मुजफ्फरनगर दंगाः अब तक 32 की मौत
दंगे में रविवार को मुजफ्फरनगर में 11, शामली में दो और बड़ौत में एक शख्स की मौत हो गई।
साथ ही शनिवार के तीन घायलों ने दम तोड़ दिया। इस तरह दो दिनों में मरने वालों की संख्या 32 हो गई है। करीब 15 लोग अब भी लापता हैं।
हिंसा अब गांवों में भी फैल गई है। एडीजी कानून व्यवस्था अरुण कुमार ने कहा कि गांव में हिंसा फैलने के कारण स्थिति को नियंत्रित करने में समय लग रहा है। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।
शहर में कर्फ्यू के बावजूद तीन स्थानों पर पत्थरबाजी के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है। नगर क्षेत्र के अलावा देहात के दंगाग्रस्त इलाकों में सेना को लगाया गया है। एडीजी अरुण कुमार यहां डेरा डाले हुए हैं।
सेना ने हमले के डर से कई गांवों के अल्पसंख्यकों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अफसरों से रविवार के घटनाक्रम की जानकारी ली। आईजी लॉ एंड आर्डर आर. के. विश्वकर्मा के मुताबिक, दो दिनों में 26 लोगों की जान गई है।
वैसे शहर में पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शांति रही, लेकिन देहात सांप्रदायिकता की आग में जलता रहा। सबसे बड़ी घटना शाहपुर थाना क्षेत्र के कुटबा-कुटबी में हुई।
हथियारों से लैस भीड़ ने एक धार्मिक स्थल को क्षतिग्रस्त करने के साथ कई मकानों में आग लगा दी। हमले में 50 साल के वहीद, 55 साल के अंबरीश, 70 साल की खातून की मौत हो गई।
छपार थाना क्षेत्र के सिसौना में कासमपुर पठेड़ी के ऋषिपाल को गोली मार दी गई, जबकि फुगाना में आस मोहम्मद और इस्लाम की हत्या कर दी गई। खरड़ में 70 साल के सगीर की हत्या के बाद तनातनी बढ़ गई है।
ककरौली के खेड़ी फिरोजाबाद के लताफत अली की लाश तिस्सा रजवाहे से बरामद हुई है। बसी कलां में हमले में घायल गर्भवती अफसाना और काकड़ा के महेंद्र ने भी उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। सेना के जवानों को शहर के अलावा दंगाग्रस्त गांवों में भी तैनात किया गया है।
गावों में फैली हिंसा
दूसरी ओर कवाल में सुलगी नफरत की चिंगारी शामली पहुंच गई। जिले के लांक गांव में दोनों समुदायों के बीच हमलों में दो की मौत हो गई। कई गांवों में फायरिंग-आगजनी, पथराव ओर हमलों में दो दर्जन से के बाद अधिक घायल हुए हैं।
हिंसा के बाद शामली को सेना के हवाले कर दिया गया है। शाम को सेना ने शहर में फ्लैग मार्च किया। रविवार की सुबह फुगाना थानाक्षेत्र के लांक गांव में दो समुदाय के लोग भिड़ गए। दोनों ओर से फायरिंग के बाद मकानों पर हमले और आजगनी हुई, जिसमें अहसान और अबलू की मौत हो गई।
बहावड़ी में भी मकानों में आगजनी और दो गुटों में गोलियां चलीं। यहां वरिष्ठ पुलिस अफसरों ने मकानों में फंसे एक समुदाय के करीब 70 परिवारों के सैकड़ों लोगों को निकालकर शामली कोतवाली भिजवाया।
सिमलखा में चल रही पंचायत के दौरान बलवा गांव के लोगों ने फायरिंग की और एक मकान को जला दिया गया। साथ ही शाम को वैन में बड़ौत लौट रहे परिवार पर हमला बोल दिया गया, जिसमें दो महिलाओं समेत सात लोग घायल हो गए।
लिसाढ़ गांव में पांच मकानों में आग लगा दी गई और फायरिंग हुई। जिला प्रशासन ने हरियाणा राज्य के पानीपत प्रशासन से वार्ता कर सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने का अनुरोध किया है।
इसके अलावा बड़ौत के वाजिदपुर गांव में रविवार की देर रात एक धर्मस्थल में घुसकर असामाजिक तत्वों ने जमकर फायरिंग की, जिसमें एक किशोर की मौत हो गई, जबकि पांच घायल हो गए। घटना के बाद वहां भगदड़ मच गई।
गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। नौ बजे रात को हुई इस वारदात के बाद गांव में तनाव है।
यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाए केंद्र : अजित
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष और केंद्रीय उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह ने केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सूबे में कानून व्यवस्था पूरी तरह से विफल गई है। प्रदेश सरकार सांप्रदायिक दंगों को काबू करने में नाकाम रही है।
प्रशासन ने स्थिति सामान्य होने का दावा किया
राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक व आईजी कानून-व्यवस्था ने दावा किया है कि रविवार दोपहर दो बजे के बाद से स्थिति सामान्य है और हालात सामान्य रखने के लिए जरूरत पड़ने पर गोली भी मारी जाएगी। उधर, मुख्य सचिव ने मातहतों को हिदायत दी है कि और मौतें न होने पाएं। अतिरिक्त पुलिस बल भेजे जाने के साथ ही मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और सहारनपुर में एक-एक आईजी को तैनात किया गया है।
मुजफ्फरनगर में एसपी स्तर के तीन अधिकारी अमित पाठक, राजू बाबू सिंह और विजय भूषण को भेजा गया है। साथ ही 18 अपर पुलिस अधीक्षक, 23 पुलिस उपाधीक्षक, 119 इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर, तीन सौ सिपाही भी तैनात किए गए हैं।
हालात को देखते हुए मुजफ्फरनगर में सेना के आठ कालम और शामली में एक कालम तैनात की गई है। हिंसाग्रस्त इलाके में पीएसी की 19 कंपनी, आठ कंपनी आरएएफ, 19 कंपनी सीआरपीएफ, चार कंपनी आईटीबीपी और छह कंपनी एसएसबी तैनात की गई है।
आला अफसर माने, समय पर हिंसा काबू नहीं हो पाई
आला अफसरों ने स्वीकार किया कि हिंसा पर काबू पाने में दिक्कत इसलिए आ रही है क्योंकि, हिंसा ग्रामीण इलाके में अधिक फैली है जहां पुलिस के मौके पर पहुंचने और एक्शन लेने में समय लगता है। मुजफ्फरनगर के हिंसाग्रस्त इलाके के कुछ गांवों से वहां के अल्पसंख्यक समुदाय को बचाने में सेना को दिन में हवा में गोली भी चलानी पड़ी।
अधिकारियों का कहना था कि इस बार शहरी क्षेत्र में हिंसा की चपेट में आकर कुल दो ही की मौत हुई जबकि बाकी की ग्रामीण इलाके में हुई। अधिकारियों ने दावा किया कि उपद्रवियों को खदेड़ने के साथ ही पुलिस ने अब भड़काऊ बयान व भाषण देने वालों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है।
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