Monday, 9 September 2013

मुजफ्फरनगर दंगा: कभी नहीं देखी ऐसी ‘हैवानियत’

मुजफ्फरनगर दंगा: कभी नहीं देखी ऐसी ‘हैवानियत’

up history did not witness such violence

मुजफ्फरनगर में मजहब का उन्माद तो कई बार छिड़ा, मंदिर टूटे और मसजिद भी। दिलों में नफरत की ऐसी ज्वाला कभी नहीं भड़की।

शहर में दंगे-फसाद तो हुए, लेकिन गांवों में ऐसा खून-खराबा पहली दफा देखा गया है। लगभग हर गांव का अमन जल रहा है। न समझाने वाले हैं और न ही समझने वाले।



आजादी के गदर में यहां के हिंदू-मुस्लिमों ने फिरंगियों से मिलकर लोहा लिया था। अयोध्या प्रकरण हो या राजनीति के सांप्रदायिक रंग। कभी मजहबी नफरत के गांव की मिली-जुली संस्कृति पर खूनी छींटे नहीं पड़े।

सियासी पार्टियों ने अवाक को अलग-अलग रंग के झंडों में बांट दिया, लेकिन देहात का भाईचारा झुलसने से बचा रहा। इतिहास ने ऐसी करवट बदली कि दिलों में एक-दूसरे की जान लेने का जुनून सवार हो गया है।

13 दिन में घुल गया जहर
छिटपुट घटनाएं होती थीं, लेकिन बुजुर्ग और भरोसे के लोग मिल बैठकर राह निकाल लेते थे। कवाल में जो हुआ, उसके बाद बिगड़ते हालात सुधर नहीं पाए। पिछले 13 दिन में जहर घुलता गया।

शाहपुर, फुगाना और मंसूरपुर थाना क्षेत्र के कई गांवों में बड़ी हिंसा का कत्लोगारद देख रोंगटे खड़े हो गए हैं। गांव की गलियां थर्रा रही हैं। खेतों की पगडंडियों पर दहशत का साया है। दिन ढलते ही अकेले गुजरना मौत दिख रहा है।

दंगाइयों को खदेड़ने में मिलिट्री का भी निकला पसीना
चिंताजनक यह है कि देहात में हर एक घंटे में बस्ती जलने की खबर है। आर्मी ग्रामीण क्षेत्र में मूव कर रही है। बलवाइयों को दौड़ा रही है। हालात इस कदर भयावह हैं कि कुटबा में सुबह दंगाइयों को खदेड़ने में मिलिट्री को भी पसीना आ गया।

मंसूरपुर के बुजुर्ग एवं पूर्व विधायक सरदार सिंह कहते हैं कि गांव में मरने-मिटाने की ऐसी हैवानियत कभी नहीं देखी। सोरम के दरियाव सिंह को दुख है कि धर्म के उन्माद गांवों में दीवारें खड़ी कर दी हैं।

दोनों समुदाय नवाते हैं शीश
ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे कई आस्था के केंद्र हैं, जहां हिंदू और मुसलिम शीश नवाते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि कई पीढ़ियों से ऐसा हो रहा है, लेकिन न जाने कौन सी नजर देहात के अमन को लग गई है।

तितावी के पीर बाबा हों या खेड़ा मस्तान में बाबा मस्तान शाह की मजार, यहां हर बरस मेले लगते हैं। सौहार्द और भाईचारे का संदेश गांव-गांव पहुंचता है।

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