.
पुलिस और एनडीआरएफ़ की संयुक्त टीम शवों को निकालने और उनके अंतिम संस्कार का काम कर रही है. शव बेहद क्षत-विक्षत अवस्था में मिल रहे हैं.
निर्जीव वस्तुओं से पहचान
शवों के डीएनए सैंपल, फोटोग्राफ, उनसे मिले ज़ेवर और दूसरे सामान को पहचान के लिए सुरक्षित रख लिया गया है. मलबे में मिले बैग से लोगों के वोटर आईडी, डेबिट कार्ड, मार्कशीट, बैंक अकाउंट नंबर जैसे सामान भी मिले हैं.करीब 60 क्लिक करें शवों की पहचान उनसे मिले कार्ड, ज़ेवर, कपड़ों और जूतों की मदद से हो पाई. जिनके परिजनों ने इन अवशेषों की पहचान कर ली है, उन्हें मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है.
आईजी आपदा प्रबंधन रामसिंह मीणा ने बताया, ''केदारनाथ मंदिर परिसर के पास मलबे से पांच लाख रुपए भी मिले हैं, जिन्हें सरकारी ख़जाने में जमा करा दिया गया है.''
पूजा 11 सितंबर से?
केदारनाथ के मुख्य रावल यानी पुजारी भीमाचार्य शिवलिंगम के अनुसार इस बारे में आखिरी निर्णय 25 अगस्त की बैठक में लिया जाएगा.
सरकार का कहना है कि फिलहाल केदारनाथ में पूजा शुरू की जाएगी, यात्रा नहीं. शुरू में 20-25 लोग ही वहां पूजा अर्चना के लिए रहेंगे.
इस बीच पिछले तीन दिनों से पर्वतीय इलाकों में हो रही भारी बारिश से गंगा और उसकी सहायक नदियां फिर से उफान पर हैं. कई जगहों से रास्ते बंद होने और भूस्खलन की खबर है.
टिहरी झील का जलस्तर भी बढ़कर 818 मीटर से अधिक हो गया है. झील से पानी छोड़ा जा रहा है और इस वजह से ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा का जलस्तर काफ़ी बढ़ गया है. हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान से सिर्फ़ आधा मीटर नीचे रह गई है.
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